सोमवार, 31 जनवरी 2011

महात्‍मा गांधी की हत्‍या तो हर रोज हो रही है ..क्षमा करना बापू तुम हमको .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार .. आज महात्‍मा गांधी के पुण्‍य तिथि पर ब्‍लॉगर भाइयों ने बहुत लिखा है। ब्‍लॉग4 वार्ता की ओर से उन्‍हे विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए फटाफट आप सबों को लिए चलती हूं आज की वार्ता में ... 


आज 30 जनवरी के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है । 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर (गुजरात) में जन्मे और भारतीय जनसमुदाय में बापू के नाम से पुकारे जाने वालेमोहनदास करमचंद गांधी की नृशंस हत्या इसी दिन देश के स्वातंत्र्य-प्राप्ति के चंद महीनों के भीतर १९४८ में हुयी थी । तब नाथूराम गोडसे ने भारत विभाजन के नाम पर उत्पन्न आक्रोश के वशीभूत होकर उन पर जानलेवा गोली चलाई थी । 
पूरा पढें ..योगेन्‍द्र जोशी जी की प्रस्‍तुति ..महात्‍मा गांधी की हत्‍या तो हर रोज हो रही है। 


बापू आज तुम्हारी पुण्यतिथि है.आज तुम हमें बहुत याद आ रहे हो.मैं तुम्हें याद करने का कोई दिखावा नहीं करूंगा क्योंकि तुम हमें सचमुच याद आ रहे हो.तुम्हारे जाने के बाद हमने बहुत-से पाप किए हैं.अगर सूची बनाने बैठ जाएँ तो शायद दुनिया में कागज की कमी पैदा हो जाए.

बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के



सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के
सचमुच जीवनदानी निकले तीनों बंदर बापू के
ज्ञानी निकले, ध्यानी निकले तीनों बंदर बापू के
जल-थल-गगन-बिहारी निकले तीनों बंदर बापू के
लीला के गिरधारी निकले तीनों बंदर बापू के।


आदरणीय बापू



सप्रेम चरण स्पर्श
बहुत सालो से आपको चिट्ठी लिखने का मन था . यह बता दू मैं आपका ५०% प्रशंसक हूँ और ५०% आलोचक .
 बापू अफ्रीका से जब आप आये थे तब भी आज़ादी का आन्दोलन उसी गति चल रहा था लेकिन सितारे आपके साथ थे और १८५७ से सतत लड़ने वालो को भूल कर सब आप पर फ़िदा हो गए . आप के कुशल नेतृत्व में आज़ादी की लड़ने वाली लडाइयां टेबिल पर आ गई .खैर बापू आपको चोरा चोरी की हिंसा तो दिखी लेकिन भगत सिंह और उनके साथियो की फासी हिंसा नही दिखी .


आज गाँधीजी की पुण्य तिथि है..... राष्ट्रपिता को पूरा राष्ट्र नमन कर रहा है – याद कर रहा है. पर मेरे जैसे बुरबक को बापू की बकरी याद आ रही है. सुना है, बापू बकरी को बादाम खिलाते थे. बकरी की बहुत सेवा करते थे. और बकरी भी बापू से उतना ही प्यार करती थी. ये बात आश्रम में सभी को पता थी.... अत: जब भी कोई नेता या भक्त बापू से मिलने आता तो बकरी के सर पर हाथ जरूर फेर कर जाया करता था. पंडित नेहरु को भी बकरी में विशेष दिलचस्पी थी. वो बापू को खुश रखने के लिए अधिकतर बकरी को अपने हाथ से बादाम खिलाते. 


देशवासियों ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को पुण्यतिथि पर याद किया, प्रतिवर्ष यही हैडिंग होती है अखबार में। पिछले कुछ वर्षों से युवाओं को शहीद दिवस भूल जाने के लिए दोषी ठहराया जाने लगा है। महात्मा गाँधी की समाधि राजघाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों की कतार में प्रायः वे ही होते हैं जिन्हें या तो कुर्सी की चाह या नेतृत्व की आस लगी रहती है। बडी संख्या में स्कूली बच्चे हाथ में फूल लिए खडे रहते हैं जिन्हें दुनिया की दोरंगी चाल का अंदाजा नहीं होता।
पूरा पढें .. जया केतकी की प्रस्‍तुति .. एक बार फिर बापू याद आए।


पूरे जगत में सत्य, अहिंसा और भाईचारे का संदेश देते हुए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले बापू ने जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर को भी अहिंसा का पाठ पढ़ाया था और उनसे युद्ध का रास्ता छोड़ने का आग्रह किया था।
पूरा पढें ... रमेश मिश्रा जी की प्रस्‍तुति .. हिटलर के नाम बापू की पाती।

महात्मा गांधी की हत्या के 10 दिन पहले भी दिल्ली के बिड़ला हाउस में ही उन पर हमला किया गया था। और वे खुद भी जानते थे कि उनकी जान को खतरा है। लेकिन इसके बाद भी वे बेझिझक अपना काम करते रहे। अपने अंतिम दिन उन्होंने एक साथी की लापरवाही से नाराज होकर कहा कि मुझे यह सब पसंद नहीं है और मेरी कामना है कि भगवान यह सब देखने के लिए मुझे ज्यादा दिन यहां नहीं रखें। जीवन के अंतिम दिन उन्होंने करीब आधा दर्जन बार मौत का जिक्र किया।





तुम
एक दिव्य चेतना
जो तन मन को सचेत कर गयी है
जैसे एक चिंगारी भड़की हो
 अनुप्राणित कर दिया हो जिसने  
तुम्हारा अनूठा व्यक्तित्व, अनोखे बोल
प्राणोत्सर्ग और वह सब
जिसके लिये तुम लड़े...
 खुद से जुड़ा मालूम होता है,
तुम्हारी आँखों में छिपा दर्द
और निर्भयता की चादर
सत्य के प्रति प्रेम
आज पुकारते हैं
जब देश खड़ा है दोराहे पर 


गांधी ने आखिरी समय में कहा था हे राम...शायद उनके जाते ही देश की हालत यह हो गई है। देखा जाए तो इस देश में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है। भ्रष्टाचार का भूत सता रहा है, इसमें खास लोग शामिल हैं। वहीं महंगाई देश में चरम पर है। बड़े नेता देश को अंधेरी गर्त में डाल रहे हैं। देखा जाए तो हर कोई नेता अपनी अपनी तिजौरियां भरने में जुटा हुआ है। वहीं मीडिया, न्यायपालिका और संसद। हर कोई भ्रष्टाचार की गाड़ी पर सवार है, ऐसे में देश कहां जाएगा। 

64  साल पहले 
यानि 30 जनवरी सन 1948.
नव-स्वाधीन भारत का वह काला दिन
उग्र हिन्दुत्ववादी 
दक्षिणपंथी 
विचारधारा से
ताल्लुक रखने वाले
एक दिग्भ्रमित युवक  ने 
(मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता)
बापू को
हमसे छीन लिया था.

पूरा पढें .. डॉ शशिकांत की प्रस्‍तुति .. बापू के आखिरी क्षण ..




बापू ! तुम्हारी ऐनक !
बहुत पहले ही चढ़ गई थी शायद
तुम्हारी आँखों पर
इतिहास के काल की
जटिल सँभावनाओं के बहुत पहले
तुम बन गए थे इसका अटूट हिस्सा...

बापू ! तुम्हारी ऐनक !
जिसके गोल शीशे तुम्हारी एक निश्चित पहचान बनाते हैं
कई देशों की राजनीति से तुम्हारा परिचय
इन्हें पार करके ही हुआ था
जिन पर कभी धुंध नहीं जमी...
पूरा पढें .. रविन्‍द्र कात्‍यायन जी की प्रस्‍तुति .. बापू तुम्‍हारी ऐनक ..


आज से ठीक तिरसठ साल पहले एक धार्मिक आतंकवादी की गोलियों से महात्मा गाँधी की मृत्यु हो गयी थी. कुछ लोगों को उनकी हत्या के आरोप में सज़ा भी हुई लेकिन साज़िश की परतों से पर्दा कभी नहीं उठ सका . खुद महात्मा जी अपनी हत्या से लापरवाह थे. जब २० जनवरी को उसी गिरोह ने उन्हें मारने की कोशिश की जिसने ३० जनवरी को असल में मारा तो सरकार चौकन्नी हो गयी थी लेकिन महत्मा गाँधी ने सुरक्षा का कोई भारी बंदोबस्त नहीं होने दिया .

शान्ति का  उपदेशक 



सत्य-अहिंसा में आस्था रखना छोड़ दिया है 
और  जम्हूरियत 
बन गयी है खानदानी वसीयत का पर्चा 
सिपहसलार-
कर गया  है सरकारी खजाना 
सगे-संवंधियों के नाम..

बापू ये क्या हो रहा है...निकल पड़े दो डग जिधर...भारत गावों में बसता है ...सत्य और अहिंसा ... ये सब बापू के है ...इसका उल्लेख बड़े.बड़े मंचों से नेता बड़े श्रद्धा से करते है...लेकिन जब घोटला करना होता है तब महात्मा गांधी को भूल जाते है। पूरे विश्व में भारत की पहचान गांधी के नाम से होती हैं । पिछले दिनों एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी। आज बापू का निर्वाण दिवस है । 
" आज महान दुखद: घटना घटी है उसे आप सुन चुके हैं ! यह घटना हमारे इतिहास मैं अभूतपूर्व है ! महात्मा गाँधी अपनी प्रार्थना सभा मै जा रहें थे जबकि एक उन्मत्त व्यक्ति ने उन पर तीन गोलियां चलाई ! ये गोलियां गाँधी के हृदय के पार जा चुकी !" 
                          ये शब्द हमारे देश के प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने जनता के सामने तब कहे जब गाँधी जी के सीने मै नत्थू  राम गोडसे ........ तीन गोलियां उतार चुका था जिससे गाँधी जी की जान जा चुकी थी ! इस बात को हुए 63 साल हो चुके हैं ! 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके शहीदी दिवस (30 जनवरी) पर जिला व कुमाऊं मंडल मुख्यालय नैनीताल में कैसे याद किया गया, यह चित्र इसकी बानगी हैं। यहाँ तल्लीताल डांठ पर स्थापित गांधीजी की आदमकद मूर्ति पर आज नए फूल चढ़ाने तो दूर गत 26 जनवरी से चढ़ाये गए सूखे फूलों को भी नहीं हटाया गया। मुख्यालय में आज शायद रविवार होने कि वजह से परंपरागत तौर पर ऐसे मौके पर सुबह 11 बजे बजने वाला साइरन बजाना भी प्रशासन भूल गया। गांधीजी के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले राजनीतिक दलों के बात-बात पर आसमान सर पर उठाने वाले कार्यकर्ताओं ने भी कहीं कोई सार्वजनिक आयोजन नहीं किया। 
पूरा पढें ..नवीन जी की प्रसतुति ..राष्‍ट्रपिता को शहीदी दिवस पर सूखे श्रद्धा सुमन।

जो अलख जगाया था कभी ,  एक बार और जगाना बापू ,-------
चमन  से  दूर  मत    जाना  ,   लौट   कर  आना   बापू  ----------

गम -  ज़दा   हैं   तेरे     जाने   से ,  हम    इतना   बापू    ------
भूल    जाएँ   डगर   अपनी  ,  राह     दिखाना      बापू ----------

हाल  - ए -  वतन    बयां  ,  करें ,   तो      करें     कैसे  ?
खुद    देख    लो    आकर ,  यहाँ     फ़साना         बापू --------

बापू तुम क्या गये देश से सच्चाई चली गई
अब झूठ में ढुढ़ते हैं यहां सब सच
लेकर कइयों की जानें, बन रहे महात्मा
किसान होकर बेहाल, गला रहे मौत गले
करवा कर दंगे नेता, बन रहे हैं भले
बापू तुम क्या गये देश से सच्चाई चली गई।।

चलिए आज एक बार फिर  बापू को याद कर लें और उनकी ही आत्मा को सोचने पर मजबूर करें कि क्यों उन्होंने अपने सीने पर गोली खाई, हम जैसे लोगों के लिए जिनके पास आत्मा है ही नहीं और संवेदनाएं रास्ता भूल  गई हैं | आज बापू के चित्र को सबसे ज्यादा माला वही लोग पहनायेगे  जिनको उनके आदर्श भूल गए है | 
उन को सिर्फ इतना याद है कि साल में दो दिन --गांधी जयंती  और शहीद दिवस --गांधीजी के चित्र पर माला डालना है ,पहनाना या चढ़ाना नहीं | 



कहते हैं लोग कि 
महान लोग अवतार लेते हैं 
और तार देते हैं 
बुझी हुई आशाओं को
एक नया दीप दिखा देते हैं 
पर मैं तलाश में हूँ 
आज एक अवतार की
जो यहीं कहीं हो शायद 
हमारे बीच कहीं 

आज महात्मा गाँधी कि पुण्यतिथि है। आइये उनको याद करते
हुए एक गीत सुनते हैं। सन १९४८ में एक गीत उनकी याद में रचा
गया था जिसे रफ़ी ने गाया है। काफी बड़ा गीत है ये। इसका एक
भाग आपको सुनवा रहे हैं।

गीत संगीत की प्रस्‍तुति .. सुनो सुनो ये दुनियावालों बापू की ये अमर कहानी।

रविवार, 30 जनवरी 2011

यशवंत सोनावने को व्यवस्था ने मारा है, ज़रा सोचिए -- ब्लॉग4वार्ता -- देव कुमार झा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !



भारत.... दुनियां की दूसरी सबसे बडी आबादी... सबसे बड़ा लोकतंत्र... भारत की अर्थव्यवस्था मुद्रा स्थानांतरण की दर से विश्व में दसवें और क्रयशक्ति के अनुसार चौथी सबसे बडी अर्थ-व्यवस्था... दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी शक्ति... और यकीनन आज भारत एक विश्वव्यापक शक्ति है। आज़ादी के बाद धीरे धीरे ही सही भारत ने विकास किया.... और पिछले बीस वर्षों में यकीनन विकास दर बढ़ी है... आज के दौर की तमाम समस्याओं के बावजूद विश्व समुदाय की नज़र में भारत निवेश के लिहाज़ से एक बड़ा व्यापारिक केंद्र बन कर उभरा है लोकतंत्र परिपक्व हुआ है की नहीं यह किसी चर्चा का मुद्दा हो सकता है मगर इतना ज़रूर है की बदलते दौर में लोग बदले हैं, लोगों की संवेदनाएं बदली हैं, लोगों की सामाजिक सोच बदली है। सोचिये वह दौर जब नेताओं के बोल स्कूलों की दीवारों पर लिखे होते थे,    राजनीति में लोग सेवाभाव से आते थे... बदलते दौर में राजनीतिक सोच बदली है... तंत्र बदला है... कैसे कैसे इस तंत्र ने भ्रष्ट राजनीति और भष्ट तंत्र के इर्द गिर्द एक ऐसा कुचक्र लाकर खड़ा कर दिया जिसने भले और नेक अफसरों और नौकरशाहों के लिए दुविधा की स्थिति खड़ी कर दी.... जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ यशवंत सोनावणे की निर्मम हत्या.... और उसके बाद बने राजनीतिक उहा-पोह की स्थिति के बारे में.... 

समाचार चैनल चिल्लाते हैं.... प्रिंट मीडिया चिल्लाता है.... सरकार हरकत में आती है.... कार्यवाही होती है... सरकार आगे की कार्यवाही और दोषियों को सजा दिलाने की बात भी कहती है.... मगर प्रश्न अभी भी एकदम साफ़ है.... क्या ऐसा निर्मम कांड ऐसे ही हो सकता है, की सरकार को कानो-कान खबर ना हुई..... भाई माफिया के पीछे यकीनन कोई ना कोई बड़ा हाथ है.... यकीनन सरकारी तंत्र दोषी है.... जब एक अफसर की यह हालत है तो फिर एक आम इंसान के साथ क्या हो सकता है.... सोच कर ही रूह कांप जाती है.... 

वैसे इसकी चहुँ-ओर निंदा हुई.... कलम ने इसके बारे में अपना विरोध जताया.... ब्लॉग जगत से भी कई आवाजें उठी.... आज उन आवाजों को एक साथ एक मंच पर लाने का यह एक छोटा सा प्रयास है...... 






ब्लॉग4वार्ता का पूरा वार्ता दल इस काण्ड की घोर भत्संना करता है और सरकार से यह अपील करता है कि न्याय पालिका पर जनता के विश्वास को कायम रखते हुए दोषियों को जल्द से जल्द सजा दी जाए !


दोषियों को सजा मिलेगी.... इसी विश्वास के साथ अपनी वार्ता को आगे बढ़ाते हैं..... 
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सबसे पहले कुछ अर्थ शास्त्र की बातें.... 


सामाजिक नियंत्रण बिना बाजार छुट्टा सांड होता है :- शिवराम का बहुत उम्दा आलेख


आओ पैसा कमायें “जटिलता की जगह सरलता को चुनें” - भाग १ :- जी बिल्कुल, भाग-२ की प्रतीक्षा है.


जीवन बीमा में समूह की छतरी बढ़ी, पर लोग हुए व्यक्तिगत बीमा से दूर :- बीमा आग्रह की विषय वस्तु है....


आगे भी देखिए भाई


अब आपदाओं में भी काम करेंगे फोन :- बहुत रोचक जानकारी...

गोविन्‍द शर्मा का व्यंग्य - मेरा गुस्सा मेरा है :- जी बिलकुल...

चिरयुवा :- सभी की यही उम्मीद है की चिर युवा रहें.....

श्री समीर-सलाह, डॉ दराल प्रेस्क्रिप्शन, अनवांटेड एडवाइज़...खुशदीप :- नैतिक चेतावनी...किसी को बिन मांगे सलाह देना भी कम ख़तरनाक नहीं...

आपकी लेखनी अबाध गति से चलती रहे :- आमीन

धन काला है या नहीं पहले इसकी जांच हो - बूटा सिंह :- फिर तो भैया सारे नेताओं का पैसा सफ़ेद हो गया.....

हाईप्रोफाइल लाईफ !! :- कडुवा सच

घुंघराले बालों वाली शाम :- आनंद लीजिये...

पनीर कोर्न मसाला :- अब खाने पीने की बातों के बिना कैसे काम चलेगा भाई....

यहाँ हैल्थ की मज़बूरी है, वहां वैल्थ की मज़बूरी है :- जीवन की विषमताओं से रूबरू कराती हुई

कुछ फ़िल्मी बातें भी हो जाएं.... तो फ़िर लीजिए फिल्‍म समीक्षा :दिल तो बच्चा है जी

चोला माटी के हे रे :- बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है....

इसी के साथ आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!
देव कुमार झा 

शनिवार, 29 जनवरी 2011

जन्म लेने से पहले ही देश में हर साल 7 लाख लड़कियों की हत्या - जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है - ब्लॉग 4 वार्ता - शिवम् मिश्रा

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

एक खबर के मुताबिक ...

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग [एनएचआरसी] का कहना है कि जन्म लेने से पहले ही देश में हर साल सात लाख लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।
एनएचआरसी के सदस्य और पूर्व राजदूत रहे सत्यब्रत पाल ने कहा, 'जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसे बच्चे के लिंग के बारे मे चिंता सताने लगती है। गैरकानूनी तरीके से गर्भ परीक्षण कराने पर जब भ्रूण के लड़की होने का पता चलता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है।' उन्होंने कहा, 'भारत में हर साल एक वर्ष की उम्र से पहले ही 10 लाख 72 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। लैंगिक भेदभाव वाली हमारी सोच इसकी सबसे बड़ी वजह है। लड़कों के बजाय लड़कियों की मृत्यु दर ज्यादा है।'

क्यों ना हम सब मिल कर एक मुहीम चलायें और इस घिनोनी सोच को बदल दें ... 
आज के दौर में जब अक्सर ही यह देखा जाता है कि माँ बाप की सेवा करने में बेटियां बेटो से आगे रहती है ... क्या बेटियों को जन्म ही नहीं लेने देना एक महा पाप नहीं है ... ज़रा सोचियेगा !
ब्लॉग 4 वार्ता  का पूरा वार्ता दल इस मानसिकता की घोर निंदा करता है !

आइये चलते है आज की ब्लॉग वार्ता की ओर ...

सादर आपका 

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डर्मल फिलर से पाएं नई मुस्कान


पलायन !


एक और राष्ट्रीय दिवस "निपटा" सब लौट गए छुट्टी मनाने

आज नीरज दीवान का जन्मदिन है


कोबरा का बाप (कार्टून धमाका)


आप ब्लागर हैं..तो बन सकते हैं मंत्री-प्रधानमंत्री 

"एक सवाल मीठा सा"


शायद तुम्हारी दादी भी यही कहानिया सुनाती होंगी


हिंदी में टाइपिंग करना सीखिए (Hindi Typing Tutor)


मेकाइवली - शैतान का वकील


महेंद्र मिश्र लाइव : "भारत के वीर जवान" पुस्तक का लाइव वेब कास्ट -1,2,3,4 


जिन्दगी है एक दिन ...............केवल राम


हमें भारतीयों के महान कार्यों पर गर्व नहीं होता, सिर्फ आश्चर्य होता है


एक पल... एक ज़िन्दगी...


ब्लागरों को कुछ नहीं आता- फर्जी आईडी वाले ही हैं बड़े ज्ञाता


ये चाँद कैसे कैसे!!!


शिवस्वरोदय-28


घर-घर में माटी का चूल्हा ---- ललित शर्मा


लखनऊ में चूहा बने दो सांड...खुशदीप

कुछ राजा भोज बाकी गंगू तेली ?


"आज कुछ दोहे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")


कैसा रहेगा आपके लिए 28 और 29 जनवरी का दिन ??


ठेका किसे मिलेगा... :-देव


एक परिवर्तन और हमारा अजय 

रोक सको तो रोको!


मेरा प्रोफाइल फोटो -२


जनवरी 14 का कम्बल वितरण कार्यक्रम ......!


मत पूछ.... 

जहरीली तो नहीं हो गई ईसन नदी ?


अपने ब्लॉगर ब्लॉग का मोबाइल संस्करण एनेबल करें


अब कोई गुलशन न उजड़े, अब वतन आजाद है - साहिर लुधियानवी


वो दिन गए की कहते थे नौकर नहीं हू मै


जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ??? 

ये फोटो देखकर आप कुछ कहना चाहेंगें?


ब्लॉगिंग के चार वर्ष पूर्ण हुए… सफ़र जारी है (एक माइक्रो-पोस्ट)…… Four years of Blogging, Hindi Blogs and Hindi Writing

अनुरागी मन - कहानी भाग ९


सप्तपदी वैदिक विवाह...सात वचनों का अर्थ...सर्जना शर्मा


बिलखता उद्योगपति , धधकता कलेक्टर , और गणतंत्र मनाता गन तंत्र


अरे भाई अब ये "गन्ना चूसने वाली" मस्तानी कौन है ?


२६ जनवरी को काला झण्डा


गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं


आखिर देश है क्या ???- - - - - - - -mangopeople


दम तोड़ते हैं विचार...


एक विचार


पूछने हैं तुमसे कुछ सवाल दोस्तों


अभियांत्रिकी निकाय की अपेक्षा चिकित्सा निकाय की ओर रुझान कम क्यों?


जरा याद इन्हे भी कर लें-----------मिथिलेश


सुन्दरकाण्ड से कुछ चौपाईयाँ.. (Sundarkand) 



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आज की ब्लॉग वार्ता बस यहीं तक ..... अगली बार फिर मिलता हूँ एक और ब्लॉग वार्ता के साथ तब तक के लिए ......
जय हिंद !!

शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

विशेष वार्ता--पोस्ट लिंकों की भरमार -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

आज गत्यात्मक चिंतन पर संगीता जी ने बहुत सारे लिंक इकट्ठे किए गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में। हमने भी सोचा कि वार्ता में पूरी पोस्ट ही ले ली जाए। यह पोस्ट बुकमार्क योग्य बन गयी है। संगीता जी का आभार व्यक्त करते हुए प्रस्तुत हैं आपके लिए ब्लॉग4वार्ता पर पोस्ट लिंक।
यदि कल गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर हिंदी ब्‍लॉग जगत की एक सुंदर सी झांकी निकाली जाती तो , इसमें हजारो ब्‍लॉगर और ब्‍लॉग्‍स भाग लेते। झांकी में सबसे आगे आगे चलता रहा होता बाल चर्चा मंच  , जिसमें रंग बिरंगे पोशाको में अपनी अदाओं से दिल जीत लेने वाले हमारे नन्‍हें मुन्‍ने .. आदित्य, जादूपाखी की दुनिया , नन्हे सुमन , बाल संसार ,नन्हा मन , क्रिएटिव कोना , बाल दुनिया, बाल सजग, बाल मन , चुलबुली, नन्ही परी ,मेरी छोटी सी दुनिया, माधव , अक्षयांशी, LITTLE FINGER , मैं शुभम सचदेव , कार्तिक  आदि समेत सैकडों बच्‍चे मौजूद होते।

उसके पीछे नारी और चोखेर बाली ब्‍लॉग का प्रतिनिधित्‍व करता महिलाओं का दल भी झांकी में चल पडता , जिसमें  रश्मि प्रभा  जी ,  निर्मला कपिला जी , नीलिमा जी , आशा जोगेलकर जी , मनीषा पांडे जी , आर. अनुराधा जी , प्रतिभाजी , संध्‍या गुप्‍ता जी , बेजी जी नीलिमा सुखीजा अरोडा जी , कीर्ति वैद्य जी , रेखा श्रीवास्तव जी , आकांक्षा जी , आभा जी , पारुल "पुखराज" जी   डॉ सुधा ओम ढिंगरा जी , नीलिमा गर्ग जी संगीता मनराल ,दीप्ति जी उन्मुक्ति जी  , पूजा प्रसाद जी , प्रत्‍यक्षा जी , अर्चना ,पल्‍लवी त्रिवेदी जी , सुजाता जी , फ़िरदौस ख़ान , वंदना पांडेय जी ,  रेणु जी , लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`जी , मनविंदर जीडा.मीना अग्रवाल जी,पद्मा श्रीवास्‍तव जी,सुमन जिंदल जी ,डॉ मंजुलता सिंह जी , आलोकिता जीमोनिका गुप्ता जी,दीपा जी ,साधना वैद्य जी, डॉ. पूनम गुप्ता जी ,वर्षा जी,सुनीता शानू जी ,डॉ॰ मोनिका शर्माजी , शिखा कौशिकजी , शालिनी कौशिकजी,अजीत गुप्‍ता जी,गीतिका गुप्‍ताजी , आकांक्षा जी , अनुजा जी ,गरिमा जी , माया जी ,मनविंदर जी , किरण राजपुरोहितजी , डॉ.कविता वाचक्नवी जी ,रश्मि रविजा जी ,मुक्ति जी , शोभना चौरे जी , रेखा श्रीवास्तव जी ,मीनाक्षी जी,अनिता कुमार जी, स्वप्नदर्शी जी , मीनाक्षी जी , रंजना जी ,प्रतिभा जी , अंशुमाला जी , कविता रावत जी , वन्दना अवस्थी दुबे जी ,रंजना जी ,स्वाति जी,मोनिका जी, मोनिका जी ,हरकीरत हीर जी,सुशीला पुरी जी ,डा कविता किरण जी,संगीता स्वरुप जी,स्वप्न मंजूषा जी,डा दिव्या श्रीवास्तव जी,अल्पना देशपांडेजी,वन्दना जी आदि समेत हजारों महिलाएं शामिल होकर इसकी शोभा बढातीं। 

पुरूषों के दल में समीर लाल समीर जी,अनूप शुक्ल जी ,राकेश खंडेलवाल जी,रमण कौल  जी,युनुस खान जी,रविश कुमार जी,डॉ आशुतोष शुक्‍ल जी,मनोज कुमार जी,ललित शर्मा जी, अमरेन्‍द्र त्रिपाठी जी,प्रेम प्रकाश जी, डॉ रूप चंद्र शास्‍त्री जी,राजीव थेपडा जी,यशवंत माथुर जी,विजय माथुर जी,अशोक कुमार पांडेय जी ,रवि रतलामी जी ,मनीष कुमार जी , अमितेश जी,ललित कुमार जी, डॉ पवन कुमार जी मेरा जीतेन्‍द्र चौधरी जी , परमेन्‍द्र जी , दिनेश शर्मा जी प्रकाश बादल जी , अरविंद श्रीवास्‍तव जी , नीरज गोस्‍वामी जी , शास्‍त्री जे सी फिलिप जी , दीपक भारतदीप जी , ताऊ रामपुरिया जी , श्री अलवेला खत्री जी , रणधीर सिंह सुमन जी, मनोज कुमार पाण्डेय जी, डा. सिद्धेश्वर सिंह जी , रावेन्द्र कुमार रवि जी ,राजीव तनेजा जी , पवन चन्दन जी ,  के. एम. मिश्र का सुदर्शन जी ,  डा० अमर कुमार जी ,-रवीश कुमार जी , पुण्य प्रसून बाजपेयी जी,जी के अवधिया जी , गिरीश पंकज जी , ज्ञान दत्त पाण्डेय जी ,मसिजीवी जी, यशवंत मेहता जी ,  राजकुमार ग्वालानी जी ,  सूर्यकान्त गुप्ता जी , शिवम मिश्र जी , रुद्राक्ष पाठक जी,अजय कुमार झा जीदेव कुमार झा जी , उद्धव जी , उदय प्रकाश जी , शहरोज जी  शरद कोकास जी संजय व्यास जीअनुनाद सिंह जी समेत हजारो ब्‍लॉगर शामिल होते। 

स्‍वास्‍थ्‍य संबधी जानकारी देने वाले ब्‍लॉगर कुमार  राधारमण जी और विनय चौधरी जी, अलका सर्बत मिश्र जी, राम बाबू सिंह जी , सुशील बाकलिबाल जी, मीडिया डॉक्टर प्रवीण चोपडा जी, डॉ टी एस दराल जी चलते। विकांत शर्मा जी अध्यात्मिक चिंतन के साथ तथा अमन का पैग़ाम लिए एस एम मासूम जी भी साथ साथ चल रहे होते। डा0 अरविंद मिश्र जी , ज़ीशान हैदर ज़ैदी जी, ज़ाकिर अली 'रजनीश'जी , अर्शिया अली जी, विनय प्रजापति जी , रंजना भाटिया जी, अल्पना वर्मा जी, मनोज बिजनौरी जी, जी0के0 अविधया जी, सलीम खान जी, डा0 प्रवीण चोपड़ा जी, अभिषेक मिश्रा जी, अंकुर गुप्ता जी, अंकित जी, हिमांशु पाण्डेय जी, पूनम मिश्रा जी और दर्शन बवेजा जी आदि अपने विज्ञान संचार के कार्यक्रम को लेकर चल रहे होते।

विविधता से भरे हिंदी ब्‍लॉग जगत की इस झांकी में हमारे कार्टूनिस्टो की उपस्थिति आवश्‍यक होती , जिसको ध्‍यान में रखते हुए काजल कुमार जी, इरफ़ान खान जी,अनुराग चतुर्वेदी जी, कीर्तिश भट्ट जी, अजय सक्सेना जीकार्टूनिस्ट चंदर जी , राजेश कुमार दुबे जी, अभिषेक जी आदि को भी स्‍थान दिया जाता। मनीष क़ुमार जी और नीरज जाट जी जैसे घुमक्‍कडों को तो वहां मौजूद रहना ही था आसमान में चाँद पुखराज का भी अपनी उपस्थिति दर्शाता होता।

झांकी में ब्लॉगवाणी और चिट्ठाजगत  के स्‍थान की क्षतिपूर्ति करने में इंडली  , हमारीवाणी  , अपना ब्लॉग , एक स्वचालित ब्लॉग संकलक , लालित्य , ब्लॉग अड्डा ,WomanWho Blog In Hindi , ब्लोग्कुट, इंडी ब्लोगर, रफ़्तार , ब्लॉग प्रहरीक्लिप्द इन , हिंदी चिट्ठा निर्देशिका, गूगल लॉग ,वर्ड प्रेस की ब्लोग्स ऑफ द डे , वेब  दुनिया की हिंदी सेवा,जागरण जंक्सन ,बीबीसी के ब्लॉग प्लेटफार्म,हिंदी मे ब्लॉग लिखती नारी की अद्भुत रचना , ब्लोग्स इन मीडिया , फीड क्लस्टर.कॉम , आज के हस्ताक्षर, परिकल्पना समूह, महिलावाणी ,  हिन्दीब्लॉग जगत, हिन्दी - चिट्ठे एवं पॉडकास्ट, ब्लॉग परिवार,चिट्ठा संकलक, लक्ष्य, हमर छत्तीसगढ़, हिन्दी ब्लॉग लिंक मिलकर पूरा करने की असफल कोशिश कर रहे होते। इस कमी को पूरा करने के लिए चिट्ठा चर्चा , चर्चा मंच , ब्लोग४वार्ता  , चर्चा हिंदी चिट्ठों की , समय चक्र , झा जी कहीन ब्‍लॉग ऑन प्रिंट आदि भी पूरी कोशिश में होते।

एक स्‍टॉल पर हिंदी की सभी वेब पत्रिकाएं सृजनगाथा, अभिव्यक्ति, अनुभूति, दि सन्दे पोस्ट, पाखी,एक कदम आगे, गर्भनाल , पुरवाई, प्रवासी टुडे, अन्यथा, भारत दर्शन,सरस्वती पत्र ,साहित्य कुञ्ज , पांडुलिपि , प्रवक्‍ता , हिंद युग्म , अरगला , तरकश , अनुरोध  , ताप्तीलोक, कैफे हिन्दी, हंस ,,ताप्तीलोक, कैफे हिन्दी, हंस ,अक्षय जीवन ,अक्षर पर्व ,पर्यावरण डाइजेस्ट , ड्रीम २०४७  ,गर्भनाल ,मीडिया विमर्श, काव्यालय,कलायन , निरन्तर ,भारत दर्शन ,सरस्वती , अन्यथा , परिचय ,Hindi Nest dot Com तद्भव, उद्गम ,कृत्या , Attahaas , रंगवार्ता ,क्षितिज ,इन्द्रधनुष इण्डिया  सार-संसार ,लेखनी -,मधुमती ,साहित्य वैभव ,विश्वा,सनातन प्रभात,हम समवेत,वाङ्मय ,समाज विकास -,गृह सहेली,साहित्यकुंज, लोकमंच, उर्वशी, संस्कृति,  प्रेरणा, जनतंत्र, समयांतर ,साहित्‍य शिल्‍पी सजी हुई झांकी में अपनी उपस्थिति को दर्ज कर रही होती।

किसी तरह की तकनीकी समस्‍याओं से निबटने के लिए ई-पण्डित ,हिंदी ब्लॉग टिप्स  , तकनीकी दस्तक , अंकुर गुप्ता के हिंदी ब्लॉग , ई -मदद ,हिंदी टेक ब्लॉग , तरकश.कॉम  , ब्लॉग मदद, टेक वार्ता , ज्ञान दर्पण , तकनीकी संवाद , ब्लॉग बुखार बिल्‍कुल तैयार खडे होते । किसी भी प्रकार के विवाद के निबटारे के लिए दिनेश राय द्विवेदी जी का ब्‍लॉग तीसरा खम्बा , तथा अदालत भी मौजूद होते।

झांकी में अच्‍छे प्रदर्शन के लिए संवाद सम्मान , फगुनाहट सम्मान , बैशाखनंदन सम्मान परिकल्पना सम्मान -२०१० आदि की व्‍यवस्‍था भी की गयी होती। पांचो शोधार्थियों केवल राम जी , अनिल अत्री जी , चिराग जैन जी , गायत्री शर्मा जी और रिया नागपाल जी को हिंदी ब्‍लॉगिंग में किए जा रहे उन‍के शोध के लिए यह झांकी काफी मददगार सिद्ध होती। सिर्फ ममता टी वी और रेडियो वाणी में ही नहीं , हिंदी ब्लोगिंग की इस झांकी को अविनाश वाचस्पति जी , गिरीश बिल्लोरे मुकुल जी और पद्म सिंह जी ने पूरे विश्व में प्रसारित कर दर्शकों को दंग ही कर दिया होता।


इस लेख को तैयार करने में ब्‍लॉग और ब्‍लॉगर्स के नाम और लिंक के लिए परिकल्‍पना के हिंदी ब्‍लाग विश्‍लेषण के लेखों के साथ साथ नारी ब्‍लॉग , चोखेर बाली ब्‍लॉग के साथ साथ साइंस ब्‍लॉगर एसोशिएशन से सहयोग लिया गया है , उनका आभार .. जो मित्र और जिनके ब्‍लॉग्स छूट गए हों उनसे क्षमायाचना .... 

आज की वार्ता को देते हैं विराम -- मिलते हैं ब्रेक के बाद -- तब तक आप इस सवाल का जवाब दीजिये ... जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???

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