बुधवार, 13 जुलाई 2011

बस्तर यात्रा से वापसी के बाद लेट-लतीफ़ वार्ता .. ब्‍लॉग4वार्ता ... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, बस्तर यात्रा से वापसी के बाद लाए हैं आपके लिए लेट-लतीफ़ वार्ता। कुछ उम्दा लिंक्स के साथ ब्लॉग जगत की सैर कीजिए। न जाने क्यों आज विकल है मन, यात्रा के बाद थकान का असर है, क्या बच्चों को शिष्टाचार सिखाने के लिए घर में किसी पुरुष का होना जरूरी है? सवाल अच्छा है, इसके जवाब में वैदिक  वांग्मय कहता है -"माता निर्माता भवति"। संस्कार एवं शिष्टाचार माँ से ही आते हैं। पुरुष तो सिर्फ़ बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर है। गृहस्थी को सुधारती है गृहणी। बचपन हमारा संवारा माँ-बाप ने तभी तो कुछ होने लायक हुए हैं। अब जीवन तुम्हारा है बनाओ चाहे बिगाड़ो। माँ-बाप जन्म के साथी हैं कर्म के नहीं। मेंहदी रची हथेली में सुंदर बेल-बूटे हैं।

दोस्ती का हाथ बढाईए, मौसम खुशगवार है, सावनी बयार है, रिमझिम फ़ूहारों से, सराबोर दयार है। एक चिराग तो प्रेम का जलाओ दोस्तों,उससे मिलन न क्यों कर होता गर न कोई दीप उजाले के लिए जलाता। समझ वहीं से नया भोर है चहूँ ओर फ़ैला अंजोर है, भागेगा अंधिया, फ़ैलेगा उजियारा। कुसुम ठाकुर जी का जन्मदिन था, हमने शुभकामनाएं पहुंचा दी। बिहार के छतहार गांव से एक ब्लॉग प्रकाशित होता है, जो गांव की खबर के साथ  मुखियाजी की भी खबर लेता देता है।

अरे भई साधो मिट्टी के माधो ने मंत्री मंडल बदल लिया, काफ़ी हल चल मची। कांग्रेस का ताना बाना चरणदास को मंत्री बनाया, इंस्पेक्टर इसे गिरफ़्तार कीजिये, अरे काहे फ़िरफ़्तार करो, बिलावजह हगांमा मचाए हुए हो। गजब हे एखरो लीला, अपन नाम भुलाए गे अउ समुद्र के नाम ला सोरियावत हे। गजब के आईटम साँग हवे, मुरारी लाल लौट आए हैं ज़रा हंस भी लो !! हंसते-हंसते जीना सीखो, हंसते-हंसते उड़ना। श्री सांडनाथजी की सांडशाला  से विज्ञप्ति मिली है कि बाबाओं का मंगल ग्रह अभियान जारी है, हूई सब तैयारी है, कोई जाना चाहे तो नाम लिखाए, और सांडनाथ जी से दुलत्ती का प्रसाद पाए।

आम औरत की छवि बिगाड़ते टीवी धारावाहिक ...! इन पर मुकदमा करना चाहिए, गरीबी को भी अमीरी बनाकर पेश करते हैं, इनके षड़यंत्र बचना चाहिए देश एक, प्रधानमंत्री अनेक इनकी ली्ला ये ही जाने, हमारी तो मानी नहीं, सब उनकी ही माने। आयो कहाँ से घनश्याम बताओ कहां से आयो धन श्याम, कोई बताने के लिए तैयार नही है। बता दो तो एक बार फिर दुनिया को बदल डालेंगे समझे कि नहीं, कुछ तो समझा कीजिए मोहन जी।

बस आज इतना ही, मिलते हैं अगली वार्ता पर- राम राम

13 टिप्पणियाँ:

बढ़िया वार्ता ...शामिल करने का आभार

बहुत अच्‍छी वार्ता .. सचमुच देर आए दुरूस्‍त आए !!

जय हो बढ़िया सजा धजा के पेश हुयी वार्ता

शानदार वार्ता ...
मेरी ग़ज़ल ‘मेंहदी रची हथेली में ’ को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार.

बेहतरीन लिंक्स...अच्छी पठन सामग्री....

पहली बार यहां आया हूं। अच्छा लगा।

खुबसुरत लिंकों से सजी यह वार्ता ..यकीनन बहुत ही अच्छी हैं ..वर्षा जी की कविता ने दिल लुट लिया .......

देरी में भी सुघड वार्ता.

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी में किसी भी तरह का लिंक न लगाएं।
लिंक लगाने पर आपकी टिप्पणी हटा दी जाएगी।

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More