मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

बदलाव की सुगबुगाहटें और इसबगोल की भूसी --- ब्लॉग4वार्ता -- संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को फेसबुक, याहू, गूगल और अन्य ऐसी वेबसाइट्स को आपत्तिजनक सामग्री हटाने के मुद्दे पर 15 दिनों के भीतर लिखित जवाब दायर करने का निर्देश दिया है।प्रशासनिक सिविल न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने वेब पृष्ठ पर आपत्तिजनक सामग्री प्रदर्शित करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट को चेतावनी दी।अदालत ने कहा कि वेबसाइट का कर्तव्य है कि आदेश पर अमल करते हुए वे अपमानजनक सामग्री को हटाएंगे।अदालत ने मामले को एक मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, "बचाव पक्ष को निश्चित रूप से 15 दिनों के भीतर लिखित बयान दर्ज करना होगा।"गूगल ने अनुपालन रिपोर्ट अदालत में जमा किया और कहा कि उसने निश्चित अपमानजनक सामग्रियों को वेबवाइट पर से हटा दिया है। देखना है , आगे क्‍या होता है ??

लोकप्रिय शायर -मुनव्वर राना की ग़ज़लें शायर -मुनव्वर राना सम्पर्क -09839050450 कई दशकों से अपने मुल्क और मुल्क की सरहदों को पार का गज़ल को हिन्दुस्तानी तहजीब में ढालकर लोकप्रियता के शिखर पर पहुँचाने वाले लोकप्रिय शायर का नाम है सैयद मुनव्वर दल बदल गए यार सारे ! *मन-बुद्धि में धन,शोहरत के,चढ़ गए खुमार सारे,* *जिस्म दुर्बल नोचने को, हैं गिद्ध,वृक तैयार सारे। * ** *बर्दाश्त न थी पलभर जुदाई, परम जिस दोस्त की, * *वक्त ने जब चाल बदली, दलबदल गए यार सारे। * ** लोदी गार्डन में पिकनिक --दे हर उम्र में ज़वानी का अहसास--- सुखी रहने के लिए स्वस्थ रहना ज़रूरी है । और स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है खुश रहना । ख़ुशी मिलती है जब मौसम सुहाना हो और दोस्तों का साथ हो । रविवार को सुबह तो बादल छाए थे लेकिन दिन चढ़ने के साथ ही रिलायंस डिजिटल - विज्ञापन में लुभावने ऑफ़र और दुकान में ऑफ़र में फ़ेरबदल, जनता के साथ धोखाधड़ी Reliance Digital - Differ offer then Ad in Newspaper in Store शूक्रवार के टाइम्स ऑफ़ इंडिया का विज्ञापन रविवार को देखा, तो रविवार को ही तत्काल टीवी लेने का मन बनाया। ऑफ़र में लिखा था किसी भी सीटीवी के बदले इतनी छूट दी जायेगी, जिसमें कोई स्टार वगैरह नहीं था, 

फदील सुल्तानी : बुत फदील सुल्तानी का जन्म १९४८ में ईराक में हुआ था मगर १९७७ से वे लंदन में रह रहे हैं. उनकी कविताएँ तमाम साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं. अरबी में उन्होंने बहुत अनुवाद भी किए हैं. * * * * * *बुत...जगह-जगह से उठ रही हैं बदलाव की सुगबुगाहटें! 2012 की शुरुआत एक ऐसे समय में हुई है जब लीबिया में गद्दाफी की तानाशाही खत्म हो चुकी थी और विश्व के दूसरे कोनों से क्रांति की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं। ज्यों-ज्यों 2012 आगे बढ़ रहा है अशांति बढ़ती जा रही ह...सिद्दीकी का चुनावी विज्ञापन उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जमात को लुभाने के लिए कानून मंत्री सिद्दीकी ने सभी चुनावी आचार संहिता को धत्ता बताते हुए मुस्लिम-आरक्षण का विज्ञापन देने की चेष्टा की। लेकिन एलेक्शन-कमीशन ने इस प्रकार के घटिया '


एक प्राकृतिक और चमत्कारिक औषधि इसबगोल की भूसी। आज के भाग-दौड के जमाने में खुद को चुस्त-दुरुस्त रखना टेढी खीर है। ना ढंग सेखाना हो पाता है ना सोना। हर समय अफरा-तफरी, पीछे छूट जाने का भय, काम का तनाव, भागते-भागते हीदिन-दोपहर-शाम निकलते जाते हैं। अनचाहे बालों का सही उपचार है लेज़र अनचाहे बाल महिलाओं की एक आम समस्या है। महिलाओं के चेहरे पर पुरुषों जैसे बाल आ जाने से बहुत ही दुखद स्थिति बन जाती है। आमतौर पर ठोड़ी और होंठ के ऊपर बाल आते हैं। *कारण * *हारमोनल **समस्याएँ* : महिलाओं....भय को हराना विनय बिहारी सिंह ऋषियों ने कहा है कि भय, क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष आदि हानिकारक भावनाएं हैं। इनसे जितना दूर रहा जाए, अच्छा है। इनमें भय सबसे पहले है। मनुष्य को किसी रोग का, किसी अनहोनी का भय सताता रहता है।.

वह मन के हर कोने में व्याप्त हो! दुखी रहते हैं क्यूंकि भूल नहीं पाते हैं क्रोधित होता है मन और सब रस्ते खो जाते हैं सोचते हैं... फिर खुद को ही समझाते हैं वो ज्ञान चक्षु ( ? ) है ही नहीं अपने पास... तिकड़म इस जहान के हम समझ नहीं पाते हैं! मलुवा या हलुवा सामरिक मह्त्व की सड़क कहलाती है सर्पीले पथों से होते हुवे किसी तरह तिब्बत की सीमा को कहीं दूर से देख पाती है छू नहीं पाती है एक वर्ष से ज्यादा बीता जा रहा है प्राकृतिक आपदा का प्रभाव जैसा था वैसा ही है हर गु...इन दिनों मनचीता ताप है इन धूपीले दिनों में जिसे चाहने पर ओढ़ना है अनिच्छा होने पर, मुख मोड़ लेना… भोर में खिले मयंक को देखा-अदेखा किया जाता है जैसे . जनवरी विदा होकर ,फरवरी को सौंप गयी लंबे पहरों की बागडोर अलसुबह यूँ मिलते हुए, देखा है कभी दो जीवन? अपनी हथेलियों में कुछ बूंदें समेट कर ले आई हूँ, पत्तों पर से उन्हें उठाते हुए... नमी से भींग गया मेरा मन! उन बूंदों में कलम की नोक डुबो कर सोख ली कुछ आशाएं, सहर्ष ही बूंदों ने नोक को विश्वस्तता भी दी; कहाँ ...

उफ़ *उफ़ ..* *कितना अभिमान है मुझे* *अपने इन सुलझे धागों पर * *जिन्हें पल पल गाँठ पे गाँठ * *पर सुलझाया है * *कुछ सीधा सा डोर * *दिखता है अब दूर से * *सिमटा हुआ सा * *महसूस होता है ये दायरा..* *पर अब अंत में *...क्या सरकारी आरक्षण का फायदा सही लोगों को मिल पाता है? सरकार ने आरक्षण का प्रावधान इसलिए किया है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग के जो लोग लोग सामान्य वर्ग से पीछे रह गए हैं, बराबरी पर आ जाएँ। अब मान लीजिए कि किसी व्यक्ति को आरक्षण का फायदा मिला गवाक्षों से झांकते पल.. फरवरी के महीने में ठंडी हवाएं, अपने साथ यादों के झोकें भी इतनी तीव्रता से लेकर आती हैं कि शरीर में घुसकर हड्डियों को चीरती सी लगती हैं.फिर वही यादों के झोंके गर्म लिहाफ बनकर ढांप लेते हैं दिल को, .हम बुलबुल मस्त बहारों की, हम बात तुम्हारी क्यों मानें ? -सतीश सक्सेना *एक दिन सपने में पत्नी श्री से कुछ ऐसा ही सुना था ,समझ नहीं आया कि यह सपना था कि हकीकत ....* *हास्य रचना का आनंद महसूस करें, मुस्कराएं..... **ठहाका लगाएं ! * *हो सकें तो सुधर भी जाएँ ...* *:-)* * * *जब से ...

अंधेरों में, नाविल.. *चेहरे को* देखना कष्‍टकारी है, चेहरे से नज़र फेरकर लेखक स्‍त्री के पैर जांचने लगता है, मगर पैरों पर भी वही चेहरे की ही तस्‍वीर बुनी दीखती है. त्‍वचा खिंची-खिंची, रंग उड़ा-उड़ा. स्‍त्री के पैर भारी हैं. भ..."रूप तुम्हारा नया-नया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") *मित्रों !* *यह रचना मेरी पुरानी डायरी में लिखी हुई थी!* *आज आपके साथ साझा कर रहा हूँ!* *सतरंगी सा** **रूप तुम्हारा**,* *मुझको भाया नया-नया।* *सीपों में मोती बन आया**,* *रूप तुम्हारा नया-नया।*** *सागर के...आँखें ...तुम्हारी आँखें मादक ... जिज्ञासु ... नशीली हुई हैं ! क्या हुआ, क्या बात है कुछ बोलो कब तक, खामोश रहोगी बोलो कब तक ! क्या, मैं मान लूं ? तुम्हारी आँखों की बातें ! फिर मत कहना मैंने, पूछा नहीं !!अच्छे मौक़े का इल्म कभी-कभी वक़्त हमसे बहुत आगे निकल जाता है और हम उसे तलाशते रह जाते हैं। वेलेंटाइन डे अपनी दस्तक देने लगा है। कुछ लोगों के लिए यह एक ख़ास दिन होता है। सारे संसार में यह दिन एक विशेष अवसर के रूप में मनाया 

संस्कृत और शऊर ● जितनी समृद्ध भाषा संस्कृत है इतनी पूरी दुनिया में कोई भाषा नहीं..... इसमें जुबाँ के हर मोड / हर एंगल / हर आकार से निकली ध्वनि को अभिव्यक्त करने के लिए कोई ना कोई शब्द अथवा शब्द संमूह मिल जायेगा... ● उम्र कैद की सजा काटने को विवश होती हैं................ सुना है उम्र के उस दौर में जब सब जिम्मेदारियों से निवृत हो जाते हैं तब एक बार फिर ऋतुराज का पदार्पण होता है जीवन फिर नयी करवट लेता है एक बार फिर चिड़ियाँ आँगन में चहकती हैं मीठी- मीठी बतियाँ करती हैं ...वार्षिक संगीतमाला 2011 - पॉयदान संख्या 8: बदमाश दिल तो ठग है बड़ा...वार्षिक संगीतमाला की आठवीं पॉयदान पर पधार रही है दो भाइयों की नवोदित संगीतकार जोड़ी जो पिछले कुछ सालों से मराठी फिल्म उद्योग में अपने संगीत का परचम लहराते रहे हैं। ये जोड़ी है अजय और अतुल गोगावले की जिन्हो...

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मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ........

6 टिप्पणियाँ:

काफ़ी दिनों के बाद आपकी लिखी वार्ता पढने मिली। सुंदर वार्ता में उम्दा लिंक के लिए आभार

बहुत अच्छे लिंक... बहुत अच्छी वार्ता... बहुत दिनों बाद आपकी पसंद के लिंक्स मिले... आभार आपका

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नमस्ते संगीता,
असुविधा के लिए खेद है. आपकी समस्या के समाधान के लिए कृपया हमे अपना संपर्क क्रमांक reliance.digital.store@gmail पर दे. हम आपसे शीघ्र ही संपर्क करेंगे.

सुन्दर लिंक्स सुन्दर वार्ता .आभार.

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