सोमवार, 23 जनवरी 2012

इस अंजुमन में हम मेहमां ही अच्छे -- ब्लॉग4वार्ता -- ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, चिकित्सा के नाम पर ठगी करना कोई नया काम नहीं  है। जिस बीमारी का कोई ईलाज नहीं उसकी हजारों दवाएं और नुश्खे  मिल जाएगें। अगर बीमारी का कारगर ईलाज मिल गया तो एक ही दवाई से ठीक हो जाती है। छत्तीसगढ के दुर्ग शहर में रहने वाले ईस्माईल मोहम्मद द्वारा शुगर के ईलाज की दवाई दी जाती थी और इसका इतना अधिक प्रचार प्रसार हो गया था कि लोग दूर-दूर से दवाईयाँ लेने आते थे। यह दवाई की कीमत भी वसूल करता था। कुल मिलाकर धंधा अच्छा चल रहा था,लेकिन दवाई लेने वालों की शुगर कम होने की बजाए बढ जाती थी। जिसके कारण कईयों को अकाल मौत का सामना करना पड़ा। मैं स्वयं इसकी दवाई का परीक्षण कर चुका हूं। प्रशासन की निगाह अब इसकी कारगुजारियों पर पड़ी है। बस सलाह यही है कि नीमहकीमों से बच कर रहे तो जीवन बच सकता है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर, ………

मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गयादेवानंद की पुस्तक 'रोमांसिग विथ लाइफ' तो पूरी तरह पढ़ी नहीं, ... पुस्तकें इतनी महंगी हो गई हैं कि पढ़ने के थोड़ा-बहुत शेष रह गए मोह के बाद भी पसंद की सारी पुस्तकों को खरीद पाना संभव नहीं। कोई अच्छा पुस्तक...वोट मांगने की विविध शैलियांजैसे गायकी की विविध शैलियां होती हैं,घराने होते हैं, वैसे ही वोट मांगने की भी विविध शैलियां और घराने होते हैं। चुनावी मौसम में इन शैलियों की अदायग...इस अंजुमन में हम मेहमां ही अच्छेदर्द की पराकाष्ठा क्या होती होगी, ये पिछली रात जान गई थी। घुटनों में पेट दबाए बिस्तर पर पड़े हुए दर्द के एपिसेंटर को समझने की पूरी रात की कोशिश नाकाम गई। पीठ था या पेट, पैर या कमर, या दर्द से फटता सिर, अबत...

प्रयोगवादप्रयोग शब्द का सामान्य अर्थ है, 'नई दिशा में अन्वेषण का प्रयास'। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रयोग निरंतर चलते रहते हैं। काव्य के क्षेत्र में भी परवर्ती युग की प्रतिक्रिया स्वरूप या नवीन युग-सापेक्ष चेतन...रविवार!रविवार अर्थात इतवार सभी का प्यारा दिन होता है, स्कूल की छुट्टी, आफिस की छुट्टी, काम-धंधे की छुट्टी! रविवार याने कि मौज मनाने का दिन, नियम-बंधन से परे होकर मनमाफिक समय बिताने का दिन या फिर लम्बी तान कर सोने...चवन्नी चैप इन तोक्योचवन्नी चैप के सोल प्रॉपराइटर और इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट होल्डर भाई अजय ब्रह्मात्मज हाल ही में तोक्यो नमूदार हुए । मौक़ा था हॉलिवुड की मशहूर मकड़ी मानव शृंखला में एक और फ़िल्म की प्री-लॉन्च सेरेमनी का जो...

मेरी दो विपरीत रचनाएँइस तरह हाड तोड़ सर्दी ने * *कर दिए थे सारे उत्साह ठंडे * *जमने लगे थे सम्बन्ध * *परन्तु फिर भी श्न्वास की ऊष्मा * *उर्जावान बनाये हुए थी उन्हें * *नही तो शीत ने कहाँ कसर छोड...सूखे से बर्बाद हुआ अंकोरवाट पहले कहा गया था कि जिस शहर अंकोरवाट में दुनिया का सबसे बड़े मंदिर अंकोरवाट है, उस शहर का विनाश लंबी चली लड़ाईयों व जमीन के सही संतुलन न बनाए रखने ( अंधाधुंध दुरुपयोग ) के कारण हुआ। मगर अब नए शोध में कहा...महान -कृतिअभी पढ़ी कुछ रचनाकारों की आत्म-कथा तो ये रहस्य पाया कि वे सब रात के सन्नाटे में लिखते थे इसी तरह अपनी महान -कृति गढ़ते थे अब तो मैंने भी ठान लिया चाहे जो हो जाए मैं भी रात जगूँगी शायद एकाध महान रचना त...

बिगर परमान के मनुष्य आत्मा समानअनुभागिय अधिकारी दौरा म रिहीस। पटवारी अउ आर आई अपन-अपन दुघरा गे रिहीस। सरपंच ह अपन सारी के बिहाव म सरपंचीन दूनो अपन ससुरार म बइठे हे। गांव म कोनो हस्ताक्षर वाला सियान नइये अइसन बखत म आत्माराम ल मरना आगे। ...शब्द और लिखना ...........अब ये ही जीवन हैं लिखना उगना हैं एक विचार का , उगाना हैं ,शब्दों का और इन दोनों के मेल से अपने आप को छिलने जैसा हैं कि भीत...वह और हमवह और हम जब परमात्मा हमारे द्वार पर खड़ा होता है हम नजरें झुकाए भीतर उसे पत्र लिख रहे होते हैं भोर की पहली किरण के साथ हर सुबह जब वह हमें जगाने आता है करवट बदल कर हम मुँह ढक के सो जाते हैंजब किसी के अधरों स...

एक ठिठुरता वक्तव्ययह पूरा सप्ताह बड़े कष्ट में बीता। ठण्ड ने परेशान कर दिया। आयु के पैंसठवें वर्ष में चल रहा हूँ किन्तु याद नहीं आता कि ऐसी ठण्ड कभी भोगी-भुगती हो। मुमकिन है, आयुवार्धक्य और इसी कारण, शरीर की कम होती प्रतिरोध...लालसाएं अनगिनअनगिन लालसाएं अनगिन यात्राओं की न कोई पर्वत छूटे न जंगल न दरिया न पठार न बियाबान छूटे न सागर न रेत न तलछट न कोई...प्रवृतिआज यूँ ही छत पर डाल दिए थे कुछ बाजरे के दाने उन्हें देख बहुत से कबूतर आ गए थे खाने . खत्म हो गए दाने तो टुकुर टुकुर लगे ताकने मैंने डाल दिए फिर ढेर से दाने कुछ दाने खा कर बाकी छोड़ कर कबूतर उ...

'कविताएं अगर होती परियां'पिछले कुछ दिनों से रेडियोनामा पर ना तो शुभ्रा जी आ रही थीं और ना ही 'न्‍यूज़ रूम से शुभ्रा शर्मा' वाले स्‍तंभ की अगली कडियां। नया साल शुरू होते ही शुभ्रा जी ने दो अनमोल प्रस्‍तुतियां रेडियोनामा के लिए तै..रसोई में कुत्ता आया फिल्मों के कई गीतों में 'खस्ता' टाइप के बोल सुनाई दे जाते हैं जैसे किसी एक गाने में यह पंक्ति है - तम्बाकू नहीं है कैसे कटेगी सारी रात, बुढ़िया रोये..। प्रश्न यह है कि ऐसा साहित्यिक कृतियों में भी होता होग...ढाई बाई चार फुट की चौकीढाई बाई चार फुटकी चौकी जिसके चारों तरफलगे हैं हर कोनों पर उठेलकड़ी के मुठ्ठों से जुड़ी अलमुनियम के रॉडकी रेलिंग एक बच्चे के रात में सोतेसमय बिस्तर से गिरतेरहने की चिंता का परिणाम सुरक्षित पलंग। ...

नम निगाहें लिए...... मुस्कुराती रहीनम निगाहें लिए...... मुस्कुराती रही. इक सदा अनसुनी.... याद आती रही. अब कहाँ जाऊं ....अपनी खताएँ लिए, पहले सब गलतियाँ... माँ छिपाती रही. बिगड़े मौसम में भी लहरों पर बढ़ चली, कश्ती तूफ़ान को..... आजमाती रही....तिरंगा कहाँ छूट गयाइस आशा में कि फिर हर भारतवासी के दिल में देशभक्ति का समुद्र हिलोरें लेगा। आप सब को २६ जनवरी की ढेरों शुभकामनाएं। जय हिंद। चार-पांच दिनों बाद फिर एक बार तिरंगे की पूछ होगी। एक बंधी-बधाई परम्परा की जैसे खान...वज्र विश्वास..मज़बूत विश्वास की जड़ किसी तूफ़ान बहाव से नहीं हिलती विश्वास पानी में उठता बुलबुला नहीं जो मिट जाये एक पल में ही विश्वास सिद्धांतों से अडिग हैं जो नहीं बदलते किसी भी प्रयोग से....

वार्ता को देते हैं विराम,  मिलते हैं अगली वार्ता में, तब तक पढिए -फ़ेसबुकिया कबूतरी की गुड मार्निंग
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7 टिप्पणियाँ:

कई लिंक्स लिए वार्ता अच्छी लगी |
आशा

महत्वपूर्ण सलाह के साथ अच्छे लिंक्स... हमारी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...

चिकित्सा का व्यापार गज़ब है भई
बाक़ी लिंक्स उम्दा रहे

बढ़िया रही वार्ता .. काफी लिंक्स पढ़ने को मिले ..आभार

शानदार लिंक्स के साथ साथ जानदार पोस्ट
आभार आपको

काफी लिंक्स पर जाना बाकी है.आभार.

अच्‍छे लिंक्‍स ..
सुंदर वार्ता ..
आभार !!

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