मंगलवार, 31 जुलाई 2012

बरसा बादल, आई याद, वो पुरवाई, भीगी अमराई और... ब्लॉग4वार्ता-संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... छत्तीसगढ़ वासियों के लिए अच्छी खबर... बन गया छत्तीसगढ़ी का प्रशासनिक शब्द कोष. 75000 शब्दों को संकलित किया गया. 16  जुलाई को पहला भाग सार्वजनिक किया गया. अब आप भी गर्व से कह सकते हैं...  "हमर राज म अब होही अपन भासा म राज-काज" हम सब की ओर से समस्त छत्तीसगढ़ वासियों को बधाई एवं शुभकामनाये...  लीजिये प्रस्तुत है,  आज की ब्लॉग वार्ता...

तिलिस्म सुमि अचानक हुई बारिश से घबरा कर तेज़ कदम चलने लगी. वैसे ये इतनी भी अनायास भी नहीं थी ये बारिश . बादल तो सुबह ही से थे पर उसे नहीं मालूम था ऐसे ही भिगोने लग जाएगी .घर से चलते हुए माँ ने छाता ले जाने को कहा...ममा का हैपी बर्थ-डे आज 30 जुलाई को ममा का हैपी बर्थ-डे है. पहले तो सोचा था कि स्कूल से आकर ममा का बर्थ-डे सेलिब्रेट करेंगें, पर सुबह-सुबह मैसेज आया कि आज रेनी-डे के चलते हालीडे है...हुर्रे. अब तो दुगुना इन्जोय्मेंट. कैसा है सम्बन्ध  मैं दीपक तुम बाती मिट्टी मेरी माँ हूँ कठोर नष्ट तो हो सकता हूँ पर जल कर राख नहीं तुम बाती जन्मीं कपास से आहार जिसे मिला मेरी ही माँ से तुम कोमलांगी गौर वर्ण स्नेह से भरपूर ज्वाला सी जलतीं कर्तव्य समझ अपना ...

उपन्यास सम्राट : मुंशी प्रेमचंद * * *उपन्यास सम्राट: मुंशी प्रेमचंद* *खूबसूरती वह है,जो आखों को अच्छी लगे और दिल को भी सुकुन दे। कुछ चीजें देखने में** **खूबसूरत होती हैं और कुछ चीजें व्यवहार में, संस्कार में खूबसूरत होती हैं।यह जरूरी ... त्रिदेव मंदिर की झांकी  चलिए आज आपको वाराणसी में तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर के बीच स्थित त्रिदेव मंदिर के दर्शन कराते हैं। आज रविवार की शाम त्रिदेव मंदिर में सावन के श्रृंगार की अलौकिक झांकी सजाई गई। वृंदावन के फूल ...बेटी बचाओ अभियान : आडियो डाक्यूमेंट्री बेटी बचाओ अभियान के तहत संयुक्त संचालक एकीकृत बाल विकास सेवा जबलपुर सम्भाग द्वारा प्रस्तुत आडियो डाक्यूमेंट्री सम्भाग में प्रचार प्रसार के लिये बेहद...

आखिर क्यों...? . * *तुम्हे **जरुरत **क्या **थी * *मेरे ख्वाब में आने की,* * बसकर **रूह में **फिर से* *एक आग लगाने की...?* ** *तुम्हे **जरुरत **क्या **थी* *दस्तूर निभाने की,* *सूखे हुए पलकों को * *अश्कों में भिंगाने की.....आस्था और विश्वास चंद लोग बदल देते हैं समाज की दशा और दिशा हम ऐसा क्यों मान लेते हैं? एक अपवाद बन गया समाज का प्रतिबिम्ब? आस्था और विश्वास की बुनियाद हिल गई? एक आदमी की हरकत से एक फकीर से सुनी कहानी याद आ गई एक बार... भाई बहन का पवित्र बंधन .भाई बहन का ये पवित्र त्यौहार पुरे भारत वर्ष में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है |बहने अपने भाई की कलाई पर राखी (रक्षा कवच )बाँधती हैं | ये कवच जहाँ भाई की तो रक्षा करता है पर बहन की रक्षा करने की भी ...

मिठ्ठे मासूम मुस्कानों के पीछे से बच्चों के पैरो में बेबसी के कोयले पोते जाते रहे दूसरे किनारें पर लटकता सूरज सुबह सुबह भूख उगाता रहा पीने के लिये कीटनाशक मिलते इतनी सडकें सख्त की चलना उसपर मुश्किल तरीका बनता गया भूले भटके लोंगो की..बादल बहुत बरसा उस दिन... बादल बहुत बरसा उस दिन... आम की इक डाल से अटकी चप्पल... गुमसुम बारिश में भीगी भीगी... तन्हा आँखों से कुछ तलाशती... कुछ दोस्त थे इसके... एक नन्हा पाँव था... कुछ गुदगुदाती उंगलियाँ.... जो हमेशा इसे साथ मे लिए....वक़्त का इंतज़ार सही नहीं ... मैं नहीं समझ पाती उनको , उस वक़्त को जो बिना किसी आकस्मिक सूचना के सुनामी ले आते हैं और मैं किसी अनजान सड़क पर दूर दूर तक संवेदनशीलता की तलाश में किसी अपने को तलाशती हूँ..

आत्मा का आहार *दुनिया कैसी हो गई, छोड़ें भी यह जाप, सब अच्छा हो जायगा,खुद को बदलें आप। दोष नहीं गुण भी जरा, औरों की पहचान, अपनी गलती खोजिए, फिर पाएं सम्मान। धन से यदि सम्पन्न हो, पर गुण से कंगाल, इनका संग न कीजिए, त्याग... निम्बोली -*याद मुझे वो सावन आया* *आई याद वो पुरवाई..* * याद मुझे है अब भी-** * *गाँव की भीगी अमराई* *उस बूढ़े पेड़ की कोटर में * *चिड़िया का बच्चा...* *और याद मुझे वो कोयल आई.......* *नंगे पाँव-** * *वो लुक... रात भर... -*करके वादा कोई सो गया चैन से * *करवटें बदलते रहे हम रात भर !!१!!* *हसरतें दिल में घुट-घुट के मरती रही * *और जनाज़े निकलते रहे रात भर !!२!!* *रात भर चांदनी से लिपटे रहे वो * *हम अपने हाथ मलते रहे रात भर !!३!..

जय हिंद ... - जिस घड़ी वे अपने आँख के चश्मे पे पडी धूल पौंछ लेंगे 'उदय' फिर उन्हें, अनशन-आंदोलन में कोई देश-द्रोही नहीं दिखेंगे ? ... हौसला तू रख, हमारी जीत होगी ... अन्ना का आंदोलन - अन्ना का आंदोलन साधारण गरीब जनता का आन्दोलन है और सरकार सच्चे मन और राष्ट्रीय भावना के साथ उन मांगों को पूरा करें जिससे इस देश का सर्वांगीण आर्थिक विकास और... .जनलोकपाल और भ्रष्ट नेता - हरेश कुमार इस देश में कुछ ऐसे लोग हैं जो किसी जना-आंदोलन का समर्थन तो नहीं करते, हां, मीन-मेख निकालने में थोड़ी भी देरी नहीं करते। ऐसे लोगों को मालूम हो... 

चिरंजीत, चम्पक और स्कर्ट - पश्चिम बंगाल उत्तरी २४ परगना के बारासात में जिस तरह से ट्यूशन पढ़कर घर वापस आ रही कक्षा १२ की लड़की के साथ रात में १० बजे कुछ लड़कों ने छेड़खानी की... आधा सच...: दिल्ली : जंतर मंतर से live ... - आधा सच...: दिल्ली : जंतर मंतर से live ...: जं तर-मंतर पर भव्य मंच तो सजाया गया है इसलिए कि लोगों को बताया जाएगा कि भ्रष्टाचार के चलते देश कहां पहुंच गया है...भीड़ नहीं ,पलते हुये सपनों से तौलें जंतर-मंतर को - वही जंतर-मंतर। वहीं अन्ना टीम। वहीं मांग। रास्ता कैसे निकलेगा। सुबह से आधी रात तक हरी दरी पर बैठे बदलते चेहरों के बीच यह एक सामान्य सा सवाल है... 
 
 लेते हैं विराम मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ........

सोमवार, 30 जुलाई 2012

भूल तो तुमसे भी हुई है ... ब्‍लॉग4वार्ता ... संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी को नमस्‍कार ,  उत्तर भारत के 7 राज्यों में बत्ती गुल हो गई है। बताया जा रहा है कि नॉर्दन ग्रिड में खराबी आ गई है जिसके बाद रात के दो बजे बिजली चली गई। जिन राज्यों में बिजली की सप्लाई पर असर पड़ा वो हैं दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़। घरों, अस्पतालों और रेलवे स्टेशन पर बिजली की सप्लाई नहीं होने से हाहाकार मच गया है। बिजली कटौती से रेलवे यातायात भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर तीन घंटे से किसी भी ट्रेन की आवाजाही नहीं हुई है। बिजली कटौती की वजह से दिल्ली मेट्रो आज नहीं चलेगी और जब तक बिजली नहीं आती मेट्रो नहीं चलेगी। बताया जा रहा है कि यूपी और हरियाणा बिजली की ज्यादा खपत कर रहा था जिसके बाद ट्रिपिंग हुई और नॉर्दर्न ग्रिड फेल हो गया।इस खास खबर के बाद चलें आज की वार्ता पर .....
अमरनाथ यात्रा को हर लिहाज से सुरक्षित बनाया जाएयह बहुत संतोष की बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रियों की मौतों पर असंतोष जताते हुए एक पैनल की नियुक्ति की है जिसका उद्देश्य होगा कि अपने ही फासले : सरोजकुमारसपनों के पैताने अमलतास बिस्तर पर सिरहाने च्यवनप्राश! तन-मन की दूरी को जीवनभर नापते घाव हुए पैर रिसे हाँफते-हाँफते! सपनों में मेघदूत आवारे जीवन में खिड़की भर हरी घास!कैसा है सम्बन्धमैं दीपक तुम बाती मिट्टी मेरी माँ हूँ कठोर नष्ट तो हो सकता हूँ पर जल कर राख नहीं तुम बाती जन्मीं कपास से आहार जिसे मिला मेरी ही माँ से तुम कोमलांगी गौर वर्ण स्नेह से भरपूर ज्वाला सी जलतीं कर्तव्य समझ!


त्रिवेणी हर किसी की सुनी सुनाई बचपन की वो एक कहानी * * सफ़ेद घोड़े पर राजकुंवर और एक वो परियों की रानी ..* * * *हर लड़की का नसीब है उलझना ख्वाबो के भ्रमजाल जाल में !* दिल जीतने के लिएमीठी बातें मुस्कराता चेहरा ही काफी नहीं होता किसी को लुभाने के लिए साथ हँसना पड़ता साथ रोना पड़ता विश्वास जीतने के लिए लेने के साथ देना भी होता है रिश्तों को निभाने के लिए बहुत कुछ सहना होता है भूल तो तुमसे भी हुई हैहे प्रभु जब तुमने नारी को बनाया तो क्यों उसे इतना कोमल कमनीय बनाया कि इस निर्मम संसार में चहुँ ओर पसरे दरिंदों से अपनी रक्षा करने में वह कमज़ोर पड़ जाती है ,
त्रिदेव मंदिर की झांकी चलिए आज आपको वाराणसी में तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर के बीच स्थित त्रिदेव मंदिर के दर्शन कराते हैं। आज रविवार की शाम त्रिदेव मंदिर में सावन के श्रृंगार की अलौकिक झांकी सजाई ग आधा सच...: दिल्ली : जंतर मंतर से live ...जं तर-मंतर पर भव्य मंच तो सजाया गया है इसलिए कि लोगों को बताया जाएगा कि भ्रष्टाचार के चलते देश कहां पहुंच गया है।विज्ञान से जुड़ा है विज्ञान कथा का भविष्य(तस्‍लीम द्वारा आयोजित 'क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन' दो दिवसीय (26-27 दिसम्‍बर, 2011) कार्यशाला में दिया गया वक्‍तव्‍य) विज्ञान से जुड़ा है विज्ञान कथा का भविष्य!


" इंतज़ार.........."खबर जब से हुई, आने की उनकी , खलबली सी मची क्यूँ है | *ऐसा तो पहले कभी न था ,* *एक अच्छी सी बयार चली क्यूँ हैं |* वो आयें ख्वाहिश उनकी , दीदार हो जाएँ हसरत अपनी, पर सबमें बेचैनी इतनी बढ़ी क्यूँ हैं |आस्था और विश्वासचंद लोग बदल देते हैं समाज की दशा और दिशा हम ऐसा क्यों मान लेते हैं ? एक अपवाद बन गया समाज का प्रतिबिम्ब ? आस्था और विश्वास की बुनियाद हिल गई ? एक आदमी की हरकत से एक फकीर से सुनी कहानी याद आ गई एक दिन देश के बड़े साहित्यकार ....डॉ नामवर सिंह जी के साथ* डॉ संदीप अवस्थी द्वारा भेजा गया निमंत्रण ...जिस की वजह से हम डॉ नामवर सिंह जी से मिल सके ...* डॉ नामवर सिंह जी को अपना पहला *काव्य संग्रह क्षितिजा* भेंट किया ...जिसे उन्होंने सप्रेम स्वीकार किया!


इस गम को मात मिल जायेगी...फिर इस गम को मात मिल जायेगी के जब कज़ा से हयात मिल जायेगी सब भूल कर के हम भी सोयेंगे बहुत पुर-सुकून जब वो रात मिल जाएगी मैं जितने जवाब खोजूंगा इसके लिए जिंदगी ले नए सवालात मिल जायेगीमिठ्ठे मासूम मुस्कानों के पीछे सेबच्चों के पैरो में बेबसी के कोयले पोते जाते रहे दूसरे किनारें पर लटकता सूरज सुबह सुबह भूख उगाता रहा पीने के लिये कीटनाशक मिलते इतनी सडकें सख्त की चलना उसपर मुश्किल तरीका बनता गयहानि-लाभ ...."जुताई करते करते एक जगह उसका हल जमीन में अटक गया| आसपास खोदने पर पता चला कि कोई कलश गड़ा हुआ है| स्वाभाविक है कि उस कलश में स्वर्ण मुद्राएँ ही थीं|!
आज के लिए बस इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ....

रविवार, 29 जुलाई 2012

ज़िन्दगी आ रही हूँ मैं....ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी  का नमस्‍कार , भ्रष्टाचार के खिलाफ टीम अन्ना के अनिश्चितकालीन अनशन के दौरान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर हमला जारी रहा वहीं अन्ना हजारे ने लोकपाल के मुद्दे पर रविवार से आमरण अनशन की चेतावनी दी। इस बीच, शाम को जंतर मंतर पर समर्थक भारी संख्या में उमड़े।हजारे ने जहां रविवार से आमरण अनशन पर बैठने की बात कही, वहीं अरविंद केजरीवाल ने अन्ना से अपील की कि उनके प्राण देश के लिए जरूरी है और सेहत को देखते हुए उन्हें अनशन पर नहीं बैठना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आजादी के तुरंत बाद देश ने गांधी को खो दिया, संपूर्ण क्रांति आंदोलन के बाद देश ने जल्द ही जेपी (जयप्रकाश नारायण) को खो दिया और अब देश यह सहन नहीं कर पाएगा कि अन्ना की सेहत भी बिगड़ जाए।इस खास खबर के बाद आपको लिए चलते हैं आज की वार्ता पर .........
सुबह की चाय और अखबार *सुबह की चाय और अखबार की ताज़ा खबर दोनों साथ हों तो इसका अलग ही मज़ा हैं (कड़वा सा )| खुद से अखबार उठा कर लाना और चाय बनाना दोनों काम साथ ही होते हैं रोज़ चाय का पानी उबलता हैं!  तिलकराज कपूर की ग़ज़लें रचनाकार का वक्तव्य ------------------- तिलकराज कपूर ग़ज़ल कहने की मेरी प्रक्रिया और किसी अन्‍य की प्रक्रिया में शायद ही कुछ अंतर हो। बस यकायक कोई शेर बन जाता है,क्षणिकाएँ...एक जरा सी शुरूआत भी बला की तूफ़ान ले आती है फिर तो हलकी सी थपकी भी जोरदार चपत लगा जाती है . *** कोई कैसे बताये कि कौन किसपर भारी है हँस जीते या फिर बगुला सिक्का-उछालू खेल जारी है कैसे हाँ कहूँ ? जब ना कहना चाहता हूँ ? कैसे हाँ कहूँ ? जब ना कहना चाहता हूँ ? पर ना भी कैसे कहूँ? समझ नहीं पाता हूँ झंझावत में फंसा हूँ रिश्तों के बिगड़ने का खौफ दुश्मनी मोल लेने का डर मुझे ना कहने से रोकता है!

यह ज़िन्दगी भी अज़ीब मेला है  वो कहां है, कैसा है, है भी कि नहीं, ख़ुदा के वास्ते न सोच बड़ा झमेला है कहीं पे राग-रंग कहीं पे ग़म का समन्दर, यार! यह ज़िन्दगी भी अज़ीब मेला है। ज़िन्दगी ने ठोकरें देकर जिसे सिखाया है,आयाम बिंधने के कभी कभी बिना बिंधे भी बिंध जाता है कहीं कुछ सूईं धागे की जरूरत ही नहीं होती शब्दों की मार तलवार के घाव से गहरी जो होती है मगर कभी कभी शब्दों की मार से भी परे कहीं कुछ बिंध जाता है और वो जो बिंधना होता है...सोच रहा हूँ *अभी अभी फेसबुक पर यह चित्र देखा ;इसे देख कर जो मेरे मन ने कहा ,वह प्रस्तुत है- * साभार : फेसबुक मन की कलम में बादलों की स्याही भर कर सोच रहा हूँ कुछ लिख दूँ देवालय से दुर्ग राणकपुर से कुम्भलगढ़.देवालय से दुर्ग की ओर.जैन मंदिर परिसर के विशाल काष्ठ-द्वार से प्रस्थान.पहाड़ों की विनम्र ऊंचाइयां और ढलानों का सौहार्द्र.अरावली यहाँ प्रार्थनाएं बुदबुदाता लगता है.
सुगम के माने सौ - सौ ग़म, यह मान लीजिये  * * *साथियों, इन दिनों मेरे शिक्षा विभाग में ट्रांसफर को लेकर बड़ी उथल पुथल मची हुई है, सुगम और दुर्गम को लेकर भारी बमचक मची है | दुर्गम में फंसे हुए अध्यापक सुगम में आने को बेकरार हैं। इस शहर में हर शख्स परेशां सा क्यूँ है 'अपना बिहार' दोड़े जा रहा है विकास की पटरी पर...बड़े-बड़े दावे ....बड़ी-बड़ी बातें...खूब बड़े आंकडे .....सब कहते है विकास हो रहा है...मै भी गर्व से भर जाती हूँ...अकड़ जाती है गर्दन.गंगा घर से बह रही हो तो कोई कैसे ना नहाए ?*पर कोई करे भी तो क्या, इन इच्छाओं, कामनाओं, लालसाओं से बचा भी तो नहीं जा सकता। अब हर कोई महात्मा गांधी या लाल बहादुर शास्त्री तो हो नहीं सकता !!!* महत्वाकांक्षा हर इंसान में होती है। होनी भी चाहिए  कोई दिन ... सावन अधछलके मेघ आँगन से उड़ गए बाट तकत नैन डयोढ़ी पर जड़ गए नभ रीता पंछियों से तितलियों से पात कुंज सूना कोयलों से जुगनुओं से रात ...
बहरा राजा ,गूंगी प्रजा तो यह बलिदान किसलिए? टी वी देख रही थी तो देखा बार -बार इसी बात पर चर्चा हो रही है या कहिये की आज का मुद्दा ही यही है चेनलों के पास कि अन्ना के अनशन में भीड़ नहीं दिख रही! लिजीये भीड़ हो तो समस्या .कहती है नैना हसूँ अब मैं कैसे."कहती है नैना, हसूँ अब मैं कैसे" बयाँ हाले दिल का करूँ अब मैं कैसे खलिश को छुपाकर रहूँ अब मैं कैसे बुझी कब ख्वाहिश नहीं इल्म मुझको है तन्हाइयाँ भी सहूँ अब मैं कैसे तुलसी रस का व्याधि में सर्वोत्तम उपयोग*कुँवर कुसुमेश * ज्वर-जुकाम-कृमि-नासिका,या हो खासी रोग. तुलसी रस का व्याधि में,सर्वोत्तम उपयोग. सर्वोत्तम उपयोग,बिना पैसे घर चंगा. निर्धनता भी डाल न पाए कोई अड़ंगा. क्यारी या गमले में तुलसी रखें Dदया Nनहीं Aआती ?*आज इन तमाम * *तपस्वी नर-नारायणों और * *अप्सरा उज्जलाओं को * *अगर खुदा ने रखा * *महफूज़ हर बला से !* * * *तो देखते जाओ, * *आगे-आगे होता है क्या, * *कितने और कलयुगी * *नाजायज बापों के * *डीएनए टेस्ट करता है।


स्वर्ग मही का भेदस्वर्ग का नाम आते ही उसके अस्तित्व पर प्रश्न खड़े होने लगते हैं, गुण और परिभाषा जानने के पहले ही। यद्यपि सारे धर्मों में यह संकल्पना है, पर उसके विस्तार में न जाते हुये मात्र उन गुणों को छूते हुये निकलने ज़िन्दगी आ रही हूँ मैं....!ज़िन्दगी आ रही हूँ मैं....! अब आप लोगों से 2 महीने तक शायद बात न हो पाए.... लेकिन फिर हमरा कोई भरोसा भी तो नहीं... शायद आपके बीच हम कहीं नज़र आ जायें :) बेल्जियम, दिल्ली, राँची , बनारस, कुनकुरी, कटक,  एक नन्हा जंगली फूलनन्हा फूल जो चुन लाया चैतन्य बच्चों के मन की संवेदनशीलता और सोच को आँक पाना हम बड़ों के लिए असंभव ही है । आमतौर पर बड़े बच्चों के विषय में सोचते रहते हैं कि उनके लिए क्या लायें....?मूठ / मुंशी प्रेमचंदइस महीने की 31 तारीख को प्रेमचन्द जी का जन्मदिन है और यह पूरा मास हम “राजभाषा हिंदी” ब्लॉग टीम की तरफ़ से प्रेमचन्द जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के ऊपर कुछ पोस्ट ला रहे हैं।

मोदी की छवि चमकाने वालों से समाजवादी पार्टी ने पल्ला झाड़ा दिल्ली एक उर्दू साप्ताहिक अखबार के संपादक के साथ गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू आज यहाँ ज़बरदस्त चर्चा में है. मौत को अपने साथ लिए चलता हूं मैं मौत को अपने साथ लिए चलता हूं मैं गैरों से नहीं अपनों से ही डरता हूं मैं शिकारी बैठे हैं ताक में यहां यही सोच के बहुत ऊँचा उड़ता हूं मैं मुझे है अपनी मंजिल की तलाश उसे ही हर पल ढूंडता हूं।  आखिर ये दंगे होते ही क्यों है1948 के बाद भारत में पहला सांप्रदायिक दंगा 1961 में मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में हुआ ! उसके बाद से अब तक सांप्रदायिक दंगो की झड़ी सी लग गयी ! बात चाहे 1969 में गुजरात के दंगो की हो!

बूढ़े पे हंस रहे हैं ?  कुछ लोग खुश हैं, नाच-गा रहे हैं जीत के भ्रम में हैं ... जश्न मना रहे है ! 'उदय' ये कैंसे लोग हैं, जो - बूढ़े पे हंस रहे हैं ? यह कहकर, यह सोचकर कि - मर गया ... आंदोलन ! नहींशरण में उसकी आना होगा जिसका* मन स्थिर नहीं है, वह क्षण-क्षण में रुष्ट-तुष्ट होता है, और ऐसे मन का विश्वास नहीं किया जा सकता. हम स्थिर मना बनें यही साधना का लक्ष्य है. भगवद् गीता का मूल उपदेश भी यही है. इसका उपाय भी...अल्लाह पे भरोसा कर!निकला जैसे ही- अपने घर से आफताब, आ, रौशनी खड़ी हुई- गुलाब की कली पर. मुकम्मिल नहीं थे, रंग, जिसके अभी तक. फिर- जाग गयीं फौरन, ओस की वो बूँदें. और, चलने लगीं नीचे- Bolte Vichar 61 अंतिम तिथि और अनुशासन  अंतिम तिथि और अनुशासन आलेख- डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा स्‍वर - संज्ञा टंडन किसी भी तरह के आवेदन आदि की पहुँच के लिए ‘अंतिम तिथि’ क्यों दी जाती है ? आप हँस सकते हैं। 
 आज के लिए बस इतना ही .. मिलते हैं एक ब्रेक के बाद ......

शनिवार, 28 जुलाई 2012

हे नरैण तू अब हरि-हरि बोल……ब्लॉग4वार्ता, ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, नरैण तिवारी की कलई आखिर खुल ही गयी। बहुत दिनों तक कोर्ट को झांसा देते रहे। आखिर उज्जवला भी प्रोफ़ेसर शेरसिंह की बेटी है। रोहित शेखर ने सिद्ध कर दिया कि वह नरैण तिवारी का बेटा है। फ़ेसबुक पर नरैण दत्त छाए हुए हैं। बुढौती बेटा जो मिला है। खुशी भी नहीं मना सकते तो रो भी नहीं सकते। आखिर सांड को एक दिन बैल बनना ही पड़ता है अगर  बिना मान्यता का हो तो। काली राम का फ़ट गया ढोल, हो गया उसका डिब्बा गोल... हे नरैण तू अब हरि-हरि बोल………अब अपुन काहे टैम खराब करें नरैण के पीछे चलते हैं वार्ता पर और प्रस्तुत हैं आज के बेहतरीन ब्लॉग लिंक्स……।

मै 'असम '...... मै 'असम '* *भारतीय संस्क्रति का * *सिरमौर 'असम ' ..................* * * *आज -* *जलता , झुलसता * *असम बन गया हूँ ...................* *दर्द की कतरनों से * *कई सवाल जेहन में * *उभर रहे हैं ....* *हिंसा...  उम्र पूरी हुई , ख़त अधूरा रहा एक तरही मुशायरे में मेरी प्रस्तुति दिल दुखाते रहे , याद आते रहे हर घड़ी ज़ेह्न में झिलमिलाते रहे हम थे नादां जो जां तक लुटाते रहे एक संगदिल से हम दिल लगाते रहे किस नशीली नज़र से निहारा हमें उम्र भर ये क़द... कोंपलें ......और भी चलो मैं तुम्हारे साथ चलूंगी जीवन भर साथ निबाहूँगी तुम्हारे पदचिन्हों पर अपने पग रखूँगी तुम्हें अपना सर्वस्वा मानकर तुम्हें और तुम्हारे सभी को ह्रदय से अपनाऊंगी सभी अपनों को भूल कर तुम्हारे रास्ते चलूंगी...
सात सुरों की सरगम बन ..... इन्द्रधनुषी से रंगों संग हिंडोले की मैं पेंग बन जाऊँ ! नाज़ुक से ख़्वाब सजा मीठी सपनीली नींद बुलांऊ ! कांच की खनक ला यादों में काँटों की तीखी चुभन भुलाऊँ ! सात सुरों की सरगम बन मन वीणा में बरस-दरस जा... उपन्यास सम्राट प्रेमचंदउपन्यास सम्राट श्री प्रेमचन्द (1880-1936) का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था |हिन्दी और उर्दू दौनों ही भाषा पर उनका सामान अधिकार था |अपने लेखन के लिए दौनों ही भाषाओं का उपयोग किया प्रारम्भ में उर्दू नें...श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२३वीं-कड़ी) पंचम अध्याय (कर्मसन्यास-योग - ५.११-२०) तन, मन, बुद्धि और इन्द्रिय से सब फल की आसक्ति त्याग कर. करता कर्म है योगी केवल आत्म शुद्धि को ध्येय मान कर. (११) कर्म फलों की आसक्ति तज योगी परम शान्ति है पाता...
 सावधान सोशल नेटवर्किंग आपकी नौकरी खा सकती है फेसबुक ट्विटर ने हम सभी की जिंदगी बदल दी है चलते-फिरते खाते - पीते हर बात हम लोग अपने स्टेटस पर लिख देते है ऐसा करना सही या गलत इस पर सबकी अपनी राय हो सकती है पर ये आजकल हमारी जिंदगी का हिस्सा है . ... आनंद एक तस्वीर बहुत पुरानी भी नहीं तुम बेतहाशा मुस्करा रहे हो तुम्हारी आँखों से छलका पड़ रहा है प्यार और छलक रहीं हैं मेरी आँखें तभी से !जालिमों की हकीकत को, पिरोयें कहाँ तक अल्फाजों में !  *किस कदर बेहयाई भरी ऐ खुदा तुमने इन दगाबाजों में,* *मेज तले मसलते हैं हाथों को, झाड़-पोंछते हैं दराजों में ! * * * *फलता-फूलता आ रहा यह तिजारत, बदस्तूर जमाने से,* *कहीं पोसते हैं इसे ये संत-समा...
अगस्त में जुटेंगे ब्लॉगिंग के महारथी दैनिक हिन्दुस्तान, लखनऊ,27.07.2012 लखनऊ (वरिष्ठ संवाददाता) । देश व विदेश के ब्लॉगर अगले महीने लखनऊ मे जुटेंगे । नए मीडिया के सामाजिक सरोकार पर बात करेंगे । इस बहस-मुहाबिसे मे पिछले कुछ दिनों से चर्चा के के... जय सरकार  माल पचाओ सारा लेना नहीं डकार जय सरकार जी भर करो गरीबों पे तुम अत्याचार जय सरकार देशभक्त फाँसी पे छोडो सब गद्दार जय सरकार जो पद चाहे जिसे दिला दो वोट जुटाकर जय सरकार संसद के लिए सांसदों का सिक्कों ...ईश्वर १. ईश्वर की होती है जो इच्छा वह कर लेता है उसके पास समय हैं संसाधन हैं बल है छल है बहाने हैं क्योंकि वह ईश्वर है २. इधर ईश्वर नहीं सुनता है प्रार्थनाएं चीखें अनुनाद अनुरोध क्योंकि ईश्वर होता जा रहा है...
प्रीत के पांव में ...  * * * * * * *प्रीत के पांव में काँटों का * *सिलसिला न मिले-* *प्रेम दूरी है ,तो राम, सीता को* *लक्षमण को उर्मिला न मिले-* * **** *दर्द ,जब त्याग, बन जाये ,* *इ..my various short stories published in dainik bhaskar DB star *1-Found a rose in my diary...* *flower was now dry,lost its smell and colour...* *but the thorn hurts even more.* * * * * *2-Cutting onions,reading sad stories,* *watching tragic movies,pretending stomach ... बी.ए. के बाद एलकेजी की पढ़ाई प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का ब्यौरा देखकर कुढ़न हुई। लगा, मुझ बी.ए. पास को पहली कक्षा में बैठाया जा रहा है। किन्तु जब, प्रशिक्षण का स्तर निर्धारण करने हेतु हम लोगों के ‘ज्ञान’ की जानकारी लेने वाला प्रश्न-पत्र स...
मैंने तुम्हे याद किया है.....!!! *गुजरते हुए हर लम्हे के साथ,* * आने वाले हर पल के साथ,* * मैंने तुम्हे याद किया है.....* * टूटते बिखरते सपनो के साथ, * * हर अनजाने और अपनों के साथ,* ....इन्तजार,,, *इन्तजार,,, शाम ढलने तक, मैंने इन्तजार किया, वर्ष बदलने तक मैंने इन्तजार किया ! मेरे लफ्ज तुमसे, कुछ कहना चाहते थे, तेरे गुनगुनाने तक मैंने इन्तजार किया ! बेवफाई बह रही थी, मेरे अश्क-ऐ-समंदर में, फिर भी ... कात्यायनी की दो कविताएँ *स्त्री का सोचना एकांत में * चैन की एक साँस लेने के लिए स्त्री अपने एकांत को बुलाती है। एकांत को छूती है स्त्री सम्वाद करती है उससे जीती है पीती है उसको चुपचाप एक दिन वह कुछ नही कहती अपने एकांत से ... 
क्राइम वॉरियरमैय्या मोय तो “एनडी” सो ही “पापा” ला के दे संजीव चौहान सादर नमन। देश के कानून को। दिल्ली हाईकोर्ट की उस बेंच को, जिसने रोहित शेखर के पापा (नारायण दत्त ति... नेग और ब्याज - *सुना है तिवारी साहब किन्नरों को नेग के साथ साथ पिछले 32 सालों का ब्याज भी बाँट रहे है ???* वरना इस बाज़ार में आया क्यों था ? - "सच बोल ...सिद्धांत न बघार तू बिकाऊ है या खरीदार होगा वरना इस बाज़ार में आया क्यों था ? मैं जानता हूँ चल पड़े हैं क्रान्ति के कुटीर उद्योग कितने मशाल की मिसाल ... 
बर्फ़ानी आश्रम एवं संत बालयोगी का योग ----- प्रारंभ से पढें नर्मदा माई के दर्शन करके हम बर्फ़ानी बाबा की खोज में निकले। यह पता नहीं था कि उनका आश्रम नर्मदा उद्गम स्थल के पीछे ही है। दो-चार किलोमीटर ... वरदान है "108 संजीवनी एक्सप्रेस" - शासन द्वारा डेढ़ वर्ष पूर्व 25 जनवरी 2011 को शुरू की गयी* "108 संजीवनी एक्सप्रेस"* आपात परिस्थितियों में मरीजों के लिए वरदान बन गयी है....बाबा जी के चरणों में अरबी अरबी परणाम ! - बाबा ताऊश्री के पास भक्त जनों की भीड हर समागम में बढती ही जा रही है. यूं तो दुनियां में हर वस्तु का अनुपात बराबर ही होता है. इस नियम का पृकृति में भी अपव...



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वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं ब्रेक के बाद…… राम राम.............

शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

कहाँ आटा है कहाँ नमक, सुर्खियों में मिलता है सुख...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...जनता की जेब काटने की नयी योजना बन गयी है, टैक्स रिकवरी के नाम पर 7  राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ा दिए गए हैं. राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने शपथ ले ली है और "ट्रिकल डाउन थ्योरी " को नाकामयाब बताया  है. आइये चलते है ब्लॉग नगरी के समाचार जानने मेरी पसंद की कुछ लिंक्स के साथ लीजिये प्रस्तुत है,  आज की ब्लॉग 4 वार्ता...
 ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आँख में भर लो पानी ! ऐ मेरे वतन् के लोगो! तुम खूब लगा लो नारा ! ये शुभदिन है हम सबका! लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर! वीरों ने है प्राण गँवाए! कुछ याद उन्हें भी कर लो -२! जो लौट के घर न आए -२ ऐ मेरे वतन के लोगो!  एक बातचीत एक बातचीत न आये थे अपनी मर्जी से न ही जायेंगे... तू ही लाया..ले भी जाना जब चाहे हम न आड़े आएँगे तेरी हवा से धौंकनी चलती है श्वासों की तेरी गिजा से देह.. मिला मौका सजदा करने का तेरी जमीं पर ..ओह ! मेरी तिलस्मी मोहब्बत ढूँढ सको तो ढूँढ लेना कोई ऐयार बनकर सुना था जो चले जाते हैं वापस नहीं आते मगर जो कभी गए ही नहीं वजूद पर अहसास बन कर तारी रहे अब रोज उनके साथ सुबह की चाय सूरज की पहली किरण पंछियों की चहचहाट और एक खुशनुमा सुबह का आगाज़ होता है और दोपहर की गु...

हमसफ़र कोई न था फिर भी सफ़र करता रहाअपनी सारी ख्वाहिशों को दर-ब-दर करता रहा. हमसफ़र कोई न था फिर भी सफ़र करता रहा. एक तुम जिसको किसी पर भी नहीं आया यकीं एक मैं जो हर किसी को मोतबर करता रहा. बेघरी ने तोड़ डाला था उसे अंदर तलक इसलिए वो हर कि...सिलसिला ... - बहुत कठिन है जीते-जी खुद को मार पाना 'उदय' न जाने कैसे तुमने, .... ये करतब दिखाया है ?? ... बस यूँ ही, मिलने-जुलने का सिलसिला बना रहे ये किसने कह द... सुर्खियों में मिलता है सुख (कविता) - कौन नहीं होना चाहेगा सुर्ख सुर्खियों में ही है सुख भला सृष्टि में कौन है मूर्ख इतना जो उठाना चाहेगा दुख। सुर्खियों में रहो तो मिलता है सुख सुर्खियों 

खिचडी....... (डिसक्लेमर - अपना इस पोस्ट में सिर्फ नमक है, आटा पीढ़ियों का है| कहाँ आटा  है और कहाँ नमक, ये...  "हिंसा" -समाधान या समस्या ? - कुछ लोगों ने ई-मेल के द्वारा मुझे मेरी पिछली पोस्ट "अबला कौन ?" पर विरोध जताया कि आप इस पोस्ट के द्वारा हिंसा को बढ़ावा दे रहे हो ! क्या हिंसा हर समस्या क...  बस्तर में खत्म हुआ प्रजातंत्र ,तानाशाह हुई सरकार, आपात काल-सा महौल ! आदिवासियों के नागरिक अधिकार अघोषित रूप से छिन लिये गये - कांकेर - बस्तर में खत्म हुआ प्रजातंत्र ,तानाशाह हुई सरकार, आपात काल-सा महौल ! आदिवासियों के नागरिक अधिकार अघोषित रूप से छिन लिये गये है। छत्तीसगढ सरकार .
 
कारगिल विजय दिवस 2012 - बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ... - खामोश है जो यह वो सदा है, वो जो नहीं है वो कह रहा है , साथी यु तुम को मिले जीत ही जीत सदा | बस इतना याद रहे ........ एक साथी और भी था || जाओ जो लौट के... कट चुके जो हाथ, उन हाथों में तलवारें न देख - आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख एक दरिया है यहाँ पर दूर तक फैला हुआ आज अपने बाजुओं को देख पतवारें न देख अ... खुली चर्चा होनी चाहिए: दैनिक छत्तीसगढ़ में ‘आरंभ’ - 25 जुलाई 2012 को दैनिक छत्तीसगढ़ के नियमित स्तंभ ‘चौपाल’ में आरंभ चर्चा का...

नर्मदा मंदिर अमरकंटक एवं पापमोचन हाथी --- - रामघाट नर्मदा नदी अमरकंटकप्रारंभ से पढें कार में पड़े-पड़े नींद कम आयी और अलसाए अधिक। कच्ची नींद की खुमारी लिए सुबह हुई। कार से बाहर निकले तो सूरज का रथ धरा...   ....अनशन: टीम अन्ना का टीवी प्रेम ... - आज एक बार फिर जरूरी हो गया है कि टीम अन्ना की बात की जाए ।वैसे तो मेरा मानना है कि इनके बारे में बात करना सिर्फ समय बर्बाद करना है, लेकिन दिल्ली में जो मा...कतय स्वतंत्रता-दिवस गेल........ - कतय स्वतंत्रता-दिवस गेल, झंडा क गीत कतय सकुचायेल, दृश्य सोहनगर,देखबैया छथि कतय नुकाएल. लालकिला आर कुतुबमिनारक के नापो ऊँचाई, चिड़ियाघर जंतर-मंतर क छूटल ...

जब मैंने तुमसे कुछ ना कहा था - ख़्वाब बहुत खूबसूरत होते हैं, पर हमे जल्दी होती है, उन्हें सच में बदलने की, और इस कोशिश में हम तोड़ देते हैं उन्हें कच्ची कलियों की तरह, कच्चे घड़ों की तरह, क... तेरी होंद , रिश्ता दर्द और उडारी ...... - *तेरी होंद , रिश्ता दर्द और उडारी ...... बात की औकात ... - बात औकात की नहीं, बात हिम्मत की है, साहस की है ; लेकिन हाथों में पत्थर लिए लोग पहले से तैयार दीखते हैं और छाती ठोंककर पूछते हैं सवाल-- 'इतना सहस कोई कैसे कर ...मिसफिट Misfit दो जून की रोटी को मोहताज सांस्कृतिक दूत ये सपेरे : फ़िरदौस ख़ान .....

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लेते हैं विराम मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ...........

गुरुवार, 26 जुलाई 2012

आँखें मज़बूर सही दिल तो मज़बूर नहीं ---- ब्लॉग4वार्ता …… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार,  प्रणव मुखर्जी ने भारत के 13 वें राष्ट्रपति के रुप में शपथ ग्रहण कर ली। उन्होने अपने भाषण में कहा कि भूख से बड़ा कोई अपमान नहीं है। राष्ट्रपति का आसन ग्रहण करने पश्चात उन्होने  देशवासियों के नाम संदेश में कहा कि आपने मुझे जो उच्च सम्मान दिया है उससे मैं अभिभूत हूँ, यह सम्मान इस पद पर बैठने वाले को आनंदित करता है और उससे यह भी अपेक्षा करता है कि वह देश की भलाई करते हुए व्यक्तिगत अथवा पक्षपात की भावना से उठ कर कार्य करे…… महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ब्लॉग4वार्ता की तरफ़ से शुभकामनाएं एवं बधाई…… अब चलते हैं आज की वार्ता पर, प्रस्तुत हैं कुछ चिट्ठों की कहानी……… 

कहानी- बोनसाईजब तुम नहीं थीं, तब मैं तुम्हारा होना चाहता था. एक साया सा दाखिल होता था ख्यालों में. उसका कोई चेहरा नहीं होता था. लेकिन उस अनजाने साये से लिपटकर मैं खूब रोता था और मां के पूछने पर कि क्यों आंखें सूजी है..."शब्दों के अरण्य में"पिछले दिनों बहुत ही खुबसूरत साज-सज्जा के साथ मेरे प्रिय प्रकाशन संस्थान * "हिंद-युग्म"* से प्रकाशित व* श्रीमती रश्मि प्रभा* द्वारा सम्पादित, उनके नजरो में 60 श्रेष्ठ रचनाकारों की पुस्तक *"शब्दों के अर...तू मेरे साथ ना हों मौत भी मंजूर नहीं!!तू कहीं दूर है लेकिन तू कहीं दूर नहीं!! आँखें मज़बूर सही दिल तो मज़बूर नहीं!! तू मेरी साँसों में बसा है ऐ हमदम मेरे!! पास दिल के है सदा तू कहीं दूर तो नहीं!! तेरी पलकों में छिपी हूँ है ये मालूम तुझे!! ...

आदमीआदमी को कर रहा है, तंग आदमी, सभ्यता सीखा गया बे-ढंग आदमी, कोशिशें कर-2 हुआ है, कामयाब अब, आसमां में भर रहा है, रंग आदमी, देख के लो हो गयीं, हैरान अंखियाँ, ओढ़ बैठा है, बुरा फिर अंग आदमी, सोंच के ना...शह-मात ...लिखते रहो ..... लिखते रहो ..... लिखते रहो गर लोग मौन बने रहे, तो शब्द बोलने लगेंगे ? ... उसने पहले, दूर से ....... मुस्कुरा कर शह दी और फिर, पास आ के छू-कर मुझे मात दे दी ! ... न जाने क्या हुआ ऐं...हर पथिक पवन बन जाता हैधर्म समझ कर, कर्म किया तो कर्म हवन बन जाता है मानवहित में कहा गया हर शब्द भजन बन जाता है सेवाओं के स्वर्णशिखर पर पहुँचने वाले जान गये जनहित के पावन पथ का हर पथिक पवन बन जाता है * ...

सर के उड़े बाल -- कभी वापस नहीं आते ?जैसे किसान को अपनी लहलहाती फसल को देख कर और पिता को अपने ज़वान होते बेटे को देख कर आनंद आता है, वैसे ही एक पुरुष के सर पर काली जुल्फों की छटा देख कर आनंद आता है *. कॉलिज के दिनों में जब अपनी बुल्लेट पर मौन सी एक सुबह .मेरी चूड़ी सी ... वर्षा की बूंदो मे है खनखनाहट .... मेरी बिंदिया सी .. तुम्हारे चेहरे पे है मुस्कुराहट... अदरक की चाय सी .... सुबह में है खुश्बू.... खड़खड़ाता हुआ अख़्बार ... सुर लहरी छेड़ रहा है ... तु...काल चिन्तन- २जाति-प्रथा और छुआछूत के विकृत स्वरुप का अनुभव करने के लिए हमें डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की आत्मकथा पढ़नी होगी. वे सही मायने में शूद्रों/दलितों के प्रतिनिधि व मसीहा थे. इसलिए वर्तमान भारतीय संविधान की संरचन...

हम मोहब्बत का छप्पर उठाते रहे...वो दीवार हरदम ही ढाते रहे... हम मोहब्बत का छप्पर उठाते रहे.... जब वो कह के गये थे, मिलेंगे नहीं... फिर भला क्यूँ वो ख्वाबों में आते रहे... एक रिश्ते की यूँ भी कहानी रही... वो निभा न सके, हम निभाते रहे... ...नेपाल यात्रा- दिल्ली से गोरखपुरइस यात्रा का कोई इरादा नहीं था। अचानक इतनी जल्दी सबकुछ हुआ कि मैं समझ ही पाया कि हो क्या रहा है। पिछले महीने ही गौमुख तपोवन गया था, आठ दिन की छुट्टी ली थी, अगले महीने अगस्त में भारत परिक्रमा पर निकलना है, ...चांदनी की अभिलाषा भारतीय हॉकी से लंदन ओलम्पिक आरंभ होना ही चाहता है। बरसों तक भारतीय जिस एक स्वर्ण से आश्वस्त रहे वह हॉकी से आता था। आज भी हर भारतीय के मन में एक हूक उठती है कि चाहे कुछ भी हो एक पदक तो हॉकी से आना ही चाहिए। हॉक...

नर्मदा मंदिर अमरकंटकरामघाट नर्मदा नदी अमरकंटकप्रारंभ से पढें कार में पड़े-पड़े नींद कम आयी और अलसाए अधिक। कच्ची नींद की खुमारी लिए सुबह हुई। कार से बाहर निकले तो सूरज का रथ धरा पर आ रहा था। हमने कार रामघाट पर लगाई, बाहर निकलत...उर्वशी, एक कथाकथाओं का अपना संसार है, सच हों या कल्पना। उनमें एकसूत्रता होती है जो पात्रों को जोड़े रहती है। कथा में पात्रों का चरित्र महत्वपूर्ण है या परिस्थितियों का क्रम, कहना कठिन है, क्योंकि दोनों ही ऐसे गुँथे रहत...आदमी सिर्फ आदमी हैबोलते विचार 60 आदमी सिर्फ आदमी आदमी है आलेख व स्‍वर डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा बात दसों साल पहले की है। मेरी नानी पास के नगर से हमारे नगर, हमारे घर आई हुई थीं। उन्होंने कुछ पैसे देकर मुझे जलेबियाँ खरी...

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बुधवार, 25 जुलाई 2012

सुनो सुनो सुनो…… परिकल्पना सम्मान की घोषणा …… ब्लॉग4वार्ता……ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, ब्लॉग जगत के दशक पूर्ण होने से पूर्व ही "दशक के ब्लॉगर" और "दशक के ब्लॉगस" की घोषणा हो गयी। खैर पहले हो या बाद में दशक के ब्लॉग एवं ब्लॉगर के सम्मान से इन्हे ही नवाजा जाना था, यह तो तय था। क्योंकि सभी सम्मानित ब्लॉगर्स, ब्लॉग जगत में अन्य ब्लॉगर्स से वरिष्ठ हैं और इनका अधिकार बनता है। साथ ही ब्लॉगर दम्पत्ति के सम्मान की घोषणा की गयी है। आज वार्ता में सिर्फ़ इन्ही सम्मान प्राप्त ब्लॉगर्स की चर्चा होगी। परिकल्पना दशक के ब्लॉगर सम्मान प्राप्त ब्लॉगर्स को ब्लॉग4वार्ता की तरफ़ से हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।


परिकल्पना ब्लॉग दशक सम्मान-2012 की सूची


परिकल्पना दशक का ब्लॉगर सम्मान 

(1) श्री मती पूर्णिमा वर्मन,शरजाह, यू ए ई 

पीलीभीत (उत्तर प्रदेश, भारत) की सुंदर घाटियों में जन्मी पूर्णिमा वर्मन को प्रकृति प्रेम और कला के प्रति बचपन से अनुराग रहा। मिर्ज़ापुर और इलाहाबाद में निवास के दौरान इसमें साहित्य और संस्कृति का रंग आ मिला। पत्रकारिता जीवन का पहला लगाव था जो आजतक इनके साथ है। पिछले बीस-पचीस सालों में लेखन, संपादन, स्वतंत्र पत्रकारिता, अध्यापन, कलाकार, ग्राफ़िक डिज़ायनिंग और जाल प्रकाशन के अनेक रास्तों से गुज़रते हुए ये फिलहाल संयुक्त अरब इमारात के शारजाह नगर में साहित्यिक जाल पत्रिकाओं 'अभिव्यक्ति' और 'अनुभूति' के संपादन, हिन्दी विकीपीडया में योगदान देने के साथ-साथ कलाकर्म में व्यस्त हैं।
(2) श्री समीर लाल समीर, ओटरियों, कनाडा 

एक ऐसा प्रतिभावान व्यक्तित्व जिसका बचपन बीता जबलपुर में, मुंबई में पूरी की सी ए की पढ़ाई और जीविका के लिए पहुंचे कनाडा, जहां ये एक प्रतिष्ठित चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं । हिन्दी से प्रेम इन्हें ब्लॉग की ओर उन्मुख किया और देखते ही देखते हिन्दी ब्लोगिंग के ये पर्याय बन गए । इन्हें सन 2006 में तरकश सम्मान, सर्वश्रेष्ट उदीयमान ब्लॉगर, इन्डी ब्लॉगर सम्मान, विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय हिन्दी ब्लॉग, वाशिंगटन हिन्दी समिती द्वारा साहित्य गौरव सम्मान सन 2009,परिकल्पना सम्मान 2010 एवं पुनः परिकल्पना सम्मान 2011 एवं अनेकों सम्मानों से नवाजा जा चुका है। 


(3) श्री रवि रतलामी,भोपाल, म.प्र. 

एक ऐसा व्यक्तित्व जो मूलत: एक टेक्नोक्रैट हैं, जिनका शगल है हिंदी साहित्य पठन और लेखन। विद्युत यांत्रिकी में स्नातक की डिग्री लेने वाले ये वरिष्ठ ब्लॉगर इन्फार्मेशन टेक्नॉलाजी क्षेत्र के वरिष्ठ तकनीकी लेखक भी हैं। इनके सैंकड़ों तकनीकी लेख भारत की प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी पत्रिका आई.टी. तथा लिनक्स फॉर यू, नई दिल्ली, भारत (इंडिया) से प्रकाशित हो चुके हैं। ये हिन्दी के प्रारंभिक तकनीकी ब्लॉगरों में अग्रणी हैं और इन्हें हिन्दी ब्लोगिंग का क्रान्ति दूत समझा जाता है । नाम है रवि रतलामी जो मध्य प्रदेश के भोपाल के निवासी हैं । (4)

(4) श्री मती रश्मि प्रभा,पुणे, महाराष्ट्र  


ये अंतर्जाल पर सक्रिय चर्चित लेखिकाओं मे से एक हैं । इन्हें वर्ष-2010 मे वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्रि का परिकल्पना सम्मान प्राप्त हो चुका हैं और इस वर्ष यानि वर्ष-2012 मे दशक के पाँच श्रेष्ठ चिट्ठाकारों मे से ये एक चुनी गईं हैं । सौभाग्य इनका कि ये कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हैं और इनका नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया । इनकी लगभग आधा दर्जन पुस्तकें प्रकाशित है । नाम है रश्मि प्रभा। ये मूलत: पटना, बिहार की निवासी हैं, किन्तु आजकल ये महाराष्ट्र के पुणे में रहती हैं । (5) 
(5)श्री अविनाश वाचस्पति,नयी दिल्ली 

ये हिन्दी के बेहद हरफनमौला ब्लॉगर हैं । इन्हें देश भर में नेशनल और इंटरनेशनल ब्‍लॉगर सम्‍मेलन आयोजन कराने का श्रेय दिया जाता है। इन्हें वर्ष 2009 के लिए हास्‍य-व्‍यंग्‍य श्रेणी में ‘संवाद सम्‍मान’ भी दिया गया है। ‘लोकसंघर्ष परिकल्‍पना सम्‍मान’ के अंतर्गत 2010 में वर्ष के ‘श्रेष्‍ठ व्‍यंग्‍यकार सम्‍मान’ भी इन्हें प्राप्त है । इनका एक व्यंग्य संग्रह "व्यंग्य का शून्यकाल" हाल ही मे प्रकाशित हुआ है। हिन्दी ब्लोगिंग पर एक और महत्वपूर्ण पुस्तक हिन्दी ब्लागिंग : अभिव्यक्ति की नयी क्रान्ति का इन्होंने रवीद्र प्रभात के साथ मिलकर संपादन भी किया है । नाम है अविनाश वाचस्पति । ये देश की राजधानी दिल्ली में रहते हैं ।
परिकल्पना दशक का ब्लॉग सम्मान (1) 


(1) उड़न तश्तरी (ब्लॉगर : श्री समीर लाल समीर ) 

एक ऐसा ब्लॉग जो मार्च -2006 में अस्तित्व में आया और लोकप्रियता का सारा पैमाना पार कर गया। इस ब्लॉग पर प्रकाशित पोस्ट पर जो त्वरित टिप्पणिया आती है वह अन्य किसी भी ब्लॉग की तुलना में सर्वाधिक होती है । ब्लोगिंग में स्टार डम पैदा करने का श्रेय इस ब्लॉग को जाता है, जिसके संचालक  हैं ओटरियों कनाडा निवासी श्री समीर लाल समीर । (2) 

(2) ब्लॉगस इन मीडिया (ब्लॉगर : बी. एस. पावला) 

यह ब्लॉग हिन्दी में अपने आप का एकलौता और अनूठा ब्लॉग है । इस ब्लॉग पर पोस्ट प्रकाशित नहीं होते, बल्कि प्रिंट मीडिया में होने वाली ब्लॉग चर्चा की जानकारी देता है । इसके संचालक  हैं भिलाई निवासी श्री बी. एस.पावला । 

 (3) नारी (समूह ब्लॉग, मॉडरेटर  : रचना)

 यह हिन्दी ब्लॉग जगत का पहला कम्यूनिटी ब्लॉग है जिसपर केवल महिला ब्लॉगर ब्लॉग पोस्ट करती हैं । महिलाओं की सशक्त आवाज़ का यह एक वृहद मंच है । इसके संचालक हैं दिल्ली निवासी रचना । (4) 

(4) साई ब्लॉग (ब्लॉगर: श्री अरविंद मिश्र ) 

यह वैज्ञानिक शोध और जिज्ञासाओं को शांत करने वाला हिन्दी का एक बेहद महत्वपूर्ण ब्लॉग है । इस ब्लॉग के संचालक  हैं हिन्दी के बेहद चर्चित विज्ञान कथा लेखक डॉ अरविंद मिश्र  । (5) 

(5) साइंस ब्लॉगर असोसियेशन (समूह ब्लॉग,  मॉडरेटर : डॉ अरविंद मिश्र एवं डॉ ज़ाकिर अली रजनीश)

 यह विज्ञान पर आधारित हिन्दी का पहला सामूहिक ब्लॉग है। यह एक प्रकार से हिन्दी अंतर्जाल पर सक्रिय विज्ञान लेखकों की विश्राम स्थली है । इसे असोसियेशन का रूप दिया गया है, ताकि विज्ञान लेखकों का एक मजबूत संगठन अस्तित्व में बना रह सके । इसके अध्यक्ष हैं डॉ. अरविंद मिश्र और महासचिव हैं डॉ. ज़ाकिर अली रजनीश । 

परिकल्पना दशक के ब्लॉगर दंपति का सम्मान 

श्री कृष्ण कुमार यादव और श्री मती आकांक्षा यादव,इलाहाबाद, उ प्र  


एक ने डाकिया डाक लाया ब्लॉग के माध्यम से डाक विभाग के सुखद अनुभूतियों से पाठकों को रूबरू कराने का बीड़ा उठाया तो दूसरे ने साहित्य के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने का । एक स्वर है तो दूसरी साधना । हिन्दी ब्लोगजगत में जूनून की हद तक सक्रिय ये ब्लॉगर दंपति हैं कृष्ण और आकांक्षा, जिन्हें दशक के ब्लॉगर दंपति का सम्मान प्रदान किए जाने हेतु परिकल्पना समूह द्वारा चयनित किया गया है ।


उपरोक्त सभी सम्मानधारकों को दिनांक 27.08.2012 को लखनऊ के क़ैसर बाग स्थित राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में परिकल्पना समूह द्वारा सम्मानित किया जाएगा। सभी सम्मान धारकों को परिकल्पना समूह की बधाइयाँ और हार्दिक शुभकामनायें ।

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मिलते हैं ब्रेक के बाद, अगली वार्ता में ……… राम राम

मंगलवार, 24 जुलाई 2012

मत डरो साहस जुटाओ जाग जाओ...ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखाती हैं. वह हमें उपहार देती भी है और लेती भी है. हर मौसम, हर ऋतु, हमें जीवन का कोई अनमोल सूत्र देती है.प्रकृति से हम सबसे पहले देने की कला सीखें.  बिना भेदभाव, बिना किसी पूर्वाग्रह के सबको समान रूप से बांटने का तरीका प्रकृति से सीखा जा सकता है. लीजिये अब प्रस्तुत है, आज की ब्लॉग 4 वार्ता...

प्यार की खेती...आसमान का बटवारा आज चलो इस धरती और अम्बर का बटवारा कर लें मेरे लिए तुम चाँद हो मुझे आसमान का वो हिस्सा दे दो जिसमे तुम बसते हो अपने पंखों को थोडा फेलाकर कुछ उड़ाने भर लूंगी में वहां तुम्हारी रौशनी में.... तुम... मुर्दों का वतन ये सोये हुए लोगों का देश है ये नींद आज की नहीं सदियों गहरी हैं ये बुद्ध जैसे लोगों के जगाये नहीं जागे.....ज़मीन पर रेंगने की आदत पड़ गयी है लोगों की ......रीड़ तो जैसे खत्म हो चुकी है.....यहाँ की जनगणना में ... शब्द क्यों गुम हो गये छा गयी मन में उदासी, भाव क्यों मृत हो गये. लेखनी भी थक गयी है, शब्द क्यों गुम हो गये. अश्क कोरों पर थमे हैं, नयन देते न विदाई. नेह चुकता जा रहा पर आस की लौ बुझ न पायी. देहरी थक कर खड़ी है, पर कदम गुम हो...

था उसका कैसा बचपन जाने कब बचपन बीता यादें भर शेष रह गईं थी न कोई चिंता ना ही जिम्मेदारी कोई खेलना खाना और सो जाना चुपके से नजर बचा कर गली के बच्चों में खेलना पकडे जाने पर घर बुलाया जाना कभी प्यार से कभी डपट कर जा... जाग जाओ (१) मत डरो साहस जुटाओ जाग जाओ ! (२) बीन कंटक राह अपनी खुद बनाओ (३) हो सबल , अबला नहीं तुम जान जाओ ! (४) मुक्त होवो बेड़ियों को काट डालो (५) चल पड़ो निज शस्त्र धारो अरि हराओ ! (६) मत भजो ...सूरज सा निकलते रहिये  *ज़िन्दगी भोर है , सूरज सा निकलते रहिये * *चहकिए चिड़ियों सा , हर लम्हे को उत्सव कहिये * * धूप ही धूप है बराबर सबके लिए * *अपने गीतों में दुनिया की पीड़ा कहिये * *ज़िन्दगी ले जाए चाहे जिस भी तरफ * *उफ्...

पल में लय को न साधा तो  पल में लय को न साधा तो वर्तमान है सत्य अनोखा सूक्ष्म अति मृदु कोमल रेखा, इसी घड़ी में शुभ घटता है इस पल में अनंत को देखा ! मृत्यु भी इक पल में घटती इक क्षण में ही जन्म हुआ, सजग हुआ जो ...कि जिनके हाथ में जलती हुई माचिस की तीली है  नजाकत है न खुश्बू औ’ न कोई दिलकशी ही है गुलों के साथ फिर भी खार को रब ने जगह दी है किसी की याद चुपके से चली आती है जब दिल में कभी घुँघरू से बजते हैं, कभी तलवार चलती है वही करते हैं दावा आग नफरत की बुझान..गज़ल आजकल जी. मेल मे पता नही क्या प्राबलम आ गयी है। सिर्फ 4-5 मेल ही दिखाता है । कर्सर आगे जाता ही नही न ही मेल भेजी जा रही है। एक साइबर कैफे वाले से पूछा वो कहता है कि पीछे से ही ये प्राबलम ुसके कैफे मे भी नही..

अमरकंटक की ओर यायावर ……रेल के यात्री मालकिन कई दिनों से मायके जाने की कह रही थी। वैसे इनका मायके जाना 30 अप्रेल के बाद तय है। अब मई के प्रथम सप्ताह में ही कोई तारीख तय होती है जाने की। इस समय 6 मई की तारीख तय हुई। 4 मई को नामदेव......" मेरा मन पंछी सा " * " मेरा मन पंछी सा "* * * *आपके प्यार और समर्थन से पुरे हो गए ब्लॉग के एक वर्ष...* * * *कविता लिखने से जादा कविता पढ़ने में रूचि थी मुझे ,,,हा कुछ दो - चार पंक्तियाँ मै भी लिख लिया करती थी...* *गूगल पर कव... किसकी चली ? ना हिन्दू की चली ना मुस्लिम की चली , तभी तो रमजान में राम और दीवाली में अली । किसकी चली ? मजहबी दंगे में मेरे शहर में दो लाशें मिली, एक लाश दफ़न हुई और दूसरी जली। किसकी चली ? बना तो दीं एक सी, मग...

दर्दे- दिल .दर्दे- दिल: भीतर का दावानल है ,बांध तोड़ने को व्याकुल पर बाह्य जगत का यह असहज व्योम रोकता है हर पल क्यूंकि सहेजने में है वो अक्षम उस निर्लज्ज लावे...  एक शाम गंगा के नाम .बहुत दिन हुआ। चलिए आज आपको गंगा जी की सैर कराते हैं। आज रविवार का दिन था। दिन भर आराम किया तो सोचा शाम को चलें गंगा मैया का हाल चाल लें। सुना है गंगा मैया तेजी से बढ़ रही हैं। गत वर्ष तो इस समय तक खूब बढ़ ... "एक सावन ऐसा भी हो..........." आओ सजनी सजा दूँ तुझे, हाथों में मेहँदी लगा दूँ तुझे, उलझी जुल्फें सवांर दूँ, कान पे लट निकाल दूँ , मूँदे रखना ज़रा नयन अपने, कजरारी पलकें निखार दूँ , लगाऊं कुमकुम माथे पर, सिन्दूर से मांग संवार दूँ , ...

मौन रहना भी स्वास्थ्य वर्द्धक होता है। - *'एक चुप, हजार सुख'। जब तक आदमी मुंह बंद रखता है उसकी औकात पता नहीं चलती पर उसके मुंह के खुलते ही उसके स्वभाव, ज्ञान, चरित्र सब की पहचान हो जाती है। गीत : दीन दयाल साहू - मै हा नहकाहूं डोगा पार,आवत हे प्रभु मोर द्वार। तैहा जग के ,आये पालन हार ये मोरे स्वामी। राम लक्ष्मण दूनो भाई ,संग मा हावे सीता माई। तैहा जग के ,आये पालनहार...सत्‍यमेव जयते-12 : हाथ से फिसलते हालात-आमिर खान - जब मानव अंतरिक्ष के बाहर जीवन के लक्षणों की तलाश करता है तो सबसे पहले क्या देखता है? वह देखता है जल का अस्तित्व। किसी भी ग्रह में जल की उपस्थिति से यह संक...


चलते चलते एक व्यंग्य चित्र मस्तान सिंह जी की तूलिका से




लेते हैं विराम मिलते हैं अगली वार्ता में तब तक के लिए नमस्कार ..........

सोमवार, 23 जुलाई 2012

दादा जीते, सखी रुम-झुम गाए जियरा……… ब्लॉग4वार्ता ……… ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, यूनाइटेड फण्ड में स्पीकर रहे पी. के. संगमा आज ठगे से रह गये होंगे. जिन्हें जरा भी राजनीति की सम­झ है वे अच्छे से जान रहे थे कि संगमा बलि का बकरा बनने जा रहे हैं. भाजपा को अपनी स्थिति स्पष्ट थी इसलिए मौका देख अपनी पार्टी से किसी को भी उम्मीदवार नहीं बनाने हुए संगमा को समर्थन देने का एलान कर दिया कि जो भी हो वे हारे तो उनका सिरदर्द और जीत गये तो वाहवाही.अब जब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार संगमा हार गये हैं, तो भाजपा एक बार फिर संगमा के कंधे पर बंदूक रख उन्हें उकसा रही है कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटायेंगे. पर क्या इसका कोई औचित्य है? सभी को मालूम है कि राष्ट्रपति सबसे उपर होते हैं. सप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को वे शपथ दिलाते हैं फिर प्रणव मुखर्जी के उपर मुकदमा कैसे चल सकता है. ऐसे में संगमा और भाजपा का दांव उलटा पड़ सकता है. अब चलते हैं आज की वार्ता पर्…… प्रस्तुत हैं कुछ उम्दा लिंक्स......

मुखौटाराह चलते लोग अक्सर खो देते हैं अपनी आंखों की रोशनी नज़रों के आगे होती है उनकी मंज़िल और मंज़िल की साधना में वे अर्जुन होते हैं। उन्हें दिखती है चिड़िया की बाईं आंख और बाकी चीज़ें धुंधली हो ...ज्ञान –अभिमानज्ञान दर्पण तो नहीं वरना दिखा देता चेहरा होता गर शीशमहल तो रच देता अनेक प्रतिबिंब स्वत्व के .... स्वत्व जिसे अभिमान है रूप का गर्व है पांडित्य का नशा अर्थसत्ता का इन्हीं क्षुद्र कंकरों से चुनी ज...मारुति और आर्थिक स्थितिदेश की सबसे बड़ी कार निर्माता कम्पनी और वैश्विक सुजुकी मोटर की सहयोगी मारुति उद्योग लिमिटेड के मानेसर संयंत्र में जिस तरह से श्रमिकों द्वारा अराजकता फैलाई गयी और एक शीर्ष अधिकारी की हत्या समेत...

चोर हूँ मैंचोर हूँ मैं पिछले कुछ सालों से बीमार हूँ एक अजीब सी लत लगी है मुझे चोरी की जब भी कहीं भी किसी को देखती हूँ मेरी बीमारी उकसाती है मुझे मन पक्का करती हूँ फिर भी मजबूर हो जाती हूँ चुराने को और फिर.... चुरा ल...Bolte Shabd 91 - Smaran & Smarakबोलते शब्‍द 91 आलेख डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा स्‍वर संज्ञा टंडन 173. 'स्‍मरण' व 'स्‍मारक' Production-Libra Media, Bilaspur, IndiaA visit to hospitalहॉस्पिटल में इंतज़ार कुछ रिपोर्ट्स का इंतज़ार की घड़ियों में चेहरे टटोलती नज़र आते जाते बैठे हुए लोगों के एक गर्भवती स्त्री चेहरे पर आस का नूर एक बूढ़ा आदमी झुक कर बैठा हुआ की हारा हुआ है जिस्म की जंग एक छो...

सखी सों सावन की बतियाँ ..सखी रूम-झूम गाये जियरा ... लूम-झूम बरसे बुंदियाँ .... सावन की .... सावन की मनभावन की ....!! बंदगी ही हाथ में .....*बंदगी ही हाथ में .*.... पूज्यनीय गुरुजनों, मेरे प्यारे मित्रों ,शुभचिंतकों ,स्नेहियों ,सुधि पाठकों, मेरी ब्लॉग यात्रा की वीथियों में ,सौभाग्यतः मेरे जन्म दिन* 23-जुलाई* की पूर्व संध्या पर ,एक अध्या...बहुत हुआ आराम , अब कुछ काम किया जाएपिछली दो पोस्ट्स पर हंसने हंसाने की खूब बातें हुई. देखा जाए तो हँसना भी नसीब वालों को ही नसीब होता है . अक्सर हमने देखा है , किसी भी हास्य कवि सम्मेलन में आम श्रोता तो खूब खुलकर हँसते हुए , ठहाके लगाते हु...

बेटीआँखे बंद करके जब तुझे सोचा , तो बहुत ही करीब पाया ........ छोटे - छोटे,नर्म -मुलायम , हाथों को अपने चेहरे के करीब पाया ........ फूलों की पंखुड़ी से कोमल गालों को अपने गालों के बहुत करीब पाया ......... स...नैनीताल भाग --11......रोप - वे

रोप - वे यानी केबल -कार * * * * * *"साथ हमारा पल -भर ही सही ...* *इस पल जैसा मुक्कमल कोई कल नहीं ..* *हो शायद फिर मिलना हमारा कहीं---* *तू जो नहीं तो तेरी यादें संग सही ... महंगाई,मीडिया और मैंगो मैन  मैंगो मैन यानी आम आदमी के लिए दो जून की रोटी तक मयस्सर नहीं होने देने में क्या मीडिया की कोई भूमिका है? क्या महंगाई बढ़ाने में मीडिया और खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया खलनायक की भूमिका निभा रहा है ? या फि...


‘संयुक्त’ से ‘सूक्ष्म’ के अकेलेपन तकयह, मेरी कलवाली पोस्ट का विस्तार ही समझा जा सकता है किन्तु हो रहा है सब कुछ अकस्मात और अनायास ही। ‘मेरे मन कछु और है, कर्ता के मन कछु और‘ की तरह। सच है, खाली दिमाग शैतान का घर। गए कुछ बरसों से ‘परिव...मंगल का मेन्यू अब धरती पर भी ..यम यम!मंगल अभियान के तहत अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) 2030 के वैज्ञानिक अपने मंगल ग्रह अभियान की तैयारियों में करीब 18 साल बाद की मंगल यात्रा के लिए अभी से मेन्यू तैयार करने में व्यस्त हो गए हैं। यह मेन्यू ऐस...हम सब एक है.पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ...फेसबुक पर कई तरह से आपत्ति जनक सामग्री परोसी जा रही है !कहीं नेताओं को पशुओं की तरह तो कभी धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाले चित्र दिए जा रहे है ! क्या भावना प्रकट करने का ये सही ...

चाँद मुबारक- पूरा दुःख और आधा चाँद हिज्र की शब् और ऐसा चाँद दिन में वहशत बहल गयी थी रात हुई और निकला चाँद यादों की आबाद गली में घूम रहा है तन्हां चाँद मेरी करवट पर जाग उट्ठे नींद का कितना कच्चा चाँद इतने घने बादल...रखते हैं लोग जिल्द में दिल की किताब कोकांटों से भरी शाख पर खिलते गुलाब को. हमने क़ुबूल कर लिया कैसे अज़ाब को. दिल की नदी में टूटते बनते हुबाब को. देखा नहीं किसी ने मेरे इज़्तराब को. चेहरों से झांकते नहीं जज़्बात आजकल रखते हैं लोग जिल्द में दिल...हम कंटीले थेवो कोमल थे, हम कंटीले थे, आँखें सूखीं थी, हम गीले थे, रास्ते फूलों के, पथरीले थे, जख्मी पग, कांटें जहरीले थे, ढहे पेंड़ों से, पत्ते ढीले थे, बिखरे हम, कर उसके पीले थे, नाजुक लब, नयना शर्मीले थे, ...

तू जब भी साथ हो....तू जब भी साथ हो तो दिन में चम्पई रात आती है. तू हंस दे खिल-खिलाकर, जून में बरसात आती है. कोई लड़की हथेली पर किसी का नाम लिख -लिखकर, जो दुनिया से छिपाती है... तो तेरी याद आती है.* tu jab bhi saath ho to din..."मिस समीरा टेढी की अदालत में ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र हाजिर होंबहणों और भाईयो, मैं "ताऊ टीवी फ़ोडके" न्यूज चैनल का उदघोषक रमलू सियार आपका हार्दिक स्वागत करता हूं. ताऊ महाराज धॄतराष्ट्र का साक्षात्कार आज तक कोई चैनल नही ले पाया था. पिछली बार हमारी खोजी संवाददाता मिस स...बात थोड़ी पुरानी है....आज बस यूँ ही इंटरनेट खंगालते हुए कुछ नज़र आ गया। सोचा क्यूँ न इसे आपलोगों के साथ साझा  कर ही लिया जाए । यहाँ से पढ़ा जा सकता है इसे .........


वार्ता को देते हैं विराम, मुक्ति पाना है तो  इधर आईए…… राम राम

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