सोमवार, 30 मई 2011

हिन्दी ब्लागिंग की लाटरी---एक लाख रीडर्स हुए ----- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, सबसे पहले आपको एक खुशखबरी सुनाता हूँ कि संगीता पुरी जी के ब्लॉग गत्यात्मक ज्योतिष के एक लाख रीडर्स हो चुके हैं। उन्हे ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं ब्लॉग4वार्ता दल की ओर से। यह उपलब्धि सतत साधना के बिना प्राप्त नहीं की जा सकती। बड़े गुरुजी हमेशा कहते हैं कि ब्लॉग पर पाठक बढाने का उपाय करना चाहिए। अगर आपका लेखन पाठकों को पसंद आता है तो वे कहीं से भी आप तक पहुंच जाएगें। हिन्दी वेब साईट की मासिक पाठक संख्या 35,000 से अधिक है। विषय आधारित ब्लॉगिंग में अगर आप नित्य भी पोस्ट न लगाएं तब भी सर्च इंजन से पाठक आते हैं। जब से ब्लॉगवाणी और चिट्ठा जगत बंद हुए हैं तब से मैं फ़ालोअप से ही पढता हूँ और अपने पसंदीदा ब्लॉग्स तक पहुंच ही जाता हूँ। अब चलते हैं आज की ब्लॉग4वार्ता पर और पढते हैं कुछ उम्दा चिट्ठे .......

आत्‍मसमर्पित नक्‍सली की कहानी........ उसी की जुबानीउसकी उमर कोई 21 साल है। वैसे तो 21 साल की उमर कोई बडी उमर नहीं होती लेकिन इस कम उम्र में उसने काफी कुछ झेला है। उसका नाम संध्‍या है। आज से पहले यदि उसका नाम मेरे जेहन में आया होता तो शायद उसे लेकर मन मे...कंकालो में बदल रहे बाघ जीवन-मरण प्रकृति का सास्वत नियम है, जो पैदा हुआ है उसे एक दिन मरना ही है. कॉर्बेट टायगर रिजर्व और उसके आस-पास का वन क्षेत्र इनदिनों दुर्लभ वन्य जीवों की कब्रगाह में तब्दील होता जा रहा है. यहाँ शनिवार को फ..अकेलापन मेरी किस्मत हमेशा भीड़ में फिर भी अकेलापन मेरी किस्मत क्यूँ अपनों से,खुदा से भी, मिली कोई नहीं रहमत जहाँ रिश्ते नहीं अक्सर वहीं पर प्रेम मिलता है मगर रिश्ते जहाँ होते क्यूँ मिलती है वहीं नफरत थपेड़ों को समझता हूँ हिलोर...

सावधान ........आपके आसपास ज़मीन में chinese bamboo गड़े हुए दोस्तों........अपने लेख कई बार मैं एक कहानी सुना के शुरू करता हूँ जो ज़्यादातर काल्पनिक होती है ....आज फिर एक कहानी सुना रहा हूँ ,,,,,पर ये काल्पनिक नहीं है. यह एक सच्ची घटना है .........का...लो में आ गया यारोंदेख लो मेरे भाइयों और बहनों में जो कल कुछ दिनों से ब्लोगिग्न की दुनिया से बना था मिस्टर इंडिया अब फिर से आपको उबाऊ बोरिंग लेख . आलेख पढ़ाने आ गया हूँ.. शायद कुछ तो मेरा अंतिम संस्कार कर चुके होंगे लेकि...हिंदी गाने सुनने के 5 ऑनलाइन पतेअगर आपको अपनी पसंदीदा हिंदी गाने सुनने हो तो इंटरनेट पर वैसे तो ढेरों विकल्प मौजूद हैं पर यहाँ पर है आपके लिए 5 ऑनलाइन पते जहाँ से आप मुफ्त में अपनी पसंद की हिंदी गाने मुफ्त में सुन सकते हैं । इनमे से ज्...

क्यों नहीं अपनी हस्ती......... संध्या शर्मा उसकी इजाज़त के बगैर जब पत्ता भी नहीं हिलता है,* *वह ख़ामोशी से दुनिया का तमाशा क्यों देखता है ..* *क्या सब कुछ उसकी मर्जी से ही होता है...?* *क्यों नहीं अपनी हस्ती आप ही मिटा देता है ...?* *ना होते गिरिजाघ...कुछ समय आदिवासियों के संग जब पहली बार साथ गयी था दिन हाट का कुछ सजे संवरे आदिवासी करने आए थे बाजार थीं साथ महिलाएं भी | मैं दरवाजे की ओट से देख रही थी हाट की रौनक उन्हें जैसे ही पता चला कुछ मिलनें आ गईं पहले सोचा क्या बात करू..दुर्गम क्षेत्र में रहने वालों को शाकाहार उपलब्ध नहीं, इसलिए!!बेशक आहार परिवेश से निर्धारित होता है, किन्तु परिवेश स्वयं भी सभ्यता और संस्कृति से निर्धारित होता है। सहज उपलब्ध में निर्दोष आहार को प्राथमिकता देना ही विवेकशील संस्कृति है। शाक उपज से अभावग्रस्त, दुर्....

ग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ? ये चित्र मेरा अपना लिया हुआ है ! *आज फिर आप सबके लिए एक ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मैंने "मुफायलुन् मुफायलुन्" बहर में कहने की कोशिश की है ... बताइए ज़रूर कि आपको कैसी लगी मेरी ये कोशिश ...* *ये जिंदगी...अंतत: एंड्रायड हिन्दीमय हो ही गया :) हिन्दी ब्लागिंग की लाटरीबड़ी मुश्किल से विंडोज़ आधारित मोबाइल फ़ोन में हिन्दी की समस्या हल हुई ही थी कि बाज़ार में एंड्रायड आधारित नए मोबाइल फ़ोन आने शुरू हो गए, इन एंड्रायड मोबाइल ने हिन्दीभाषी ब्लागरों ...लेबर चौक खोड़ा मुझे नहीं पता कि देश का सबसे बड़ा लेबर बाज़ार कहाँ है लेकिन जब देखता हूं दिल्ली, नोएडा और गाज़ियाबाद के बीच नो मैन्स लैंड खोड़ा के चौक पर हर सुबह हजारों दिहाड़ी मजदूर कुछ कुशल कुछ अकुशल सब मेहनतकश आँखों में ...

शहर की एक और जात कल शाम शादी का निमंत्रण था, मैंने सोचा कुछ देर से जाऊँगा, अक्सर देर से ही बरात आती है, जल्दी जाओ तो आने में बहुत देर हो जाती है, अब जाओ तो जयमाल तक तो रहो , मेरे मित्र बोले चलिए जल्दी हो आते है,पानी जुटाएँ, केवल महिलाएँ और लड़कियाँ?कल एक यात्रा पर जाना हुआ। 300 किलोमीटर जाना और फिर लौटना। बला की गर्मी थी। रास्ते में हर जगह पानी के लिए मारामारी दिखाई दी। हर घर इतना पानी अपने लिए सहेज लेना चाहता था कि घर में रहने वालों का जीवन सुरक्षित...न जाने खुदा कब लिबास उतार दे काफी अर्सा दूर रही आपसे...कुछ संपादिका की जिम्मेदारी कुछ पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझी रही ....इस बीच अस्पताल में ज़िन्दगी और मौत के हिसाब- किताब में मिट्टी डोलते देखी ...ज़िन्दगी को भला कोई खरीद पाया है...

वार्ता को देते हैं विराम-सभी को राम राम -- मिलते हैं एक ब्रेक के बाद.........................

रविवार, 22 मई 2011

युवा डी एस पी समीर यादव की पोस्ट "गाँव कहाँ सोरियावत हे"


समीर यादव जिनका ब्लाग है : मनोरथ 
चेहरों वाली किताब पर समीर 
 युवा डी एस पी समीर यादव के दिल में एक कवि एक सृजन कर्ता का दिल धड़कता है. मेरे मित्र दीपेंद्र बिसेन ने काफ़ी कुछ बताया समीर भाई के बारे में. साथ साथ ट्रेनिंग पर थे अकादमी में दौनों साथ जो थे. खुशदीप की तरह   ब्लॉगिंग के दिलीप कुमार..., तो नहीं हैं पर सदाबहार तो अवश्य है सुकवि बुध रामजी के चिंतन का गहरा असर है इन पर . 
सबले गुरतुर गोठियाले तैं गोठ ला आनी बानी के
अंधरा ला कह सूरदास अउ नाव सुघर धर कानी के
बिना दाम के अमरित कस ये
मधुरस भाखा पाए
दू आखर कभू हिरदे के
नई बोले गोठियाये
थोरको नई सोचे अतको के दू दिन के जिनगानी हे
सबले गुरतुर गोठियाले तैं गोठ ला आनी बानी के
एक आखर दुरपती के बौरब
जब्बर घात कराइस
पापी दुर्योधन जिद करके
महभारत सिरजाइस


  मौन साधक को मेरी और चर्चाकार मंडली की और से हार्दिक शुभ कामनाएं 
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गोल गोल रानी कित्ता कित्ता पानी, एक दो तीन चार, अटकन-चटकन दही चटाकन जैसे बाल गीत युक्त खेल किधर और कब गुम हुए पता नहीं. बच्चे wwf,मारपीट युक्त कार्टून फ़िल्मों में मशरूफ़, या फ़िर प्ले स्टेशन के सामने , यानि कुल मिला के सब कुछ बदल गया. अब तो मुहल्ले से अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बों की सामूहिक मधुर आवाज़ भी नहीं सुनाई दे रही बुद्धू बक्से के सामने बैठी आर्ची एक दिन अचानक बोल पड़ी :- "अंकल, है न उसका मडर किया था खुद से नहीं मरा " मर्डर, खुद से मरना जैसे शब्द से परिचित कराता बुद्धू बक्से से ज़्यादा मूर्ख मुझे वो अभिभावक लगे जो बच्चों को क्रियेटिविटि से दूर रखते हैं. 
भगवान ऐसे अभिभावकों को सद बुद्धि दे .  

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  1. आज दर्शन बवेजा का जनमदिन है
  2. सामने रख कर आईना , किताब लिखने बैठा हूं मैं .....
  3. फिर चोट ना खाएँगे
  4. प्रतिध्वनि ... The Echo
  5. छब्बीस घण्टे बीस मिनिट दिल्ली में part 02
  6. इन्द्रधुनष
  7. जीवन का मूल्य
  8. ब्रेकिंग न्यूज़-भंगेरी हैं केंद्र सरकार के मंत्री-ब्रज की दुनिया
  9. मै जिन्दा हूं
  10. मोगरे की महक... खुले आकाश में झिलमिलाते तारे... और आँगन में रात्रि विश्राम...
  11. फूलों सी बच्ची को जेल !
  12. जिंदगी पी डाली 
  13. बड़ी धीरे जली रैना: फिल्‍म इश्किया। रेखा भारद्वाज को नेशनल अवॉर्ड के बहाने
  14. "गाँव कहाँ सोरियावत हे"
  15. प्रलय.......... संध्या शर्मा

शुक्रवार, 20 मई 2011

आशिक़ का ख़त अजायबघर--ब्लॉग4वार्ता --ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, मित्रों ब्लॉग4वार्ता अब पुन: शुरू हो गयी है. कई दिनों की छुट्टी के पश्चात युवा साथी रुद्राक्ष पाठक ने वार्ता लगायी. अब वार्ता निरंतर रहेगी. वार्ता दल से यह उम्मीद है. शिवम जी की छुट्टियाँ भी समाप्त हो गयी है. अब वार्ता दल पुन: नयी उर्जा के साथ वार्ता में डट गया है. वार्ता दल में जबलपुरिया धुरंधर ब्लॉगर महेंद्र मिश्रा जी भी शामिल हो गए है. मैं उनका स्वागत करता हूँ. उनके अनुभव का लाभ भी हमें मिलेगा. अब चलते हैं आज की  ब्लॉग4वार्ता पर........
सबसे पहले चर्चा करते हैं.पाक पर अमेरिकी नाटक.दोनों नाटक कार हैं, कोई कम नहीं है. एक तो बिना जूता खाए मनाता ही नहीं  है. ऊँगली करता है और पापा की गोदी में जाकर बैठ जाता है, फिर इसाइल-मिसाइल लगाने लगता है. हमने भी तोप का ऑर्डर दे रखा है. चिंता की कौनो बात नहीं है. आराम से रहिये, इधर आदेश मिला है की "पेड़ लगाएं, वनों को बचाएं".गर्मी में हालत गंभीर है.अगर पेड़ बचेगे तभी तो प्राणियों के जीव प्राण बचेंगे.नहीं तो फिर २१ तारीख आ ही रही है, कहे खर्च करते हैं..मैं और मेरी तन्हाईयाँ.का साया है प्रेम रस पर..अब कहाँ गया वो ?.अदा जी पूछ रही हैं.
चलते -चलते.ऐसा कुछ हो जायेगा सोचा तो यह नहीं था.यही तो गलती है, सोच लेना था पहले ऐसा भी होता है.किसी कवि ने कहा है ...प्यार सजाता है गुलशन को और नफरत वीरान करे . जीवन में इस बात को सोचकर अमल करने की कोशिश में लगा रहता हूँ और जितना हो सकता है खुद को मानवीय भावनाओं से जोड़े रखता हूँ .पर उपदेश कुशल बहुतेरे गर्मी का जलवा अपने पूरे शवाब पर है। इसके साथ ही हर अखबार और पत्रिका हमारे स्वास्थ्य को लेकर वैसे ही चिंतित हैं जैसे कभी 'काजी जी परेशान रहते थे शहर के अंदेशे को लेकर'। हर किसी में होड़ लगी है हमें तंदुरु...
कल अजायबघर दिवस मनाया गया.सिंहावलोकन पर पढ़िए 18 मई। सन 1977 से इस तिथि पर पूरी दुनिया में संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। आज यह दिवस 100 से भी अधिक देशों और 30000 से भी अधिक संग्रहालयों में मनाया जा रहा है। इस वर्ष का विषय है 'संग्रहालय और स्मृति :ऐसे भी होती है कमाईबात फरवरी 2009 की है, मैंने क्लिकबैंक.कॉम में एक उत्पाद देखा जो कि फेमिनाइजेशन हिप्नोसिस से सम्बन्धित था। मुझे लगा कि विषय लोगों को रुचने वाला है इसलिए इस उत्पाद का एफिलिएट बनकर तथा उसे बेचकर कमाई की जा स..
आशिक़ का ख़तअपने आशिक़ को माशूक़ ने बुलाया सामने * *ख़त निकाला और पढ़ने लगा उसकी शान में* * * *तारीफ़ दर तारीफ़ की ख़त में थी शायरी* *बस गिड़गिड़ाना-रोना और मिन्नत-लाचारी* * * *माशूक़ बोली अ...इक लम्हे का प्यारजिन्दगी इक आंसुओ का जाम था !* *पी गए कुछ और कुछ छलक गया !! * * * * * * * * * * * आती है जब भी याद उनकी दिल मै हुक -सी उठती है *दिल रोने लगता है * *और उम्मीदे तड़पने लगती है * * * * * जब भी देखती हूँ आँख..
जागो हिंदू सेना की मुझे धमकी और भगवान शिव से मेरी बातचीतएक दिन नुक्कड़ पर अकेले ही यूरिया वाली चाय पी रहा था कि भगवा झंडा लहराते कुछ लोग पहुंच गये चाय वाले से पूछा वो कमीना व्यंग्यकार दवे कहां मिलेगा जो अपने लेखो मे भगवान शिव को पात्र बनाता है  । तभी भाई सोहन शर्म...दर्दे-दांतहाय रे! ये दांत का दर्द ! कल रात डॉ. ऋषभ देव शर्मा से टेलिफिन पर बात हो रही थी। मैंने अपने दांत के दर्द का दुखड़ा उन्हें सुनाते हुए कहा कि अब बुढ़ापे में यह सब तो होना ही है। उन्होंने कहा कि ’अरे नहीं,...
देश में जाति आधारित जनगणना को मंत्रिमंडल ने दी हरी झंडीकेंद्र सरकार ने जाति, धर्म और आर्थिक स्थिति के आधार पर जनगणना के प्रस्ताव को आज गुरुवार 19मई2011 को हरी झंडी दे दी। आजादी के बाद पहली बार ऐसी जनगणना होने जा रही है । इससे गरीबी रेखा के नीचे तथा उसके ऊपर...अखबारों का सच अखबारों में घोषणा होती है कल बारिष हो सकती है और जनता सम्हाल लेती है भारी भरकम रेनकोट और छतरियां सारे के सारे कागज पोलेथिन संस्कृति में और तैयार हो जाती है बारिष से जूझने को अखबार लिखते.
हमारे बीच ३६ का आँकड़ा : कुल खर्च 310 रुपयापरिणाम अच्छा रहा हो या बुरा,इस दिन को शायद ही कोई भूलता हो। हो सकता है कभी भूल हो भी जाए, लेकिन ब्लागजगत में आने के बाद तो यह कतई संभव नहीं है। यहाँ एक अदद डंडा लिए बी.एस.पाबला जो बैठे हैं। वे अकेले व्यक्त...विधवाओं के सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक अधिकारों को मत छीनो....शादी कार्ड में राष्ट्रीय चिन्ह, फंस सकते हैं विजेंद्रभारत के स्टार मुक्केबाज विजेंद्र सिंह अपने विवाह के निमंत्रण पत्र को लेकर मुश्किलों में फंस सकते हैं। उनके निमंत्रण पत्र पर राष्ट्रीय चिन्ह दर्शाया गया है और यह कानून के तहत एक तरह का अपराध है। मंगलवार 17.

वार्त्ता को देता हूँ विराम -- सभी को राम राम जाट का नया अविष्कार देखने अवश्य आयें..

गुरुवार, 19 मई 2011

साठ हज़ारी चर्चा : अशोक बज़ाज ने मारा दोहरा शतक और साथ में महाभारत काल का संजय ही सर्वप्रथम वेबकास्टर है

आज़ की चर्चा ब्लाग4वार्ता को साठ हज़ारी बनाएगी ?
 ललित जी बोले महर्षि ब्लागानंद महाराज़ ने जब से आश्रम में ब्राड बैण्ड कनेक्शन लिया है तबसे सम्पूर्ण तपोवन का वातावरण हायटेक हो गया है. ब्लागानंद महाराज ने आगे ऋषिओं को बताया कि :-कोसल-क्षेत्रस्य रायपुर नगरे  एकस्मिन अशोक बजाज महाभागा वसिस्यामि .हे ऋषियों वे आम आदमींयों में  डीपली घुस के रहते है. 
ऋषिगण उत्सुकता से बोले :-"यानी नेता हैं ..?"
हां..! सही कहा !! वे जन नेता हैं ऋषियो पर वे ब्लागिंग के खेला में दोहरा शतक मार चुकें हैं. 
यह सुन कर समवेत स्वरों में "अदभुत ! साधु ! साधु !! का कोलाहल गूंज उठा.  शांत ऋषियों शांत भव: इस प्रकार ऋषियों को शांत कर ब्लागानंद जी महाराज  बोले :-"हे सद शिष्यों, सच्चा लेखक वही होता है है जो कल्पनाओं की नहीं सच्चाई की बात ऐसे लिखता है जैसे कि वो कल कथानक या काव्य  लिख रहा हो !  " 
            एक ऋषि बोल उठा :- सोदाहरण बताओ मेहराज ! सारी सभा महाराज को  मेहराज ठिलठिला के हंस पड़ी.. ब्लागानंद भी मंद मंद मुस्कुराए बोले :- विदर्भ की विदुषी संध्या शर्मा की कविता देखिये 
ये नन्ही सी चिड़िया, मेरे बचपन की साथी,

 मुझसे बातें करती, मेरे संग थी गातीं .
इनका साथ मुझे खूब भाता,
पिछले जन्म का कुछ तो था नाता .
दिन भर इन्हें दाने थी चुगाती,
धूप में रहने पर माँ थी डांटती .
जैसे तैसे रात होती,
तो सपनों में मैं चिड़िया होती.
सुनहरे से पंखों वाली चिड़िया,
सुनहरी थी जिसकी दुनिया.
ज़ोर से दौड़ लगाती,
और दूर गगन में उड़ जाती.(आगे इधर से )
     ऋषिगण के मन में एक जिज्ञासा बार बार उछल कूद मचा रही थी बार बार अन चाहे पापअप सी उभर रही थी एक नहीं कईयों के मन में . ब्लागानंद की आंखों में लगे स्कैनर ने बांच लिया बोले :- डरो मत पूछो मुझे मालूम है कि क्या पूछना चाहते हो पूछो भाई पूछो ?
 महाराज देवयुग के महर्षि नारद प्रथम पत्रकार कहा जाता है किंतु संजय को वेबकास्टर का दर्ज़ा क्यों न मिला ?
        "हां, नारद को आदि पत्रकार आधुनिक लोग कह रहें हैं पर जबसे खटीमा प्रसंग हुआ तब से वेबकास्टर शब्द प्रचलन में आया किंतु किसी ने भी इस दिशा में नहीं सोचा वास्तव में महाभारत काल का संजय ही सर्वप्रथम वेबकास्टर है "
हे ऋषियों अब मुझे  शारीरिक व्याधि घोर कष्ट दे रही है मुझे दिशा मैदान जाना होगा कल रात आहार अधिक हो गया था तब तक आप लोग इन ब्लागों का पाठ ऊँचे स्वरों में कीजिये

17. संजय दृष्टि : धारदार पर बेअसर
अखबारों में ब्लाग 


 


अगली वार्ता लेकर हाजिर हूँ - रुद्राक्ष पाठक

ओसामा बिन लादेन नरक में यमराज से बोला एक USD (य़ूनिवर्सल सब्क्राइबर डायलिंग ) कॉल करनी है |
यमराज - कहाँ 
लादेन - पाकिस्तान 
यमराज - मिला लो
ओसमा कॉल करने के बाद, कितना बिल हुआ
यमराज - कुछ नहीं 
ओसामा - क्यों
यमराज - नरक टू नरक फ्री है 




लीजिये कुछ लिंक्स प्रस्तुत हैं 
बरमूडा त्रिकोण एक भारी बला
इसमें सारे घोटाले बाजों को भेजना तय है.
डरावने समाचार

अभी से साधू बनाओगे क्या भई
. . .है कोई माई का लाल ब्‍लॉगर ?
फ़िर भी किये जा रहे हैं.
न जाने कब आयेगा HAPPY MANS DAY
टूटने की कगार पे
ओसामा के बाद की राजनीति
साहबों से पूछते हैं 
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अब वार्ता पर विराम न होगा ये वादा  है रुद्राक्ष पाठक का 
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बुधवार, 18 मई 2011

दूसरी शादी करवाने राज भाटिया जी के पास पहुंचे ललित जी


 महर्षि ब्लागानंद बोले :- हे टिप्पणी जीवी ब्लाग मुनियो..!  ब्लाग मेट्रिमोनियल blog Matrimonial ब्लाग क्या बनाया भाई ललित जी को खबर लगी झट अपना बिना मूंछ वाला फ़ोटू भेज दिये पर उमर हुलिया सही लिक्खे तो राज जी ने पकड़ लिया .झट अभनपुर काल किये. फ़ोन श्रीमति शर्मा ने उठाया राज से सीता मैया को आज़ के राम की सारी कहानी बयान कर दी . 
मुनियों ने पूछा :-आगे क्या हुआ ?
होना क्या , आप लोग ललित जी को फ़ोन लगाओ, आवाज़ सुनके समझ जाओगे क्या हुआ.
तो हे मुनियों पाबला जी नामक ऋषि ने जो काम सम्हाला है उसे देख कर अखबार मालिक खुद आज़कल पाबला-चालीसा का पाठ कर रहे हैं देखो उनका कमाल 
नन्ही ब्लागर अक्षिता आकाशवाणी पर आने वाली है 

आकाशवाणी पर भी गूंजेगी पाखी की मासूम बातें


आज मैं पहली बार रेडियो-रिकार्डिंग के लिए गई, 



आकाशवाणी पोर्टब्लेयर में. यह पोर्टब्लेयर रेडियो स्टेशन में दोपहर में 12 बजे से स्टार्ट हुई और 12:20बजे तक चली.

यह सुन कर मुनि गण  पोर्ट ब्लेयर की ओर पुष्प वर्षा करने लगे. 

"उठो, चादर ठीक कर दूँ, सलवटें पड़ गई हैं |" मैंने कहा था | "और मन पे जो, छोड़ जा रहे हो, सलवटें, उनका क्या" उसने पूछा था | बिना उत्तर,


"आगे" एक ब्लाग है मल्हार जिस पर प्रकाशित पोस्ट बहुत अच्छी है ऋषि यो उस पोस्ट का शत-पाठ करने पर तुमको ब्रह्म ज्ञान मिलेगा " 
यहाँ पिता ने अपने पुत्र को गुरु मान लिया मकर संक्रांति के समय काले कौओं के बारे में बहुत सी पोस्टें पढ़ीं. कुछ कौवे तो बार बार ही अपने घर आते हैं परन्तु पहचानें कैसे. कुछ ऐसी ही समस्या 
जो ऋषि खुशदीप का सवाल हल करेगा उसे पुरूस्कार मिलेगा दिल्ली में 

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अब एक पाडकास्ट जी अर्चना चावजी पूरी तरह स्वस्थ्य हैं इस बात का सबूत देती हुई प्रस्तुति 
अपने ललित भाई आजकल हिन्दी ब्लागिंग के बड़े मास्साब बन गए हैं 
 
तीसरा खंबा में आपको कानूनी सलाह मिलती रहेगी  
  ऋषि बोले गुरु देव : - हमारे आगले तीन दिन कैसे होंगे 
महर्षि ब्लागानंद बोले :- "ऐसे" 

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