बुधवार, 31 अक्तूबर 2012

धीरे - धीरे सुबह हुई जाग उठी ज़िन्दगी... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार... नए रेल व पेट्रोलियम मंत्रियों ने जल्द ही जनता पर बोझ बढ़ाए जाने के संकेत दिए हैं. वर्षों बाद रेलमंत्रालय को अपने हाथ में लेने के बाद कांग्रेस के पवन बंसल ने साफ कहा कि रेल किराया बढ़ाया जाएगा. वहीं मोइली ने सब्सिडी नीति पर विचार करने को कहा. उन्होंने यह भी कहा है कि मुझे रेल्वे  की वित्तीय हालत सुधारनी है. किराया बढ़ाते समय सेवा सुधारनी होगी तभी जनता पसंद करेगी. ये तो वक़्त ही तय करेगा कि जनता बढ़ा हुआ किराया पसंद करती है या इनकी सेवा...मतलब नए बोझ कि तैयारी जारी है...प्रस्तुत है आज कि वार्ता कुछ रोचक लिंक्स के साथ 

यह जाडे की धूप है या "तुम". - अलसाये सकुचाये गुलाबी ताप के टुकडे, क्षोभमंडल पार से उतरते है मुझ पर और फैलते जाते है सिंकते है रोम रोम, पिघलती है उर्मियाँ बिंधती है कोशिकायें ... बन जाओ मेरी कविता का शीर्षक तुम!! - बन जाओ मेरी पुस्तक का शीर्षक.... जो है ३६५ पन्नों की... वर्ष के दिन की गिनती और यह संख्या.. जाने क्यूँ एक से हैं... लगे है ज्यूँ करती हों ...इल्जाम ... - उनपे ... उनपे ... उनपे ... लगे आरोप ... उनकी नजर में साजिशें हैं ! पर, हकीकत में लगते हमें ... इल्जाम सच्चे हैं ! पर, अब ... करे तो करे ... क... 

आनेवाले दो महीने में बुध ग्रह का आपपर पडने वाला प्रभाव क्‍या होगा ?? - भले ही अपने जन्‍मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख प्राप्‍त कर पाते हैं , पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में देर सबेर करने की भूमिका ..हेकड़ी,अहंकार और फेसबुक - इस दौर में हेकड़ी बढ़ी है। भ्रष्टनेता से लेकर ईमानदार नौकरशाह तक सबमें हेकड़ी का विकास हुआ है। सामान्य कारिंदे से लेकर भिखारी तक सब हेकड़ी में बातें करते ह... जिन्हें तकलीफ है किसी से ... - भीखमंगा बनकर सबसे मोती मांगने का चलन है बोनस में मिलते दुत्कार का करता कौन आकलन है... अपने ही प्राणों में दौड़ती कड़वाहटों का जलन है , पर एक-दूसरे पर आरोप-... 

 ओ बंजारे - भवसागर के गहन भँवर में नश्वर जीवन के इस क्रम में प्रफुल्ल रहा करते हो ...... गठरी दौलत की नहीं है ...तभी ...... जहाँ -तहां विचरते हो ! नहीं चाह है ...  इश्क - कल रात चाँद यूँ ठहरा मेरे पहलु में आकर जैसे आया हो कभी न जाने के लिए... मैं चाँद और मोहब्बत... बंद कर लिए किवाड़ हमने कभी न खोलने के लिए.... कसमें खायीं ...सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ शाम घनेरी हो चली है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ * * राह अंधेरी हो चली है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ चाँदनी* *बिखरने लगी है टूट कर रात की बाहों में शबनम अब गाने लगी है सूनी सूनी फिज़ाओं में मावस की आहट लगी है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ झुरमुटों में सरसराहट मची है सोच रहा हूँ,कुछ लिखूँ...

क्यों पराजय लग रहा है प्यार तुझको दर्द क्यों है, क्या नहीं स्वीकार तुझको ? क्यों पराजय लग रहा है प्यार तुझको दैन्य से दुनिया भरी है क्या मिलेगा ज़ख्म वाला ज़ख्म तेरे क्या सिलेगा चाहता जो खुद किसी की सरपरस्ती इन बुतों में ढूंढता तू हाय मस्ती बंद भी कर खेल अब सारे अहम के दे गिरा तू आज सब परदे वहम के सोच तो ! क्यों चाहिए संसार तुझको क्यों पराजय लग रहा है प्यार तुझको.. यार देखो तो एक वो चाँद ऊपर ,एक चाँद तुम मेरे हो फिर ज़रा कुछ ओर करीब आ कर,यार देखो तो नैन मिला कर ज़रा एक दफा फिर से देखो तो पास बिठाकर ,यार एक दफा फिर देखो तो || दो या ना दो कोई दाद जीवन में तुम मुझे पर एक बार फिर से साथ निभाकर,यार देखो...पलकों के झूले और ख्वाब...... मन कर रहा चाँद को बुलाने का , पलकों के झूले पे ख्वाब कर झुलाने का । नींद नहीं आती है क्यूँ, ये हमको मालूम नहीं – वादा था उनकी अपने ज़ुल्फों तले सुलाने का । मौसम भी इन दिनों न जाने, क्यूँ भींगा भींगा रहता है – है आरोप उसपे मेरी आँख की नमी चुराने का । मैं धूप को ओढ़े बाहर बैठा, चिड़ियों को दाने चुगाता हूँ – मन करता पाखी बन तेरे पास ही उड़ आने का ...

अपनी ही मैं में .... दर्द आज़ अपनी ही पीड़ा को पीना चाहता है आँसुओं की शक्‍ल में सिसकियों का रूदन कब चिन्हित हुआ रूख़सार पर वो हतप्रभ है औ भयाक्रान्‍त भी इस आक्रोश पर सर्जक का आवेग बहा ले जाता है अपनी ही मैं में बिना किसी की कोई बात सुने ... वो अधजली लौ रौशनी तो उतनी ही देती है कि सारा जहाँ जगमगा दे निरंतर जल हर चेहरे पर खुशियों की नदियाँ बहा दे फिर भी नकारी जाती है क्यों?? वो अधजली लौ मूक बन हर विपत्ति सह पराश्रयी बन जलती जाती परिंदों को आकर्षित कर जलाने का पाप भी सह जाती फिर भी दुत्कारी जाती है क्यों??...शर्माओंगी तो नहीं, तुमको अपनी दिवानी कह दूं आज इस महफिल में उल्‍फत की कहानी कह दूं शर्माओंगी तो नहीं, तुमको अपनी दिवानी कह दूं सितारों ने किया है मुकरर्र,अपनें वस्‍ल का‍ दिन अपनी मुलाकात को मैं , रूहानी कह दूं देख्‍ाता हूं तुमको तो रूह को सूकून ऑंखों को ठंडक आती है क्‍या तुमको मैं ..

आनंदप्रभ कुटी विहार सिरपुर ...... - यायावर -  प्रभात सिंह भोजनोपरांत कुछ देर का ब्रेक लेने लिए रेस्ट हाउस पहुंचे, भोजन की खुमारी कान में कह रही थी, देह कुछ देर का विश्राम चाहती है, दे...बच के रहना उस्ताद से !! - सम्बन्धित शब्द-1.गुरुघंटाल. 2.इच्छा. 3.ईंट. 4.ठग. 5.पाखंडी. 6.पालक.7.मदारी. 8.जादूगर. 9.पंडित. अक्सर शब्द अपना चोला बदल लेते हैं । “हरि रूठे गुरु ठौर है ।... निःशब्द हूँ , मां हूँ ..... - ** * **माम !* *मुझे इतनी सी, प्यार से* *एक बात बताना* *कान में ....* *क्यों करती हो* *इतना प्यार ?* *कोई इतना भी प्यारा* *क्यों लगता है ....?* *कोई इतना भी ...शरद-पूनम की अंजोरी में मैं तुमको पाता हूं..

.........:) 


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धीरे - धीरे सुबह हुई जाग उठी ज़िन्दगी............

आज के बस लिए इतना ही नमस्कार......

मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

चांदनी का दरिया ...शरद पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई .. ब्‍लॉग4वार्ता .. संगीता पुरी

आप सबों को संगीता पुरी का नमस्‍कार , कैरेबियाई क्षेत्र में भारी तबाही मचाने के बाद चक्रवाती तूफान सैंडी सैकड़ों मील रफ्तार से अमेरिका के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। आशंका जताई जा रही है कि इससे देश के 12 राज्यों के तकरीबन छह लाख निवासी बुरी तरह से प्रभावित होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे सैंडी को गंभीरता से लें। अधिकारियों ने पूर्वी तट पर तूफान से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। कैरेबियाई क्षेत्र में तूफान के कारण मृतकों का आंकड़ा रविवार तक 65 पहुंच गया। हैती के अधिकारियों ने 51 लोगों के मौत होने की पुष्टि की है।खतरे को देखते हुए तटीय इलाकों से लोगों की सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि सोमवार रात तक तूफान अमेरिका में पहुंच जाएगा। न्यूयॉर्क प्रशासन ने शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को रविवार शाम से बंद कर दिया है। वहीं स्कूलों में छुट्टी दे दी गई है।न्यूयॉर्क शहर में 3.75 लाख नागरिकों को निचले इलाकों से हटाकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। अब चलते हैं आज की वार्ता पर ....

सेहत ठीक रही तभी जीभ भी स्वाद लेने लायक रहेगी -*कोशिश करें कि ऐसे खाद्य पदार्थों से जितना बचा जा सके बचे और खाने के बाद यथासंभव गर्म जल का सेवन कर अपने दिल और पेट को थोडा सहयोग प्रदान करें। क्योंकि यदि ...काश लौट आए वो माधुर्य. (ध्वनि तरंगों पर ..) - बोर हो गए लिखते पढ़ते आओ कर लें अब कुछ बातें कुछ देश की, कुछ विदेश की हलकी फुलकी सी मुलाकातें। जो आ जाये पसंद आपको तो बजा देना कुछ ताली पसंद न आये तो भी भैय...विवाह योग्य आयु के बहाने हो विवाह संस्था पर चर्चा - **** वर्तमान में समाज में एक ओर जीवन-शैली के नवीन स्वरूप पर लोग चर्चा करने को आतुर दिखते हैं, वहीं हमारे मंत्री लड़कियों की विवाह योग्य उम्र क...खता,,, -खता, दिल की बात कहने के लिये हम इशारों से काम लेते है, क्योंकि, तुम्हे अपना समझने की खता हम कर चुके है! हमने तुम्हारे लिये सपने संजोये, उस बात का दुख नह...

गंधर्वेश्‍वर मंदिर और महानदी तीर की सुबह ............ललित शर्मा - महानदी के किनारे सुबह प्रारंभ से पढ़ें प्रभात सिंह की आमद आहट से प्रभात हुई। वे चाय बनाकर ले आए थे। मैंने घड़ी की तरफ देखा, 6 बजा रही थी, मतलब प्रभात सिंह ...समूह में पहली बार कैम्पटी फ़ॉल भ्रमण kampty fall group tour -लोग कहते है कि घुमक्कडी में पैसे खर्च करना फ़िजूल खर्ची है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता। दूसरी बात पैसे खर्च करके भी कोई साधु महात्मा जितनी घुमक्कडी और भी करत...अस्सी घाट, शरद पूर्णिमा और चाँदनी की पदचाप - सभी तस्वीरें आज शाम की हैं। दूसरी तस्वीर में आकाश दीप जल रहा है। आज से तुलसी के पौधे और गंगा घाट के किनारे दीप दान प्रार..

इल्जाम ... - उनपे ... उनपे ... उनपे ... लगे आरोप ... उनकी नजर में साजिशें हैं ! पर, हकीकत में लगते हमें ... इल्जाम सच्चे हैं ! पर, अब ... करे तो करे ... क...फ़िल्म चक्रव्यूह से नक्सल समस्या तक - *प्रकाश झा की फिल्म* चक्रव्यूह देखने की इच्छा बहुत दिनों से थी। नक्सल समस्या पर बड़े बैनर की यह पहली फिल्म है और इसे देखने के बाद भारत के नौजवानों के मन म...मन की नदी - मन की नदी श्वास और मौन के दो तटों के मध्य बहती है मन की नदी... जिसे लील जाता है कभी अगाध मरुथल निगल जाता है कभी आसमान जाने कितनी नदियाँ गुम हो गय...मैं बोलना चाहता था शत प्रतिशत सच - "मैं बोलना चाहता था शत प्रतिशत सच पर पच्चीस प्रतिशत सच इसलिए नहीं बोल सका क्योंकि उससे देश के अल्प संख्यकों के नाम पर खैरात खा रहे दूसरे नंबर के बहुसंख्यक सम...अपमान से सम्मान का तेज बढ़ता है- सम्मान का अपमान नहीं हो सकता गरिमा धूमिल नहीं की जा सकती जो मर्यादित है उसे गाली देकर भी अमर्यादित नहीं किया जा सकता ... शमशान में कर मांगते राजा हरिश...

विण्डोज़ ८ में कुछ नयी उपयोगी सुविधायें - विण्डोज़ ८ में आयी कुछ नयी उपयोगी सुविधायें और कुछ हटायी गयी चीजें [[ यह पोस्ट सामग्री का केवल एक अंश है। पूरी पोस्ट पढ़ने के लिये कृपया ऊपर पोस्ट का टाइटल ...क्षणिकाएं -मैंगो पीपुल ऑफ़ बनाना रिपब्लिक ' - *खट्टे-मीठे, रसीले, * *सख्त और पितपिते,* *अफ़सोस **कि * *सबके सब गए बिक ! * *'मैंगो पीपुल ऑफ़ * *बनाना रिपब्लिक ' !!* * * *xxxxxxxxxxxxxxxxxxx* * * *गुरू..." मिलावटी - फेरबदल " जनता को चिढा रहा है..?? - *" मिलावट के आदी हो चुके " प्यारे मित्रो,शुद्ध प्यार भरा नमस्कार स्वीकार करें !!* * हमारे" पावर - फुल " प्रधानमंत्री जी ने अपने...अपेक्षाएं - गहन प्रेम ही तो किया था प्रिय क्या इसमें भी तुम्हारी शंकाएं सिर उठाती हैं ? यह केवल आसक्ति नहीं थी प्रिय ! इसमें दोषी शायद मेरे कृत्य ही हैं कहीं न क...असुर मर्दिनी .. - चंड-मुंड , शुम्भ-निशुम्भ , महिषासुर और रक्तबीजों का मर्दन करने हेतु माँ काली और महिषासुर-मर्दिनी की नवरात्रि में भरपूर स्तुति की। अब दिल्ली दूर नहीं , इन...

छत्तीसगढ़ी भाषा के शब्दकोश, भाषा और मानकीकरण की चिंता - *- संजीव तिवारी* शब्द भाषा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण और अपरिहार्य कड़ी है. शब्द के बिना भाषा की कल्पना करना निरर्थक है. वास्तव में शब्द हमारे मन के अमूर्त्त ...रफूगरी, रफादफा, हाजत-रफा -पिछली कड़ियाँ- 1.‘बुनना’ है जीवन.2.उम्र की इमारत.3.‘समय’ की पहचान.[image: darn] 4. दफ़ा हो जाओ हि न्दी की अभिव्यक्ति क्षमता बढ़ाने में विदेशज शब्दों के सा...चांदनी का दरिया - ये जगमगाता चांदनी का दरिया और उसमें दमकता सा तुम्हारा चेहेरा ये अनोखी सी मदभरी ठंडक अपनी नजदीकियों की ये गरमाहट । ये शरद की लुभावनी सी ऋतु ये फिज़ा भी ...शरद पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई -शरद पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई जय जोहार .....



आज बस इतना ही .. मिलते हैं अगली वार्ता में ......

सोमवार, 29 अक्तूबर 2012

कौन ब्लॉगर बनना चाहेगा? -------- राम राम ब्लॉग4वार्ता ......... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार, प्रस्तुत हैं ब्लॉग वार्ता में कुछ फटाफट लिंक्स ............

राजपूत नारियों की साहित्य साधना : प्रेम कुंवरी यह सर्वथा अज्ञात और साहित्यिक क्षेत्र में अचर्चित राजपूत कवयित्री है| महाराजा जयसिंह आमेर की महारानी चन्द्रावती द्वारा अपनी आत्मा के कल्याणार्थ संकलित करवाई गयी पद्य कृति में इनके २८ छंद संकलित है| यह पद्य महाराव मनोहरदास शेखावत के ब्रजभाषा में रचित पद्यों के संकलन के पश्चात् लिखित है| ग्रंथ में लिखा है- प्रेमकुंवर बाई कृत पद्य| यद्धपि यह तो अन्य साहित्यिक स्त्रोतों से स्पष्ट नहीं होता कि प्रेमकुंवरी का जन्म, माता-पिता, विवाह आदि किस कुल में किस संवत में हुआ, परन्तु महाराव मनोहरदास की रचना की समाप्ति के बाद हि इनकी रचना लिपिबद्ध होने और बाई संबोधन से यह प्रत्यय होता है कि वह शेखाव... more »

आशा आशा तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ सर सर सर सर चले पवन जब खुशियाँ मैं उड़ाती हूँ शब्दों के तोरण से कानों में घंटे घड़ियाल बजाती हूँ अंतस की सोई अगन को मध्धम मध्धम जलाती हूँ मूक श्लोक अंजुरी में भर कर नया संकल्प दोहराती हूँ तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ जीवन के इस हवन कुण्ड में अपने अरमान चढ़ाती हूँ क्षत विक्षत आहत सी सांसें कहीं कैद कर आती हूँ भूली बिसरी बातों पर फिर नत मस्तक हो जाती हूँ आशा की पंगत में बैठे जो उनका दोना भर आती हूँ तिमिरपान कर लेत... more »

लहुरी काशी रतनपुर बाबू रेवाराम से गौरवान्वित लहुरी काशी रतनपुर के काशीराम साहू (लहुरे) के माध्यम से यहां की पूरी सांस्कृतिक परम्परा सम्मानित हुई, जब इसी माह 9 तारीख को छत्तीसगढ़ के लोक नाट्‌य के लिए उन्हें संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार-2011 मिला। आठ सौ साल तक दक्षिण कोसल यानि प्राचीन छत्तीसगढ़ की राजधानी का गौरव रतनपुर के नाम रहा। इस दौरान राजवंशों की वंशावली के साथ यहां कला-स्थापत्य के नमूनों ने आकार लिया। अब यह कस्बा महामाया सिद्ध शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है। कभी इसकी प्रतिष्ठा लहुरी काशी की थी। तासु मध्य छत्तिसगढ़ पावन। पुण्य भूमि सुर मुनि मन भावन॥ रत्नपुरी तिनमें है नायक। कांसी सम सब विधि सुखदायक॥... more » अन्नपूर्णा गहरे सांवले रंग पर गुलाबी सिंदूर ,गोल बड़ी बिंदी ...... कहीं से घिसी ,कहीं से सिली हुई साड़ी पहने अपनी बेटी के साथ , खड़ी कुछ कह रही थी मेरी नयी काम वाली .. कि मेरी नज़र उस के चेहरे ,गले और बाहं पर मार की ताज़ा -ताज़ा चोट पर पड़ी ....और दूर तक भरी गहरी मांग पर भी ..... और पूछ बैठी , कितने बच्चे है तुम्हारे .. सकुचा कर बोली जाने दो बीबी .....!!!!! क्यूँ ..!!!. .तुम्हारे ही है ..... या चुराए हुए ...और तुम्हारा नाम क्या है ,बेटी का भी.... वो बोली नहीं -नहीं बीबी .... चुराऊँगी क्यूँ भला .. पूरे आठ बच्चे है ....ये बड़ी है सबसे छोटा गोद में है ..... पता नहीं मुझे क्यूँ हंसी आ गयी ........ इसलिए ... more »

जसपाल भट्टी वन मैन आर्मी अगेंस्ट करप्शन जसपाल भट्टी को कॉमेडी किंग भी कहा जाता रहा है और वे भारतीय टेलीविजन और सिने जगत का एक जाना-पहचाना नाम रहे हैं। भट्टी को आम-आदमी को दिन-प्रतिदिन होने वाली परेशानियों को हल्के-फुल्के अंदाज में पेश करने के लिए जाना जाता रहेगा। उनका जन्म 3 मार्च 1955 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनकी पत्नी, सविता भट्टी हमेशा उनके कार्यों में उनका सहयोग करती थी। दूरदर्शन पर प्रसारित उनके सबसे लोकप्रिय शो – फ्लॉप शो में उनकी पत्नी सविता भट्टी ने अभिनय करने के साथ ही उसका प्रोडक्शन भी किया। भट्टी ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री ली लेकिन उनका मन इंजीनियिंग में नहीं ... more » 

इसे पढ़कर कौन ब्लॉगर बनना चाहेगा...मठाधीश! वाल्मीकि जयंति पर विशेष.... वाल्मीकीय रामायण के उत्तर कांड में एक बहुत ही रोचक प्रसंग है..... नित्य की भांति श्रीराम आज भी राजकार्य को निपटाने के लिए पुरोहित वशिष्ठ तथा कश्यप आदि मुनियों और ब्राह्मणों के साथ राज्यसभा में आ गये। इधर कार्य को निपटाने के उपरान्त श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा- लक्ष्मण! * * *निर्गच्छ त्वं महाबाहो सुमित्रानन्दवर्धन।* *कार्यार्थिनश्च सौमित्रे व्याहर्तुं त्वमुपाक्रम।।* * * तुम स्वयं जाकर देखो। यदि कोई कार्यार्थी द्वार पर उपश्थित है, तो उसे भीतर आने के लिए कहो। श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण ने बाहर आकर उच्च स्वर में कहा-क्या किसी को श्रीरामजी से मिलना है? किसी ने भ... more » 

मुखौटों की बस्ती.... संध्या शर्मा

इतनी बडी बस्ती में मुझे एक भी इंसान नहीं दिखता चेहरे ही चेहरे हैं बस किस चेहरे को सच्चा समझूँ किसे झूठा मानूं और उस पर इन सबने अपनी जमीन पर बाँध रखी है धर्म की ऊंची - ऊंची इमारतें इन्ही में रहते हैं ये मुखौटे क्षण प्रतिक्षण बदल लेते हैं नाम, जाति, रंग‍,रूप बसा रखा है सबने मिलकर मुखौटों का एक नया शहर जिन्हें चाहिए यहाँ सिर्फ मुखौटे जिनमे मन, ह्रदय, भावना कुछ नहीं बस फायदे नुकसान के सबंध इंसान जिए या मरे कोई फर्क नहीं पड़ता इन मुखौटों को लगे हैं कारोबार में श्मशान विस्तारीकरण के ये नहीं जानते मृत्यु केवल अंत ... more »
 
वार्ता को देते हैं विराम, मिलते हैं, ब्रेक के बाद ..........

रविवार, 28 अक्तूबर 2012

चाँद मुबारक... ब्लॉग 4 वार्ता... संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...  वार्ता परिवार की ओर से आप सभी को ईद की हार्दिक-हार्दिक शुभकामनायें ...... नवरात्री और दशहरे की धूमधाम के बाद आप सभी का ब्लॉग 4 वार्ता पर बहुत-बहुत स्वागत है। आज रविवार है, मतलब अवकाश का दिन और हम सबको नई - नई ब्लॉग पोस्ट पढ़ने से ज्यादा आनंद  और कहीं नहीं मिल सकता। ये तो हमारी दिनचर्या में शामिल हो चुके हैं,  कुछ अतिरिक्त समय और मिल जाये तो फिर क्या कहने। काफी दिन हो गए आप सब से कुछ कहे, थोडा सा बोलना तो बनता है न, अच्छा ठीक है हम आगे कुछ नहीं कहते हुए सीधे चलते हैं आज की वार्ता पर। लीजिये प्रस्तुत है आज की वार्ता बहुरंगी लिंक्स के साथ ....


http://www.nicekarachi.com/eid-mubarak-card/newcards/eid1.jpg

शुभकामनाएं ईद के शुभावसर पर  ईद के शुभ अवसर पर आप सब को हार्दिक शुभ कामनाएं | एक डाल के दो पत्ते फिर भी रहे न कभी जुदा सभी त्यौहार मिल कर मनाते हिलमिल कर मिठाई खाते | प्यार अनवरत बढता जाता खुशियाँ हर त्यौहार लाता...कैसे मिलते राम मारा-मारा फिरता है, प्राणी चारों धाम, मन के भीतर खोजा ना, कैसे मिलते राम, जीवन कैसा जीता है, प्राणी हो गुमनाम, एक दूजे के हिस्से हैं, श्री राधे-घनश्याम, किस्मत अपनी रूठे तो, बनता बिगड़े काम, होनी-अनहोनी सब, भगवन तेरे नाम, श्री राधा के चरणों में, नतमस्तक प्रणाम।। ..वे क्या मल्टीप्लाइड बाई टू थे क्या मानव द्वारा ईश्वर पूजा, ध्यान, योग, या कहें आज की तारीख में धर्मग्रंथों में लिखे उपदेश निहायत ही आज के जीवन में अनुपयोगी हैं? विजयादशमी के दिन चर्चा चल रही थी; क्या सचमुच रावण के दस शीश थे? और हाथ कान आँख याने मानव के कंधे से जुड़े व कंधे के ऊपर के अंग जो 2-2 होते हैं, वे क्या मल्टीप्लाइड बाई टू थे?......

आकाश से टकराती खिलखिलाहटें - मासूम खिलखिलाहटों के एक रेले ने जिस मजबूती से मुझे अचानक आ पकड़ा था कि व्यक्तित्व में समाई शाश्वत उदासियां भी भाग खड़ी हुईं. कैसा अजूबा था. उन चेहरों से,... मेरे पैर नही भीगे ……………देखो तो !!! - मेरे पैर नही भीगे देखो तो उतरे थे हम दोनों ही पानी के अथाह सागर में सुनो………जानते हो ऐसा क्यों हुआ? नहीं ना …………नहीं जान सकते तुम क्योंकि तुम्हें मिला ....तुम शायद ही समझो - आँखों की लाली कितने समंदर समेटे होती है .. कितने तूफ़ान छुपाये होती है... अपने भीतर . यादों की धूल से धूसरित मन ही यह जान सकता है समझ सकता है गला भर आता ... 

पुतले और वास्तविकता - यह संसार एक मेला है , यहाँ जो भी आता है अपना समय बिता कर चला जाता है आने - जाने का यह क्रम आदि काल से चला आ रहा है . पूरी कायनात को जब हम देखते हैं तो यह..मुखौटों की बस्ती.... ]इतनी बडी बस्ती में मुझे एक भी इंसान नहीं दिखता चेहरे ही चेहरे हैं बस किस चेहर...मंज़र - तेरे दामन की जो ये दिलकश ख़ुश्बू है कितने ही फूलों की शहादत की दास्ताँ है... उनके ज़ुल्मों से पामाल हो गए हम से कितने कैसे कह दूं जो उनका है वही मेरा पास..

कोई भी इंसा मुझे बुरा नहीं लगता. - दिल की उलझन ने जन्म दिया कुछ अटपटे और बेतरतीब ख्यालों को....उन ख्यालों को करीने से रखा तो लगा कुछ गज़ल सी बनी......काफिया रदीफ कहाँ है पता नहीं ....अब वहाँ मैं भी हूँ .... - यहाँ ..एक पल में ख्याब सजतें है अगले ही पल टूट जाते है तो मुझे क्या लुत्फ़ देंगी , इस ज़माने की कोई भी खुशी बड़ी ही कशमकश में हूँ कि क्यों मुझे से वो ही ...... यों रूठा ना करो - शिकवे कबूल लूंगा, तू मुझको बता तो दे, या कह दे सारी बात, जो उसका पता तो दे. गुल से पूछा, गुलशन से पूछा, भंवरों ने भी कह दिया- उनको नहीं पता।..

  लक्ष्मण मंदिर सिरपुर ...... - संग्रहालय की कुछ मूर्तियाँ और लक्ष्मण मंदिरधसकुड़ से लौटते हुए रास्ते में मख्मल्ला और खरखरा नामक दो नाले मिले, बरसाती खेती में नालों का भी सिंचाई के लिए ... पत्थर के पेड़ .... - * **दरख़्त की * *सूखती डाल,* *कह रही है .....* *पगली मत बना नीड़* *मेरी छाँव में * *कल आएगा लक्कड़हारा * *कर कुल्हाड़े का प्रहार * *काट ले जायेगा ,* *साथ... रूपकुण्ड- एक रहस्यमयी कुण्ड - इस यात्रा वृत्तान्त को शुरू से पढने के लिये यहां क्लिक करें। भगुवाबासा समुद्र तल से लगभग 4250 मीटर की ऊंचाई पर है जबकि इससे चार किलोमीटर आगे रूपकुण्ड 4800 म... 

कार्टून:-हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए 

 

  

आज के लिये बस इतना ही नमस्कार ...........

बुधवार, 24 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- नवमी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार .........नौ दिन तक चलने वाले नवरात्र का आज आखिरी दिन  है. नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मां दुर्गा अपने नौवें स्वरूप में सिद्धिदात्रीके नाम से जानी जाती हैं. आदि शक्ति भगवती का नवम रूप सिद्धिदात्री है, जिनकी चार भुजाएं हैं. उनका आसन कमल है. दाहिनी ओर नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाई ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है. मां सिद्धिदात्री सुर और असुर दोनों के लिए पूजनीय हैं. जैसा कि मां के नाम से ही प्रतीत होता है मां सभी इच्छाओं और मांगों को पूरा करती हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी का यह रूप यदि भक्तों पर प्रसन्न हो जाता है, तो उसे 26 वरदान मिलते हैं. हिमालय के नंदा पर्वत पर सिद्धिदात्री का पवित्र तीर्थस्थान है. 


या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥




आज मिलिए  शैल मंजुषा "अदा"  जी से, ये मई 2009 से ब्लॉग जगत में हैं। अपने छोटे से परिचय में कहती हैं " बस मैं और मेरे ख्यालों का मौसम..."  संगीत सुनना, karaoke पर गाना, चुटकुले सुनाना, नक़ल करना, कविता लिखना और पढ़ना, बातें करना, बच्चों के साथ बैठ कर फिल्में देखना, जब भी अवसर मिले माँ और पिताजी को दर्शनीय स्थलों पर घुमाने ले जाना इन्हें पसंद है  काव्य मंजूषा इनका ब्लॉग है .


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इनकी प्रथम पोस्ट 

समय...

याद है मुझे,
जब मैं छोटी बच्ची थी,
झूठी दुनिया की
भीड़ में, भोली-भाली
सच्ची थी,
तब भी सुबह होती थी
शाम होती थी,
तब भी उम्र यूँ ही
तमाम होती थी,
लगता था पल बीत रहे हैं
दिन नहीं बीता है
मैं जीतती जा रही हूँ,
वक्त नहीं जीता है,
पर,अब बाज़ी उलटी है पड़ी,
वक्त भाग रहा है,और मैं हूँ खड़ी
वक्त की रफ़्तार का
नही दे पा रही हूँ साथ,
इस दौड़ में न जाने कितने
छूटते जा रहे हैं हाथ
अब समय मुझे दीखाने लगा अंगूठा
कहता है, तू झूठी,
तेरा अस्तित्व भी झूठा
जब तक तुम सच्चे हो
तुम्हारा साथ दूंगा
जब कहोगे,जैसा कहोगे,
वैसा ही करूँगा
अच्छाई की मूरत बनोगे तो
समय से जीत पाओगे
वर्ना दुनिया की भीड़ में
बेनाम खो जाओगे
आज भी समय जा रहा है भागे
सदियों पुरानी सच्चाई की मूरत
अब भी हैं आगे
ये वो हैं जिन्होंने
ता-उम्र बचपन नहीं छोडा है
वक्त ने इन्हें नहीं,
इन्होने वक्त को मोड़ा है
सोचती हूँ
कैसे लोग बच्चे रह जाते हैं
झूठ की कोठरी में रह कर भी
सच्चे रह जाते हैं,
अभी तो मुझे
असत्य की नींद से जागना है
फिर समय के
पीछे-पीछे दूर तक
भागना है ....

नवीनतम पोस्ट 

मेरे कदम...


न वो चिनार के बुत,
न शाम के साए,
एक सहज सा रस्ता,
न पिआउ, न टेक |
बस तन्हाई से लिपटे,
मेरे कदम,
चलते ही जाते हैं
न जाने कहाँ ।
मिले थे चंद निशाँ,
कुछ क़दमों के,
पहचान हुई,
चल कर कुछ कदम,
अपनी राह चले गए,
फिर मैं और
तन्हाई से लिपटे
मेरे कदम
चल रही हूँ न...
मैं अकेली.. !!
इसके साथ ही नवदेवियों  की यह खास श्रंखला समाप्त होती है, अगली नवरात्री में इस क्रम को और आगे बढ़ाएंगे। मिलते हैं अगली वार्ता में तक के लिए राम - राम ...............

मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- अष्टमी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ............. माँ दुर्गा जी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है | इनका वर्ण पूर्णत: गौर है | इनकी गौरता की उपमा शंख, चक्र और कुंद के फूल से की गई है | इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- ' अष्टवर्षा भवेद गौरी ' | इनके वस्त्र एवं समस्त आभूषण आदि भी श्वेत है | इनकी चार भुजाएं है | इनका वाहन वृषभ है | इनके ऊपर के दाहिना हाथ अभय-मुद्रा में तथा नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है | ऊपर वाले बायें हाथ में डमरू और नीचे वाले बायें हाथ में वर मुद्रा है | इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है | अपने पार्वती रूप में जब इन्होने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी तो इनका रंग काला पड़ गया था | इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने इनके शरीर को पवित्र गंगा-जल से मल कर धोया तब इनका शरीर बिजली की चमक के सामान अत्यंत क्रन्तिमान-गौर हो गया | तभी से इनका नाम महागौरी पड़ा |  

श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः |
महागौरी   शुभं  दधान्महादेवप्रमोददा ||
https://encrypted-tbn2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcR-8cSrUKjx0bZutANHMoG3j9UdnrZRaymg7-vGPBp8rkuqIA1o0Q

आज मिलिए सुषमा 'आहुति' जी से मार्च 2011 कानपुर  से  ब्लॉगिंग कर रही हैं। अपने बारे में लिखते हुए कहती हैं -  सुषमा "आहुति" शिक्षा-बी.एड.एम.ए.( यु जी सी नेट समाजशास्त्र) कार्य-डिग्रीकॉलेज में प्रवक्ता... पिता-श्री हरी चन्द्र माता-श्रीमती जमुना देवी.... .....पता-कानपुर ब्लॉगलिंक-sushmaaahuti.blogspot.com परिचय-मेरा परिचय तब तक अधूरा है जब तक मै अपने माता पिता का जिक् ना कर लूँ आज मै जो कुछ भी हूँ इनके ही त्याग और कठिन संघर्ष के कारण ही हूँ इनके ही दिये आर्शीवाद और दिये संस्कारो से ही आज मैने अपनी पहचान बनायी है..!!!!........... रंग तितलियों में भर सकती हूँ मैं...... फूलो से खुशबू भी चुरा सकती हूँ मैं.... यूँ ही कुछ लिखते-लिखते इतिहास भी रच सकती हूँ मैं......!!! 

[4X6.jpg] 

इनकी प्रथम पोस्ट:

एक लम्हा...!!!

एक लम्हा जो जिँदगी से कभी गया नही,
 हम भूले हो उसे एक पल के लिये ऐसा भी कभी हुआ नही..!

 रास्ते बहुत थे कुछ जाने पहचाने कुछ अन्जाने,
 पर मंजिल तक जो जाता,
 हमे ऐसा कोई रास्ता मिला नही..!!

 हमे वो मिला है जो नसीब मेँ था,
 किसी से शिकवा कोई गिला नही,
 हमने निभाया है जिँदगी का साथ हर हालात मे,
 मुकाम और भी मिल सकते थे,
 पर वक्त ने साथ दिया नही...!!!

 एक लम्हा जो बदल सकता था जिँदगी के मायने,
 बहुत कोशिश की जिँदगी को बदलने की,
 पर जिँदगी से वो लम्हा मिला नही......!!!!


अद्यतन पोस्ट: 

कोई रिश्ता है हमारा......... !!!


         इस रिश्ते को क्या नाम दूँ..?         
सिर्फ महसूस होता है....

कि हमारा कोई रिश्ता है.....


नज़र नही आता किसी को,

दिखाई देता भी नही है...

सिर्फ हवा के झोकों के साथ,

साँसों को महसूस होता है...

कि हमारा कोई रिश्ता है..


पन्नो पे लिखा जा सकता नही,

शब्दों में बांधा जा सकता नही..

निशब्द सा कोई रिश्ता है हमारा......


ख्वाबों में भी सजाया जा सकता नही,

ख्यालों में भी लाया जा सकता नही...

धडकनों के साथ महसूस होता है...

कि हमारा कोई रिश्ता है....


सवाल कोई करता नही,

ज़वाब भी कोई चाहता नही....

निरूत्तर सा है कोई रिश्ता 
है हमारा....

आगाज़ कोई करता नही,

अंजाम भी कोई चाहता नही,

अनंत सा है कोई रिश्ता 
है हमारा.....

ना कुछ कहना चाहता है किसी से,

ना ही कुछ सुनना चाहता है किसी से....

ख़ामोशी को बयां करता कोई रिश्ता है हमारा...........


ना किसी सफ़र की चाह है इसको,

ना किसी मंजिल की तलाश है इसको...

मेरी परछाई के साथ-साथ चलता....

कोई रिश्ता है हमारा.........


आज की वार्ता समाप्त करते हैं कल फिर आपसे मुलाकात होगी तब तक के लिए राम-राम .............

सोमवार, 22 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- सप्तमी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ..........नवरात्र के सातवें दिन आदि शक्ति मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना का विधान है। व्यापार संबंधी समस्या, ऋण मुक्ति एवं अचल संपत्ति के लिए मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है। देखने में मां का स्वरूप विकराल है। परंतु मां सदैव ही शुभ फल प्रदान करती हैं। इस दिन साधकगण अपने मन को सहस्रार चक्र में स्थित करते हैं और मां की अनुकंपा से उन्हें ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना एवं साधना द्वारा अकाल मृत्यु, भूत-प्रेत बाधा, व्यापार, नौक री, अग्निभय, शत्रुभय आदि से छुटकारा प्राप्त होता है।
"कराल रूपा कालाब्जा समानाकृति विग्रहा।
   कालरात्रि शुभ दधद् देवी चण्डाट्टहासिनी॥"

 

ब्लॉग जगत की आज की देवी हैं  सुशीला  श्योराण जी है। मई  2011 से गुडगाँव से ब्लॉगिंग कर रही हैं, 

My Photo
आदि कई पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित है. अपने बारे में इनका कहना है "A very straight forward person who values truth, discipline, dedication and loyalty.I am passionate about -teaching, poetry and sports. I love children, rain,visiting new places etc. हमारी भावनाएँ शब्दों में ढल कविता का रूप ले लेती हैं। अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने अपनी भावनाओं, अपने अहसासों और अपनी विचार-धारा को अभिव्यक्ति दी है" इनका प्रमुख ब्लॉग वीथी है |

इनकी प्रथम पोस्ट:

 माँ

कोख में सहेज
रक्त से सींचा
स्वपनिल आँखों ने
मधुर स्वपन रचा
जन्म दिया सह दुस्तर पीड़ा
बलिहारी माँ देख मेरी बाल-क्रीड़ा !
गूँज उठा था घर आँगन
सुन मेरी किलकारी
मेरी तुतलाहट पर
माँ जाती थी वारी-वारी !
उसकी उँगली थाम
मैंने कदम बढ़ाना सीखा
हर बाधा, विपदा से
जीत जाना सीखा !
चोट लगती है मुझे
सिसकती है माँ
दूर जाने पर मेरे
खूब बिलखती है माँ !
ममता है, समर्पण है
दुर्गा-सी शक्‍ति है माँ
मेरी हर ख़ुशी के लिए
ईश की भक्ति है माँ !
माँ संजीवनी है
विधाता का वरदान है
जिंदगी के हर दुःख का
वह अवसान है
प्रभु का रूप
उस का नूर है माँ
एक अनमोल तोहफा
सारी कायनात है माँ !
-सुशीला शिवराण

अद्यतन पोस्ट:

बर्फ हुईं संवेदनाएँ

आज ’वीथी" पर सूरज प्रकाश जी जैसे साहित्यकार की सदस्यता ने १०० का आँकड़ा पूरा कर शतक बनाया !बहुत प्रसन्नता हो रही है मित्रोके साथ यह खुशी साझा करते हुए ! प्रभु के और आप सब के प्रति आभार व्यक्‍त करते हुए मैं सुशीला श्योराण "शील" यह कविता आप सब की नज़र करती हूँ - 

                



ग्रीनपार्क की चौड़ी मगर संकरी पड़ती सड़क
ठीक गुरूद्वारे के सामने

ट्रैफ़िक की रेलम-पेल में
रेंगती-सी ए.सी. कार में
बेटे का साथ
निकट भविष्य की मधुर कल्पना
और राहत फ़तेह अली खान के सुरों में खोई
आँखें मूँदे आनंदमग्न मैं
ब्रेक के साथ बाहर दृष्टि पड़ती है
और जैसे मैं स्वप्नलोक से 
दारुण यथार्थ में पटक दी गई !


तवे-सा काला वर्ण
चीथड़ों में लिपटा नर-कंकाल
सड़क के बीचों-बीच
बायाँ हाथ दिल पर
चेहरे पर भस्म कर देने वाला क्रोध
दायें हाथ से बार-बार
हवा में 'नहीं' संकेतित करता
चारों दिशाओं में यंत्रवत घूमता
विक्षिप्‍त मानव
नहीं भूलता !


दिल ने पुकारा -
कहाँ हो दरिद्रनारायण ?
कितना आसान है
उसे पुकारना
और आँखें बन्द कर
आगे निकल जाना !


 कल फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए राम-राम ......
  

रविवार, 21 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- षष्ठी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार .........., नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इस देवी को नवरात्रि में छठे दिन पूजा जाता है। कात्य गोत्र में विश्व प्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की। कठिन तपस्या की। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायिनी कहलाईं। इनका गुण शोध कार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायिनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। 

चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायिनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgdY2Tkb8aM-yrpmY_uFIvwuekNgFcDNVvhLPHNoH5vkjllKvXsndseFzHJS4Z0MpS_TeQEM7Q2WT8fIdfV_t_X8Vuz7AdXnAA6bSV-N8DB40alwOzjmc9o_0FQSJyu-sroSMgzBwOJQq4/s320/6_maa_katyayini.jpg 
ब्लॉग जगत की आज की देवी हैं संध्या शर्मा जी। जो नागपुर से  ब्लॉगिंग कर रही हैं August 2010से ब्लॉग जगत में हैं..मूलत कवियत्री हैं, वार्ता पर ब्लॉग चर्चा भी करती हैं, अपने बारे में लिखते हुए कहती हैं- लिखने का शौक तो बचपन से था, ब्लॉग ने मेरी भावनाओं को आप तक पहुचाने की राह आसान कर दी. काफी भावुक और संवेदनशील हूँ. कभी अपने भीतर तो कभी अपने आस-पास जो घटित होते देखती हूँ, तो मन कुछ कहता है, बस उसे ही एक रचना का रूप दे देती हूँ. आपके आशीर्वाद और सराहना की आस रखती हूँ...

मंगलवार, 17 अगस्त 2010  को इनकी प्रथम पोस्ट 

WAQT NAHI

है ख्वाब भरे इन आँखों में,
पर सोने का वक़्त नहीं,
ज़ख्म भरे हैं सीने में,
पर सीने का वक़्त नहीं,
हर पल दौड़ती दुनिया है,
पर जीने का वक़्त नहीं,
हजारों ग़म इस दिल में भरे,
पर रोने का वक़्त नहीं,
सारे नाम ज़ेहेम में हैं,
पर दोस्ती का वक़्त नहीं,
अब तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
कैसी है यह दीवानगी,
तेरा साथ निभाना है,
संग चलने का वक़्त नहीं..

बृहस्पतिवार, 11 अक्तूबर 2012 को अद्यतन पोस्ट

जीवन संध्या


सुबह से शाम
चलते-चलते
थक गया तन
सुनते-सुनते
ऊबा मन
आँखें नम
निर्जन आस
भग्न अंतर
उद्वेलित श्वास
बहुत उदास
कुछ निराश
शब्द-शब्द
रूठ रहे हैं
मन प्राण
छूट रहे हैं
पराया था
अपना है
कभी लगता
सपना है
सूरज जैसे
अस्त हो चला
अंतिम छंद
गढ़ चला.................! 

अब लेते हैं विराम, मिलते हैं अगली वार्ता में राम राम  

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- पंचमी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार .........माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है. भगवान स्कन्द कुमार (कार्तिकेय)की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवे स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है. भगवान स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं, इस दिन साधक का मन विशुध्द चक्र में अवस्थित होता है. स्कंद माता का रूप सौंदर्य अद्वितिय आभा लिए पूर्णतः शुभ्र वर्ण का होता है माँ कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं, स्कंदमाता को पद्मासना देवी तथा विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है.स्कंद माता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज पाता है. यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है. एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है.

सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj0yJbfUgN_b_I5dYsYuaM0xviqa0HmAvD7P3LscjZ3QiL784c3tsVpeZYLNlWT-3QITMwxH1WsTbyBEDebvZcAI5UDkRQDdkuWIpzEaxUea2gDwgN8Mfr0-zKgHP6R0i3asm_-ndfsRfjy/s1600/Skanda-Mata.jpg
वैसे तो इस श्रंखला में आने वाली ब्लॉग जगत की कोई भी देवी परिचय की मोहताज नहीं हैं, फिर भी नवदेवियों के साथ उनके स्मरण का एक प्रयास है यह. ब्लॉग जगत की नव देवियों के क्रम में आज मिलते हैं सुनीता शानू जी से, बहुत सारे  ब्लॉग पर उनकी उपस्थिति दिखाइ देती है  मुख्य ब्लॉग मन पखेरू उड़ चला दिखाई देता है .


उनके ब्लॉग की अद्यतन पोस्ट है कविताई होती भी नही आजकल 

हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल
किसी की प्यारी बातों ने 
बाँधा है कुछ इस कदर 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ
कुछ शब्द कागज़ पर बस
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल…

साफ़गोई इतनी अच्छी तो नही
मगर पाकिजा सी तेरी मूरत 
टकटकी लगाये निहारती
मोह सा जगा देती है मुझमें 
कि न चाह कर भी लिख बैठी हूँ मै
कुछ शब्द कागज पर बस. 
हर बात तुमसे कही नही जाती
कविताई होती भी नही आजकल

शानू जी साहित्य की कई विधाओं में हाथ आजमाती हैं, व्यंग्य भी अच्छा लिखती हैं,  अब मिलते हैं अगली वार्ता में तब  के लिए आज्ञा दीजिये, राम राम 

शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- चतुर्थी...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ... नवदेवियों  में चतुर्थ देवी कुष्मांडा का तेज सूर्य रूप सा व्यापक है ..
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे। 

नवरात्रि में चौथे दिन देवी को कुष्मांडा के रूप में पूजा जाता है। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत्‌ हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदि स्वरूपा या आदि शक्ति कहा गया है। .


http://www.aajkikhabar.com/hindi/uploads/images/300x300/100646.jpg


ब्लॉग जगत की आज की देवी हैं शिखा वार्ष्णेय जी ... London, United Kingdom से ब्लॉगिंग कर रही शिखा जी मार्च 2009 से ब्लॉग जगत में हैं..जानकी वल्लभ शास्त्री, साहित्य सम्मान, साहित्य निकेतन परिकल्पना सम्मान 2010- यात्रा वृत्तान्त के लिए श्रेष्ठ लेखिका सम्मान से सम्मानित . अपने बारे में लिखते हुए कहती हैं-

[P7030130+shikha.JPG]..............

"अपने बारे में कुछ कहना कुछ लोगों के लिए बहुत आसान होता है, तो कुछ के लिए बहुत ही मुश्किल और मेरे जैसों के लिए तो नामुमकिन फिर भी अब यहाँ कुछ न कुछ तो लिखना ही पड़ेगा न [:P].तो सुनिए. by qualification एक journalist हूँ moscow state university से गोल्ड मैडल के साथ T V Journalism में मास्टर्स करने के बाद कुछ समय एक टीवी चैनल में न्यूज़ प्रोड्यूसर के तौर पर काम किया, हिंदी भाषा के साथ ही अंग्रेज़ी,और रूसी भाषा पर भी समान अधिकार है परन्तु खास लगाव अपनी मातृभाषा से ही है.खैर कुछ समय पत्रकारिता की और उसके बाद गृहस्थ जीवन में ऐसे रमे की सारी डिग्री और पत्रकारिता उसमें डुबा डालीं ,वो कहते हैं न की जो करो शिद्दत से करो [:D].पर लेखन के कीड़े इतनी जल्दी शांत थोड़े ही न होते हैं तो गाहे बगाहे काटते रहे .और हम उन्हें एक डायरी में बंद करते रहे.फिर पहचान हुई इन्टरनेट से. यहाँ कुछ गुणी जनों ने उकसाया तो हमारे सुप्त पड़े कीड़े फिर कुलबुलाने लगे और भगवान की दया से सराहे भी जाने लगे. और जी फिर हमने शुरू कर दी स्वतंत्र पत्रकारिता..तो अब फुर्सत की घड़ियों में लिखा हुआ कुछ,हिंदी पत्र- पत्रिकाओं में छप जाता है और इस ब्लॉग के जरिये आप सब के आशीर्वचन मिल जाते हैं.और इस तरह हमारे अंदर की पत्रकार आत्मा तृप्त हो जाती है......."

इनकी प्रथम पोस्ट:

कौन

क्यों घिर जाता है आदमी,
अनचाहे- अनजाने से घेरों में,
क्यों नही चाह कर भी निकल पता ,
इन झमेलों से ?
क्यों नही होता आगाज़ किसी अंजाम का
,क्यों हर अंजाम के लिए नहीं होता तैयार पहले से?
ख़ुद से ही शायद दूर होता है हर कोई यहाँ,
इसलिए आईने में ख़ुद को पहचानना चाहता है,
पर जो दिखाता है आईना वो तो सच नही,
तो क्या नक़ाब ही लगे होते हैं हर चेहरे पे?
यूँ तो हर कोई छेड़ देता है तरन्नुम ए ज़िंदगी,
पर सही राग बजा पाते हैं कितने लोग?
और कोंन पहचान पता है उसके स्वरों को?
पर दावा करते हैं जेसे रग -रग पहचानते हैं वे,
ये दावा भी एक मुश्किल सा हुनर है,
सीख लिया तो आसान सी हो जाती है ज़िंदगी,
जो ना सीख पाए तो आलम क्या हो?
शायद अपने और बस अपने में ही सिमट जाते हैं वे
ओर भी ना जाने कितने मुश्किल से सवाल हैं ज़हन में,
जिनका जबाब चाह भी ना ढूँड पाए हम,
शायद यूँ ही कभी मिल जाएँ अपने आप ही,
रहे सलामत तो पलके बिछाएँगे उस मोड़ पे...


अद्यतन पोस्ट: बदल रहा है हिंदी सिनेमा...

आजकल लगता है हिंदी सिनेमा का स्वर्णिम समय चल रहा है।या यह कहिये की करवट ले रहा है।फिर से ऋषिकेश मुखर्जी सरीखी फ़िल्में देखने को मिल रही हैं। एक के बाद एक अच्छी फिल्म्स आ रही हैं। और ऐसे में हम जैसों के लिए बड़ी मुश्किल हो जाती है क्योंकि फिल्म देखना वाकई आजकल एक अभियान हो गया है.अच्छी खासी चपत लग जाती है। तो इस बार यह चपत जम कर लगी। लगातार 3 फिल्मे आई और तीनो जबरदस्त। अनुराग बासु की बर्फी का स्वाद तो हम 2 हफ्ते पहले ही ले आये थे कुछ (बहुत) नक़ल की गई बातों और कुछ ओवर एक्टिंग को छोड़कर फिल्म अच्छी ही लगी थी। कम से कम क्लास के नाम पर फूहड़पन नहीं था,द्विअर्थी संवाद नहीं थे, हिंसक दृश्य नहीं थे। और कहानी भी अच्छी थी ।गाने कमाल के थे। "इत्ती सी हंसी, इत्ती सी ख़ुशी इत्ता सा टुकड़ा चाँद का " वाह .. बोल पर ही पैसे वसूल हो सकते हैं। रणवीर कपूर ऐसे रोल में जंचते हैं और प्रियंका चोपड़ा ने कमाल किया है। यानि नक़ल भी कायदे से की गई है तो देखने के बाद मलाल नहीं हुआ।फिर आई OMG  और दिल दिमाग एकदम ताज़ा हो गया। परेश रावल और अक्षय कुमार द्वारा निर्मित इस कॉमेडी फिल्म का निर्देशन उमेश शुक्ला ने किया है। ज़माने बाद कोई लॉजिकल फिल्म देखी. होने को कुछ काल्पनिक बातें इसमें भी हैं परन्तु 
चुस्त पटकथा और करारे संवाद इन सब को नजरअंदाज कर देने को विवश कर देते हैं। परेश रावल पूरी फिल्म को अकेले अपने कन्धों पर उठाये रहते हैं और आपका मन हर दृश्य पर तालियाँ बजाने को करता है।जिस रोचक ढंग से धर्म के नाम पर लूटपाट और अंधविश्वास की कलई इस फिल्म में खोली गई है ऐसा मैंने इससे पहले किसी फिल्म में नहीं देखा।फिल्म में परेश रावल के अलावा अक्षय कुमार मुख्य भूमिका में हैं और मिथुन चक्रवर्ती,ओम पुरी की भी छोटी छोटी भूमिकाएं है जिसमें वह फिट नजर आते हैं।प्रभु देवा और सोनाक्षी सिन्हा पर एक गीत भी फिल्माया गया है।कुल मिलाकर हास्य व्यंग्य के तड़के  साथ बढ़िया फिल्म है।

और फिर आई इंग्लिश विन्ग्लिश और सबसे आगे निकल गई। एकदम सुलझा हुआ पर बेहद जरुरी विषय.बेहद सरलता से पानी सा बहता हुआ निर्देशन और साथ बैठकर बात करती सी सहज अदाकारी।एक ऐसी फिल्म जिसे हर किसी को पूरे परिवार के साथ बैठकर देखना चाहिए। एक फिल्म जिसके किसी न किसी किरदार से आप अपने आपको जरुर सम्बंधित पायेंगे। किसी को अपनी माँ याद आती है किसी को बहन की और कोई खुद अपने आपको ही उसमें पाता है। संवाद बेहद सरल और आम रोजमर्रा की जिन्दगी से जुड़े होते हुए भी जैसे सीधे मन की अंदरूनी सतह तक जाते हैं और आपकी आँखें गीली कर जाते हैं। गौरी शिंदे और "पा "और "चीनी कम" जैसी लीक से हट कर फिल्मों को बनाने वाले आर बाल्की की यह फिल्म एक सेकेण्ड को भी पलक झपकाने नहीं देती। दृश्य दर दृश्य इस तरह से चलते हैं कि दर्शक पॉप कॉर्न खाना तक भूल जाएँ। श्रीदेवी ने इस फिल्म में 14 साल बाद फिर से पदार्पण किया है और मुख्य भूमिका शानदार तरीके से निभाई है.सुना है फिल्म में श्रीदेवी का चरित्र गौरी शिंदे की माँ से प्रभावित है।हालाँकि यह भी सच है कि हर टीनएजर बच्चे की माँ को उसमे अपना अक्स दिखाई देगा।
फिल्म में छोटे छोटे कई पात्र हैं और सब अपनी अलग छाप छोड़ते हैं। एक छोटी सी भूमिका अमिताभ बच्चन ने भी निभाई है जो इतनी जानदार है कि फिल्म को एक खुबसूरत रंग और दे देती है।
फिल्म का सबसे सशक्त पहलू मुझे उसके संवाद लगे।बेहद सहजता से कहे गए छोटे छोटे सरल संवाद जैसे पूरी कहानी कह जाते हैं।फिल्म की लम्बाई कम है और गति सुन्दर अत: अगर यहाँ मैंने संवादों या कहानी का जिक्र कर दिया तो आपको फिल्म देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इसलिए इतना ही कहती हूँ  कि अगर आपने यह फिल्म नहीं देखी है तो अगली फुर्सत में ही परिवार के साथ देख आइये।
आइटम सौंग , घटिया दृश्य , फूहड़ संवाद और मारधाड़- खून खराबे वाली फिल्मों के इस दौर में ऐसी फिल्मो का आना वास्तव में एक सकारात्मक ऊर्जा और सुकून दे जाता है.और इनकी सफलता उन निर्माता निर्देशकों के लिए एक सबक है, जिन्हें लगता है कि बिना मसालों के या हॉलीवुड टाइप के लटको झटको के, भारत में फिल्म नहीं चलती। उन्हें अब समझ लेना चाहिए भारत की जनता बेबकूफ नहीं है, उसे अच्छी चीज की कदर आज भी है।
.........

कल मिलिए ब्लॉग जगत की एक  अन्य देवी से, तब तक के लिए राम-राम ......

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

ब्लॉग जगत की नव देवियाँ- तृतीया...ब्लॉग 4 वार्ता... ललित शर्मा

ललित शर्मा का नमस्कार ... नवरात्री  के तीसरे दिन  देवी मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है जो परम शांति की वाहक हैं.चन्द्रघंटा देवी का स्वरूप तपे हुए स्वर्ण के समान कांतिमय है. चेहरा शांत एवं सौम्य है और मुख पर सूर्यमंडल की आभा छिटक रही होती है. माता के सिर पर अर्ध चंद्रमा मंदिर के घंटे के आकार में सुशोभित हो रहा है जिसके कारण देवी का नाम चन्द्रघंटा हुआ. अपने इस रूप से माता देवगण, संतों एवं भक्त जन के मन को संतोष एवं प्रसन्न प्रदान करती हैं. मां चन्द्रघंटा अपने प्रिय वाहन सिंह पर आरूढ़ होकर अपने दस हाथों में खड्ग, तलवार, ढाल, गदा, पाश, त्रिशूल, चक्र,धनुष, भरे हुए तरकश लिए मंद मंद मुस्कुरा रही हैं. माता का अदभुत रूप है...
” या देवी सर्वभूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता.
 नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:” 

http://go.idreamseo.com/~indiahal/images/stories/chandraghanta-hindi.jpg 
वैसे तो इस श्रंखला में आने वाली ब्लॉग जगत की कोई भी देवी परिचय की मोहताज नहीं हैं, फिर भी नवदेवियों के साथ उनके स्मरण का एक प्रयास है यह. ब्लॉग जगत की नव देवियों के क्रम में आज मिलते हैं संगीता पुरी जी से... 


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बोकारो, झारखंड से ब्‍लॉगिंग कर रही संगीता पुरी (http://www.blogger.com/profile/04508740964075984362) अपना परिचय देते हुए लिखती हैं कि मास्‍टर डिग्री ली है अर्थशास्‍त्र में .. पर सारा जीवन समर्पित कर दिया ज्‍योतिष को .. अपने बारे में कुछ खास नहीं बताने को अभी तक .. ज्योतिष का गम्भीर अध्ययन-मनन करके उसमे से वैज्ञानिक तथ्यों को निकलने में सफ़लता पाते रहना .. बस सकारात्‍मक सोंच रखती हूं .. सकारात्‍मक काम करती हूं .. हर जगह सकारात्‍मक सोंच देखना चाहती हूं .. आकाश को छूने के सपने हैं मेरे .. और उसे हकीकत में बदलने को प्रयासरत हूं .. सफलता का इंतजार है। 7 सितंबर 2007 से वर्डप्रेस पर गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष नामक ब्‍लॉग पर ज्‍योतिष में प्रवेश नामक पहली पोस्‍ट से शुरूआत करने के बाद  7 अगस्‍त 2008 को  ब्‍लॉगस्‍पॉट (www.gatyatmakjyotish.com) पर लिखना आरंभ किया , इनके पोस्‍टों में जहां ज्‍योतिष से जुडे अंधविश्‍वासों पर चोट की गयी है , वहीं दूसरी इसके वैज्ञानिक पक्ष को भी सामने लाया गया है...गत्यात्मक ज्योतिष इनका प्रमुख ब्लॉग है, साथ ही ब्लॉग 4 वार्ता के आधार स्तंभों में से एक हैं.

इनकी प्रथम पोस्ट:

ज्योतिष में प्रवेश

कोई व्यक्ति जन्म से ही मजबूत शरीर , व्यक्तित्व , धन , गुण , स्वभाव ,परिस्थितियॉ और साधन प्राप्त करता है और कोई जीवनभर यह सबप्राप्त करने के लिए आहें भरता है और कोई कई प्रकार की शारिरिक औरमानसिक विकृतियों को लेकर ही जन्म लेता है। जरा सोंचिए , इसकोकिसकाप्रभाव कहा जा सकता है ? जिसे वैज्ञानिक वर्ग सेयोग या दुर्योग कहते हैं , वह प्रकृति की एक सोंची समझी हुई चाल होती है। आज कृत्रिम उपग्रहों नेयह सिद्ध कर दिया है कि संपूर्ण ब्रह्मांड में स्थित आकाशीय पिंडों से अनंतप्रकाश की किरणें का जाल बिछा होता है , और पृथ्वी पर ऐसी कोई चीजनहीं , जो इसके प्रभाव से अछूती रह जाए। फिर ग्रहों के प्रभाव से कोईअछूता कैसे रह सकता है ? समुद्र में लहरो का उतार चढ़ाव और अन्य कईप्राकृतिक घटनाएं चंद्रबल के सापेक्ष हुआ करती है।

   

मनोवैज्ञानिकों का यह कहना कि ज्योतिष पर विश्वास एक अंधविश्वास है , जो मानसिक दुर्बलता का लक्षण है , बिल्कुल गलत है। मेहनत से कामकरनेवाला व्यक्ति अकस्मात् किसी दुर्घटना का fशकार क्यों हो जाता है ? कोई छोटा बालक क्यो अनाथ हो जाता है ? कोई व्यक्ति पागलपन या किसीअसाध्य रोग से क्यों ग्रस्त हो जाता है ?

मेरे हिसाब से इन सब प्रश्नों केउत्तर किसी मनोवैज्ञानिक के पास नहीं होंगे। हजारों वर्षों से विद्वानों द्वाराअध्ययन-मनन और चिंतन के फलस्वरुप मानव मन-मस्तिष्क एवं अन्यजड़-चेतनों पर ग्रहों के पड़नेवाले प्रभाव के रहस्य का खुलासा होता जा रहाहै , हॉ यह सत्य अवश्य है कि पूर्णता मनुष्य की नियति में नहीं है , लेकिनपूर्णता की खोज मनुष्य के स्वभाव का अंग है , नहीं तो इतिहास आदिमकाल से एक ही करवट बैठा होता।

आज जरुरत है , धर्म , कर्मकांड औरज्योतिष का गंभीर अध्ययन-मनन करके सही तत्वों को जनता के सम्मुखलाने की। केवल पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सारे नियमों को गलत मान लेनाबेवकूफी ही होगी। भविष्य की थोड़ी भी जानकारी देने के लिए फलितज्योतिष के सिवा दूसरी कोई विद्या सहायक नहीं हो सकती। अपने अनुसंधानको पूर्णता देने के क्रम में हमनें आप सबों से काफी दूरी बनाए रखी , परअब वह समय आ गया है कि हम अपने ज्ञान के प्रकाश को फैलाकर अपनेकर्तब्यों की इतिश्री कर सकें।


अद्यतन पोस्ट:

गत्यात्मक ज्योतिष के दिल्ली के पाठकों के लिए ख़ास मौका ----------

दिल्ली आये पंद्रह बीस दिन  हो गए  ...अब बोकारो लौटने का वक्त हो रहा है ...... आने के बाद से ही आप सबों के बहुत सारे लोगों के फ़ोन और मैसेज मिल रहे हैं --- मुझे भी आप सबसे मिलने की इच्छा है .. जिनसे नेट पर पिछले कितने वर्षों से विचारों का आदान प्रदान होता जा रहा है ... पर अलग अलग जगहों पर सबसे मिलना बहुत मुश्किल है ....... इसलिए इस सप्ताहांत में दिल्ली के सारे ब्लागरों , अपने ब्लॉग के पाठकों और फस्बुक दोस्तों से मिलने जुलने का कार्यक्रम बना रही हूँ ... इस बार मैं आप सबों का परिचय गत्यात्मक ज्योतिष के जनक अपने पिताजी से भी करवाउंगी ... गत्यात्मक ज्योतिष परंपरागत ज्योतिष से किस प्रकार भिन्न है ... और इसके द्वारा की जाने वाली सटीक भविष्यवानियों का वैज्ञानिक आधार क्या है .. इसके बारे में भी मेरे और पापाजी के द्वारा आप सबों को जानकारी दी जाएगी --- ताकि ज्योतिष के प्रति आपके दिलोदिमाग में बैठा अंध विश्वास या भ्रान्ति दूर हो ... और ज्योतिष के बारे में वैज्ञानिक सोंच विकसीत हो ... गत्यात्मक ज्योतिष के कितने पाठक , ब्लोग्गेर्स और फस्बुकिए मित्र तैयार् हैं इस कार्यक्रम के लिए ... उसी के हिसाब से शनिवार और रविवार में से कोई तिथि समय और वेन्यु तय की जाएगी ... दिल्ली में मेरा फ़ोन 918750680860 है .........

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