शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

हर मुश्किल का हल ...मीठी सी मुस्कराहट... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार . ब्लॉग की रचनात्मकता एक सुंदर से गुलदस्ते का प्रतिरूप है .  रचनात्मक विविधता ही इसकी सबसे बड़ी खूबी है . हम ब्लॉग दर ब्लॉग अलग -अलग रचनाकारों से रुबरु होते हैं , और उसी रचनात्मक विविधता से कुछ लिंक्स चुन कर लायी हूँ आपके लिए .....आइये इस सफ़र में आप भी मेरे साथ हो लें ......!

ग़ज़ल
चलो उस शख्स का एहतिराम कर लें , जो आंधियों में चिराग़ जलाने चला है | ना कोई लावलश्कर ना कोई कारवां , बस अकेले ही ज़माने से लड़ने चला है | मालूम है उसको शिकस्त ही मिलेगी , फिर भी वह किस्मत आजमाने चला है ...

मृग तृष्णा
जल देख आकृष्ट हुआ घंटों बैठ अपलक निहारा आसपास था जल ही जल प्यास जगी बढ़ने लगी | खारा पानी इतना कि बूँद बूँद जल को तरसा गला तर न कर पाया प्यासा था प्यासा ही रहा | तेरा प्यार भी सागर जल सा मन ने ज...

एक चुटकी-उच्च-मूल्य !
*सूना है कि* *जब उनके शौहर * *भ्रष्ठाचार में लिप्त पाए गए * *और जेल की सलाखों में * *कैद कर दिए गए ,* *तो क्षुब्द होकर वे * *उदंडी बाबा के आश्रम गई थी,* *ज्ञानी बाबा ने उन्हें * *जीवन में उच्च- मूल्यों को ...

चलना तो अकेले ही है !
कुछ किस्सों कहानियों में फिल्मों में प्रेम और वियोग की कविताओं में कहीं कोई मिलता है कोई बिछड़ता है सुखांत और दुखांत में कुछ पल आते ही हैं एकांत के काफिला बनता है नायक चलता है अपनी राह संघर्ष और अंतर्द्वंद ...

हर ब्लॉगर हिंदी का अनपेड एम्बेसडर हैः बालेन्दु शर्मा दाधीच
बाएं से बालेन्‍दु शर्मा दाधीच, वर्तिका नंदा और विजय कुमार मल्‍होत्रा नई दिल्ली। जाने-माने हिंदी तकनीक विशेषज्ञ औरप्रभासाक्षी.कॉम के संपादक बालेन्दु शर्मा दाधीच ने अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनके तहत एक कार्य...

गीत---जान लेते पीर मन की तुम अगर ...डा श्याम गुप्त
*जान लेते पीर मन की तुम अगर , * *तो न भर निश्वांस झर झर अश्रु झरते |* *देख लेते जो दृगों के अश्रु कण तुम,* *तो नहीं विश्वास के साए बहकते ||* *जान जाते तुम कि तुमसे प्यार कितना ,* *है हमें और तुम पै ह...

कन्यादान
मतलब क्या है इस कन्यादान का ? क्या ये सीढ़ी भर है नए जीवन निर्माण का ? या सचमुच दान ही इसका अर्थ है, या समाज में हो रहा अर्थ का अनर्थ है ? दान तो होता है एक भौतिक सामान का, कन्या जीवन्त मूल है इस सृष्टि ...

मेरा महबूब, मासूम दिल
बू-ए-गुल, रौशनी, रंग, नगमा, सबा हर हंसी चीज़ है मेरे जज़्बात के क़त्ल से आशना सिर्फ तुमको ही नहीं इल्म इस क़त्ल का मेरा दिल, मेरा महबूब, मासूम दिल ओढ़कर दाइमी दूरियों का कफ़न  दर्द के दश्त में दफन है...

रच दे प्यार तमाम
तुम हो मैं हूँ और हंसीं उन्मादी शाम आओ रच दे प्यार तमाम, अधरों को अधरों की आशा, नयनों में स्वप्निल परिभाषा, योवन न होए निष्काम आओ रच दे प्यार तमाम, मन की तृस्ना बंधन आशा, मौन समर्पण ...

गीत समर्पण का गाते हैं
गीत समर्पण का गाते हैं पुलक भरे जब अपने उर में साँझ ढले झर जाते हैं, सँग हवा के इक झोंके पर झूम झूम इठलाते हैं ! मनहर, कोमल, पुष्प धरा पर गीत समर्पण का गाते हैं ! लय और गति के सँग बंधे निज कक्षा में रह सि...

नयन ताकते रहे
बात जब तेरी उठी दर्द हो गये हरे, हो गये बयन निशब्द नयन ताकते रहे. थे तिरोहित कर दिये नयन के सब अश्रु जल, वक़्त की चादर तले ढक दिये सब बीते पल. रंग मेहंदी देख कर कसक अंतस में जगी, याद भी गहरा गयी स्वप्...

मेरी बात और है
*तुम जो चाहे सजा दे लो मेरी बात और है , मैंने तो मुहब्बत की है चाँदनी रात का भरम ही सही दिल जला कर रौशनी की है रूठ कर बैठा है मेरे घर में कोई बन्द दरवाजों से मिन्नत की है जिन्दगी यूँ भी गुजर जाती है...

तुम तक आने का रास्ता
बुझने से पहले, *मेरी आखिरी लौ* * को* इक रात, तुमने ही तो अपने हथेलियों की गुफाओ में छुपाया था मुझे, *"उसी दिन मै बस गयी थी तुम्हारे हाथो की लकीरों में * *पर आज भी नहीं ढूँढ पायी * *उन लकीरों से ...
 जब मैं चली थी तो तुने रोका नहीं वरना मैं रुक गयी होती | यादें साथ थी और कुछ बातें याद थी ख़ुशबू जो आयी होती तेरे पास आने की तो मैं रुक गयी होती | सर पर इल्ज़ाम और अश्कों का ज़खीरा ले मुझे जाना तो पड़ा बेकस...
खुशियों को दामन में भींचा किये हम , गमो को यूँ हर पल सींचा किये हम ; तन्हाइयों से बेचैन गमो में नैन , पर अहसासों भरे सपने देखा किये हम ; मजबूरियों की दास्ताने देखी , भावनाओं की शाने देखी , महका हुआ...
कटे बांस के दो टुकड़ों संग बंधी हुई डोरी। मैं पतंग हूँ उड़ना चाहूँ उड़ा मुझे होरी।। अरे ! संभल के ठुमकी ठुमकी नील गगन आया ढील न इतना खींच मुझे अब फटती है काया शातिर दुनियाँ छूट ना जाए अपनी यह जोरी। एक न...
*स्वामी विवेकानंद** **आज भी परिभाषित है** **उसकी ओज भरी वाणी से** **निकले **हुए वचन ;** **जिसका नाम था विवेकानंद !** **उठो ,**जागो , **सिंहो ;** **यही कहा था कई सदियाँ पहले** **उस महान साधू ने ,** **जि...
हम तो तुम्हारे इश्क़ मे आबाद हो गये.... दुनिया बता रही के हम बरबाद हो गये.... हालात भी अजीब हुए हैं तुम्हारे बाद... हम क़ैद हुए और तुम आज़ाद हो गये... मैं पास तुम्हारे, मगर हूँ दूर भी बहुत... तुम फूल बने औ...
पीड़ा का विस्तार कितना छोटा है संसार सत्य झांक रहा है सितारों के बीच से चल रहा था, चल रहा है झूठ का व्यापार नाव की पतवार संबल है मझधार जीवन की दुर्गम सुगम राहों पर होती रहती है, प्रभु की महिमा साकार जीत हो ...
(गिरीश"मुकुल") at मिसफिट Misfit
भाई हीरालाल बन गए हो तुम एक रिटेल ब्रांड तुम्हारी जलेबियों का वज़न कर दिया गया है नियत कितनी होगी चाशनी यह भी कर दिया गया है निर्धारित तैयार किया जा रहा है तुम्हारे नाम का एक प्रतीक चिन्ह तुम्हा...
कहते हैं लोग - 'सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो भूला नहीं कहलाता ...' लोग ! बहुत बड़े मन वाले होते हैं कितनी अच्छी सोच रखते हैं हमेशा - दूसरों के लिए ...! पर - सोचनेवाली बात ये है कि सुबह का भूला किस श...
*नि*शा और रेनू दोनों ही खेलने में मस्त थीं. पास ही एक पेड़ के नीचे बैठी उनकी सहेली कावेरी रो रही थी. तभी सामने से एक एक ज्योतिषी बाबा आते हुए दिखाई दिए, जोकि पूरे गाँव में भविष्य बताने के लिए प...
कर देती है दूर हर मुश्किल मेरी, बस एक मीठी सी मुस्कुराहट तेरी | थक-हार कर संध्या जब घर आता हूँ, बस देख कर तुझको मैं चहक जाता हूँ| देखकर हर दिखावे से दूर तेरे नैनों को, पंख मिल जाता है मेरे मन केमैनों को | जब...
इस बार - उसका पेट भूखा नहीं था ! इस बार - उसका गला प्यासा नहीं था ! फिर भी वह बहुत बेचैन - व्याकुल सा नजर आ रहा था ! उसकी बेचैनी - उबलती तड़फती बिलखती खुंखा...
क्या प्रेम भी तुच्छ और उच्च की श्रेणी में विभाजित हो सकता है ? कल एक चर्चा के दौरान मित्र ने कहा उसका 'स्त्री-प्रेम' तुच्छ है। वह केवल 'उच्च प्रेम' अर्थात ... 
साभार:गूगल बाबा दिन में सपने देखते ,अब गावों के लोग ! नेता रोटी खायेंगे,छोड़ के छप्पन-भोग !! बुत में परदा डालते,बनते हैं नादान ! सारे अच्छे काम हैं,घूँघट...
रायपुर स्टेशन पर वन विभाग की जड़ी बूटी दुकान रायगढ में रचना शिविर के आयोजित होने की मेल महीनों पहले प्राप्त हो चुकी थी। मैने भी शामिल होने की ठानी, क्योंकि ... 
सुर्ख मौसम में भी उदास है कोई होश गुम है बदहवास है कोई आसुओं से जल गए रुखसार जिसके अपने साए को भी भी नागवार है कोई आहटों को तौलता रहता है सन्नाटे को ...  
 चलते-चलते मेरी पसंद का एक गीत 

मिलते हैं अगली वार्ता में, नमस्कार...




10 टिप्पणियाँ:

पुष्प गुच्छ की तरह सजी यह वार्ता बहुत अच्छी रही |कई रंगों से सजी विविध विषयों पर लिंक्स और उनका संयोजन बहुत खूब रहा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा

खूबसूरत लिंक्स से सजी चर्चा !

दमदार असरदार वार्ता ...आज तो पढता ही रहूँगा ......! आपके प्रयास को ढेरों सलाम ..!

बढिया लिंकों से सजी वार्ता।

बढिया वार्ता की है आपने।
उम्दा लिंक, आभार

वाह ..
अच्‍छे लिंक्‍स ..
गीत भी बढिया ..
सुंदर वार्ता !!

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