सोमवार, 2 जून 2014

क्या "स्त्री" होना अपराध है ??? ब्लॉग 4 वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार.... क्या "स्त्री" होना अपराध है ? दिन भर ताना सुन कर भी, कितनी खुश होती है वो... बिना 'खाने' के दिन गुजर जाता है उसका... बिना 'शिकायत' के जिंदगी गुजार देती है 'वो'... फिर भी उस पर ये 'इन्सान' इतना 'शैतान' क्यों है ? हैवान क्यों है ? क्या अपराध किया जो वो "स्त्री" हुयी ? राते बिता देती है वो रोटी से बाते करके... अगर एक दिन 'मै' देर से आया... घर में अकेले पूरी 'जिंदगी' बिता देती है 'वो' सीमा में खड़े 'पति' के लिए.... साथ कोई हो न हो 'वो' हमेशा साथ खड़ी होती है... कभी भी, कही भी, कैसे भी, फिर भी उसकी सांसो में चीत्कार क्यों ? क्या अपराध है उसका यही की वो "माँ", "पत्नी" या "बहिन" है ... एक प्रश्न.... कौन है औरत ??? आज समाज कितना भी  प्रगतिशील हो गया है फिर भी उसकी  सोच  पुरातन है  …इस प्रश्न का उत्तर अब उसे खुद खोजना होगाआइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ.....

जैसा यहाँ होता है वहाँ कहाँ होता है *कभी कभी बहुत अच्छा होता है जहाँ आपको पहचानने वाला कोई नहीं होता है कुछ देर के लिये ही सही बहुत चैन होता है कोई कहने सुनने वाला भी नहीं कोई चकचक कोई बकबक नहीं जो मन में आये करो कुछ सोचो कुछ और लिख दो शब्दों को उल्टा करो...जिंदगी के रंगमंच पर !!!जिंदगी के रंगमंच पर लगाकर आईना जिंदगी ने, हर लम्‍हा इक नया ही रंग दिखाया है जिंदगी ने । ख्‍वाब, हो ख्वाहिश हो या फिर हो कोई जुस्‍तजू, कदमों का साथ हर मोड़ पे निभाया है जिंदगी ने । मैं उदास हूँ..पानी में पानी का रंग तलाशना जता देना है कि मैं उदास हूँ। ख़ुशी में ग़म तलाशना जता देना है कि मैं उदास हूँ। ऊँची पहाड़ियों पर घाटियों को निहारना जता देना है कि मैं उदास हूँ।   

 चित्र-कविता - सूरज, की तरह स्थिर रहो सबके जीवन में नदी की तरह बह निकलो सबके जीवन से पेड़ जैसे छाया दो सबको जीवन में धरा सा बसेरा दो सबको अपने मन में ...हाशिया - हाशिये पर रहने वालों के न पेट होते हैं न जुबाँ न दिल न होती हैं उनकी जरूरतें आखिर सुरसा भी क्यों उन्ही के यहाँ डेरा जमाये तो क्या नहीं होती उनकी कोई ..बेसुध ... - कहीं थक न जाऊं खुद अपनी तकदीर लिखते लिखते 'उदय' तुम, … यूँ ही, … मेरा हौसला बनाये रखना ? … उनके झूठ पे, सौ लोगों ने सच होने की मुहर लगा दी है 'उदय' और सच... 

 प्रश्नोत्तर - प्रश्नचिन्ह मन-अध्यायों में, उत्तर मिलने की अभिलाषा । जीवन को हूँ ताक रहा पर, समय लगा पख उड़ा जा रहा ।।१।। ढूढ़ रहा हूँ, ढूढ़ रहा था, और प्रक्रिया फिर दोहरा...एक ब्लागर की चिट्ठी प्रधानमंत्री जी के नाम - क्या अब सचमुच शुद्ध हो पाएंगी गंगा? - प्रधान मंत्री जी गंगा के शुद्धिकरण को लेकर आप कटिबद्ध हैं। मगर तनिक रुकिए - गंगा शुद्ध हो यह कोटि कोटि जनों की मांग है। गंगा संस्कृति प्रसूता है ...कामयाबी और नकामी - कभी भी 'कामयाबी' को दिमाग और 'नकामी' को दिल में जगह नहीं देनी चाहिए। क्योंकि, कामयाबी दिमाग में घमंड और नकामी दिल में मायूसी पैदा करती है।क्यूट-क्यूट है दोस्त हमारी - बाल कविता - बिल्कुल इस गुड़िया के जैसी क्यूट-क्यूट है दोस्त हमारी जब हम कोई खेल खेलते देती मुझको अपनी बारी कभी न लड़ती, सदा किलकती बस खुशियाँ ही बरसाती है मीठी-मीठी...

अचानकमार : वनवासी की यात्रा - काफ़ी दिन हो गए थे जंगल की ओर गए, जैसे जंगल मेरा घर है जो हमेशा बुलाता है। कहता है आ लौट आ, मिल ले आकर मुझसे। अब पहले जैसा नहीं रहा, जैसा तू छोड़ कर गया था। ..कविता तुम्हारी - नही पढ पाता मैं भावोत्पादक कविताएं सीधे दिल में उतरती हैं और निर्झर बहने लगता है एक एक शब्द अंतर में उतर कर बिंध डालता है मुझे आप्लावित दृग देख नहीं पाते छवि...वन संपदा - 1--धानी चूनर पहनी धरती नें छटा असीम योवन छलकता मन छूना चाहता | 2--है हरीतिमा मनोरम दृश्य है महका वन पक्षी पंख फैलाते चैन की सांस लेते ...   

नियती... - नियती घट की अंतिम बूंदों सी विदा बेला पर जीवन रेखा के समाप्ति काल तक ऐसे लगी रहेगी दृष्टि उस द्वारे पर जैसे कोई मोर व्याकुल नेत्रों से बैठ तकता है .ख़ामोशी - तन्हाई में जिनको सुकून-सा मिलता है, आईना भी उनको दुश्मन-सा लगता है। दिल में उसके चाहे जो हो तुझको क्या, होठों से तो तेरा नाम जपा करता है। तेरी जिन आंखों मे...बंधन और बाँध - में फर्क है ! - कोई बंधन में डाले या हम स्वयं एक बाँध बनाएँ - दोनों में फर्क है ! तीसरा कोई भी जब रेखा खींचता है तो उसे मिटाने की तीव्र इच्छा होती है न मिटा पाए तो एक समय...

क्यों से क्यों तक....... - क्यों ? सबसे कमजोर क्षणों में तुम्हारी ही सबसे अधिक आवश्यकता होती है और आलिंगी सी तू फलवती होकर चूकी कामनाओं में भी सरसता बोती है..... क्यों ? जब मैं व्यर्थ... किताब का जादू - वो एक लम्बे अरसे से इस किताब को पढ़ रहा था।किताब जैसे उसके व्यक्तित्व का हिस्सा हो गयी थी। किताब उस आदमी में कुछ भी अतिरिक्त जोड़ती न थी। न कम ही करती थी। पर...याद की पगडंडियाँ और सुख - हवा हर कोने में रखती है ज़रा ज़रा सी रेत। रेत पढ़ती है रसोई की हांडियों को, ओरे में रखी किताबों को, पड़वे में खड़ी चारपाई को, हर आले को, आँगन के हर कोने को। ...

कार्टून :- जब हँसाने वाले मुखौटे डराने लगे ...

 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........

सोमवार, 13 जनवरी 2014

मकरसंक्रांति- तिल गुड़ खाओ पतंग उड़ाओ... ब्लॉग4वार्ता....संध्या शर्मा

संध्या शर्मा का नमस्कार...."तिल और गुड घ्या गोड-गोड बोला"   त्यौहार की उमंग और आकाश में लहराती, हिचकोले खाती रंग - बिरंगी पतंग आप सभी के जीवन को नए उत्साह और आनंद से भर दे और मकर संक्रांति के सूर्योदय के साथ एक नए सवेरे का शुभारम्भ हो इसी कामना के साथ आप सभी को ब्लॉग वार्ता परिवार की ओर से  मकरसंक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल की  हार्दिक शुभकामनायें....  आइये अब चलें ब्लॉग  4 वार्ता की ओर कुछ उम्दा लिंक्स के साथ... 

 

मकर संक्रांति पर शुभकामनायें मकर राशि में सूर्य का हो रहा प्रवेश संक्रांति काल लेकर आया पर्व विशेष ! उत्तर में खिचड़ी कहें दक्षिण में है पोंगल लोहड़ी जो पंजाब में असम में बीहू मंगल ! लकड़ी का एक ढेर हो शीत मिटाए आग बैर कलुष जल खाक हों पर्व मनायें जाग ! मीठे गुड में तिल मिले नभ में उड़ी पतंग लोहड़ी की इस आग ने दिल में भरी उमंग ! दाने भुने मकई के भर रेवड़ियाँ थाल अंतर में उल्लास हो चमकें सबके भाल.... मकर संक्रांति पर शुभकामनायें - मकर राशि में सूर्य का हो रहा प्रवेश संक्रांति काल लेकर आया पर्व विशेष ! उत्तर में खिचड़ी कहें दक्षिण में है पोंगल लोहड़ी जो पंजाब में असम में बीहू मंगल...मिसफिट Misfit मकर संक्रान्ति : सूर्य उपासना का पर्व

ऐसा भी दान... - हमारी भारतीय संस्कृति में "दान" हमेशा छुपा कर करने में विश्वास किया जाता रहा है.कहा भी गया है कि दान ऐसे करो कि दायें हाथ से करो तो बाएं हाथ को भी खबर न ....मौन - मौन नहीं स्वीकृति हार की मौन नहीं स्वीकृति गलती की, मौन नहीं है मेरा डर और न ही मेरी कमजोरी, झूठ से पर्दा मैं भी उठा सकता हूँ और दिखा सकता हूँ आइना सच का, ... .आईना आँख चुराता क्यों है? - जबसे पहनी है अपने होने की महक आईना आँख चुराता क्यों है? तेरे आने और तेरे जाने का फर्क मिटता सा नज़र आता क्यों है? कोई आहट नहीं कहीं फिर भी दिल इस तरह..

 

कौन है औरत? - एक प्रश्न : कौन है औरत महज घर परिवार के लिए बलिदान देकर उफ़ न करने वाली और सारे जहाँ के दोष जिसके सिर मढ़ दिए जाएँ फिर भी वो चुप रहे क्या यही है औरत या यदि...  आदत ... - सच ! चाटुकारों की बातों पे तू एतबार न कर देख, आईना खुद बयां कर रहा है सूरत तेरी ? … खोखले हो चुके दरख्तों की, कोई हमसे उम्र न पूछे उनके बाजु से चलो … तो ... .भूख भूख भूख …4 - नेता की भूख पद के लालच में नहीं देख पाती बेबस जनता की तकलीफ़ें जनता का रुदन उसे चाहिये होता है एक उच्च पद जहाँ वो सारे कुकृत्य करके भी बच जाये स्वंय को ...

मध्य में सब ठीक हो - बड़े तन्त्रों में एक बड़ी समस्या होती है। उन्हें साधने के प्रयास में सारा का सारा ध्यान उनके अन्तिम छोरों में ही रहता है, अन्तिम छोर साध कर लगता है कि सारा... बदलावों की आहट - मैं जब भी कहीं दूर पहाड़ की चोटी की तरफ देखता हूँ तो मुझे उसमें कोई बदलाब नजर नहीं आता, और जब उस पहाड़ की चोटी से दुनिया को देखता हूँ तो बहत कुछ बदला हुआ नजर... .ये कोहरे कि धुंध........ - ये कोहरे कि धुंध, और बादलो से घिरा आसमां.... ठंड से कांपता सारा जहां, इन सब से दूर मैं तुम्हारे, ख्यालो में खोयी सी.....!...

 

 खोजूं कहाँ - खोजूं कहाँ तुझे ए मेरे मन न जाने कहाँ खो गया है चैन सारा हर लिया है | खैर मना कि मैंने दर्ज न कराई कोई शिकायत तेरे खो जाने की नहीं तो क्या ...ये औरत .... - एक वक़्त था जब उसे किसी ना किसी ऐसे इंसान की जरूरत पड़ती थी ...जिसे वो अपने दिल की बात बता सके...किसी के साथ अपने दिल की बातें बाँट सके, पर उस वक़्त किसी...चन्द्र तुम मौन हो ....... - मैं विकारी ... तुम निर्विकार ...!! निराकार मुझमे लेते हो आकार , रजनी के ललाट पर उज्ज्वल यूं मिटाते हो हृदय कलुष , मैं आधेय तुम आधार ....!! मेरे मन के एका...

 सरगुजा का रामगिरी - छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला मुख्यालय से 50 किलो मीटर की दूरी पर बिलासपुर सड़क मार्ग पर उदयपुर से दक्षिण में रामगढ़ पर्वत स्थित है। दण्डकारण्य के प्रवेश द्वार ... .कुसुम-काय कामिनी दृगों में, - कुसुम-काय कामिनी दृगों में. कुसुम-काय कामिनी दृगों में जब मदिरा भर आती है खोल अधर पल्लव अपने, मधुमत्त धरा ......अंतिम छोर... - प्रायवेट वार्ड नं. ३ जिन्दगी/मौत के मध्य जूझती संघर्ष करती गूंज रहे हैं तो केवल गीत जो उसने रचे जा पहुंची हो जैसे सूनी बर्फीली वादियों में वहाँ भी अकेल... 

 


 

दीजिये इजाज़त नमस्कार........ 

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